South Korea News:दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ का विरोध, लोग उतरे सड़क पर; राष्ट्रपति ने वापस लिया आदेश

08:29 AM Dec 04, 2024 | zoomnews.in

South Korea News: दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल ने मंगलवार देर रात देश में लगाए गए मार्शल लॉ को समाप्त करने का ऐलान कर दिया। यह निर्णय भारी जनविरोध और संसद में मतदान के बाद लिया गया। संसद में हुए मतदान में 300 में से 190 सांसदों ने मार्शल लॉ के फैसले को अस्वीकार कर दिया। यह घटनाक्रम देश में लोकतांत्रिक मूल्यों और जनता की आवाज की शक्ति को दर्शाता है।

सड़कों पर जनता का उबाल

मार्शल लॉ के ऐलान के बाद देशभर में उथल-पुथल मच गई। राजधानी सियोल की सड़कों पर टैंकों की गड़गड़ाहट सुनाई दी, और जनता ने सड़कों पर उतरकर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग लोकतंत्र की बहाली और आर्मी की गली-कूचों से वापसी थी। बिगड़ते हालात और बढ़ते विरोध ने प्रशासन को झुकने पर मजबूर कर दिया।

सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों की भूमिका

मार्शल लॉ के विरोध में सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों ने एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद की। सत्तारूढ़ दल के प्रमुख नेताओं ने इसे "अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक" करार दिया। राष्ट्रपति की अपनी पार्टी के नेता हैन डोंग-हून ने भी इस फैसले की कड़ी आलोचना की और संसद में मतदान के दौरान अपनी असहमति दर्ज कराई। यह स्थिति सरकार के भीतर बढ़ते मतभेदों को भी उजागर करती है।

राष्ट्रपति यून सुक-योल की सफाई

बढ़ते विरोध के बीच, राष्ट्रपति यून सुक-योल ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि यह कदम देश विरोधी ताकतों को कुचलने और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया था। हालांकि, जनता और विपक्ष का मानना था कि इस निर्णय से लोकतंत्र खतरे में पड़ सकता था।

दक्षिण कोरिया का लोकतांत्रिक इतिहास

दक्षिण कोरिया में यह पहली बार नहीं था जब मार्शल लॉ लगाया गया हो। इससे पहले 1980 में भी ऐसा कदम उठाया गया था। लेकिन तब से अब तक देश ने लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूती से अपनाया है। दक्षिण कोरिया, जो एशिया की एक प्रमुख अर्थव्यवस्था और अमेरिका का सहयोगी है, ने चार दशकों से भी अधिक समय तक लोकतांत्रिक ढांचे को बनाए रखा है। इस बार का मार्शल लॉ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता का विषय बन गया था।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

मार्शल लॉ के फैसले ने दक्षिण कोरिया की छवि को वैश्विक स्तर पर झटका दिया। लोकतंत्र समर्थक देश और संगठन इस कदम की आलोचना कर रहे थे। राष्ट्रपति यून का फैसला वापस लेना न केवल घरेलू दबाव का परिणाम है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया का भी असर है।

जनता की जीत और लोकतंत्र की बहाली

इस घटनाक्रम ने स्पष्ट किया कि दक्षिण कोरिया में लोकतंत्र की जड़ें कितनी गहरी हैं। जनता का विरोध और राजनीतिक दलों की एकजुटता यह दर्शाती है कि देश में लोकतंत्र की बहाली केवल एक सरकारी निर्णय नहीं, बल्कि जनता की सामूहिक शक्ति और संकल्प का परिणाम है।

मार्शल लॉ हटने के साथ ही दक्षिण कोरिया ने यह साबित कर दिया कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए जनता और प्रतिनिधि जब एकजुट होते हैं, तो कोई भी ताकत उनके संकल्प को नहीं हिला सकती।