One Nation One Election:कांग्रेस के प्रियंका गांधी समेत इन नेताओं का JPC में नाम

05:47 PM Dec 18, 2024 | zoomnews.in

One Nation One Election: "एक देश-एक चुनाव" (वन नेशन-वन इलेक्शन) को लेकर सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा है। लोकसभा स्पीकर अब इस समिति का गठन करेंगे, जिसमें राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य शामिल होंगे। इस मुद्दे को लेकर सभी राजनीतिक दलों की सक्रियता और सुझावों से एक व्यापक चर्चा का दौर शुरू हो गया है।

कांग्रेस ने सुझाए चार नाम

कांग्रेस ने जेपीसी के लिए चार सदस्यों के नाम फाइनल कर लिए हैं, जिनमें मनीष तिवारी, प्रियंका गांधी, सुखदेव भगत, और रणदीप सुरजेवाला शामिल हैं। ये सभी नेता अपनी-अपनी विशेषज्ञता और राजनीतिक अनुभव के लिए जाने जाते हैं।

  • मनीष तिवारी और रणदीप सुरजेवाला प्रख्यात वकील हैं और कानूनी मामलों की गहरी समझ रखते हैं।
  • सुखदेव भगत एक आदिवासी नेता हैं, जिनकी पहचान आदिवासी समुदाय के हितों को प्रमुखता से उठाने के लिए होती है।
  • प्रियंका गांधी महिलाओं का नेतृत्व करते हुए कांग्रेस की नीति और दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने का काम करेंगी।

अन्य दलों की भूमिका

कांग्रेस के अलावा अन्य दल भी जेपीसी के लिए अपने प्रतिनिधियों के नाम भेजने में जुटे हैं।

  • डीएमके ने प्रसिद्ध वकील पी. विल्सन और सांसद टी. सेल्वागेथी के नाम सुझाए हैं।
  • सपा से धर्मेंद्र यादव का नाम संभावित है, जिन्होंने "वन नेशन-वन इलेक्शन" पर सपा का पक्ष मजबूती से रखा है।
  • टीएमसी से कल्याण बनर्जी और साकेत गोखले की चर्चा है।

जेपीसी का गठन और कार्यप्रणाली

जेपीसी में सदस्यों की संख्या का निर्धारण लोकसभा स्पीकर करेंगे। आमतौर पर लोकसभा के सदस्यों की संख्या राज्यसभा से दोगुनी होती है। समिति का मुख्य कार्य इस मुद्दे पर गहन समीक्षा करना और अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपना है।
"वन नेशन-वन इलेक्शन" बिल एक संवैधानिक संशोधन है, जिसके लिए विशेष बहुमत की आवश्यकता होगी। जेपीसी के जरिए सरकार विपक्ष और अन्य दलों के साथ आम सहमति बनाने की कोशिश कर रही है।

संवैधानिक बदलाव की राह

यह बिल भारत के चुनावी ढांचे में ऐतिहासिक बदलाव लाने की दिशा में एक कदम हो सकता है। जेपीसी की रिपोर्ट इस बिल को परिष्कृत और प्रभावी बनाने में अहम भूमिका निभाएगी।

राजनीतिक और सामाजिक विमर्श का केंद्र

"एक देश-एक चुनाव" पर जेपीसी का गठन राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के लिए अपनी चिंताओं और सुझावों को रखने का मंच बनेगा। यह पहल केवल प्रशासनिक सुधार नहीं है, बल्कि यह देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में एक नई दृष्टि जोड़ने का प्रयास है।

आने वाले दिनों में जेपीसी की कार्यवाही और उसकी रिपोर्ट पर देशभर की नजरें टिकी रहेंगी।