Delhi Liquor Scam:शराब घोटाला केस में मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत

12:53 PM Dec 11, 2024 | zoomnews.in

Delhi Liquor Scam: दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने आबकारी नीति मामले से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में जमानत की शर्तों में बदलाव की उनकी याचिका स्वीकार कर ली। पहले की जमानत शर्तों के तहत, सिसोदिया को हर हफ्ते दो बार जांच एजेंसियों के दफ्तर में हाजिरी लगानी पड़ती थी। हालांकि, अब सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया के आग्रह पर इस शर्त को हटा दिया है, जिससे उन्हें एक बड़ी राहत मिली है।

सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया से यह भी कहा कि वे नियमित रूप से ट्रायल में शामिल हों, और इस दौरान किसी प्रकार की लापरवाही न बरतें। यह आदेश उन सभी लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, जो मानते हैं कि जमानत मिलने के बाद भी आरोपी को न्यायिक प्रक्रिया में पूरी तरह से शामिल रहना चाहिए।

सिसोदिया ने कोर्ट का किया आभार व्यक्त

सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद, मनीष सिसोदिया ने ट्विटर के जरिए कोर्ट का आभार व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, "माननीय सुप्रीम कोर्ट का हृदय से आभार, जिसने ज़मानत की शर्त को हटाकर राहत प्रदान की है। यह निर्णय न केवल न्यायपालिका में मेरी आस्था को और मजबूत करता है, बल्कि हमारे संवैधानिक मूल्यों की शक्ति को भी दर्शाता है। मैं हमेशा न्यायपालिका और संविधान के प्रति अपने कर्तव्यों का सम्मान करता रहूंगा। जय भीम, जय भारत।" सिसोदिया के इस ट्वीट में उनकी निरंतर न्यायपालिका और संविधान के प्रति आस्था और सम्मान की भावना साफ नजर आती है।

मनीष सिसोदिया को दी गई थी जमानत

सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर 11 दिसंबर 2024 को सुनवाई की थी। वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ के सामने सिसोदिया की जमानत शर्तों में बदलाव की अपील की थी। कोर्ट ने अगस्त 2024 में दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मामलों में सिसोदिया को जमानत दी थी, जब यह महसूस किया गया कि केस में शीघ्र मुकदमा चलने की संभावना है और उन्हें असीमित समय तक सलाखों के पीछे नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने कहा था कि जमानत मिलने के बाद सिसोदिया को नियमित रूप से न्यायिक प्रक्रिया में शामिल रहना होगा, और इसके लिए उन्हें जमानत की शर्तों का पालन करना पड़ेगा।

आबकारी नीति मामले में गंभीर आरोप

बता दें कि शराब नीति घोटाले से जुड़े इस मामले में सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं। इस मामले में ईडी और सीबीआई दोनों ही जांच एजेंसियां शामिल हैं। इस मामले में 493 गवाहों के नाम हैं और हजारों पन्नों के दस्तावेज तथा एक लाख से अधिक पन्नों के डिजिटाइज्ड दस्तावेज शामिल हैं। इन दस्तावेजों की जांच और गवाहों की बयानबाजी के चलते मामले में समय लग सकता है, और कोर्ट ने इसे ध्यान में रखते हुए सिसोदिया को जमानत दी थी।

निष्कर्ष

मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत ने उनके लिए एक बड़ी राहत का अवसर प्रदान किया है। कोर्ट ने उनकी जमानत की शर्तों में बदलाव करते हुए उन्हें अधिक लचीला आदेश दिया, जिससे उनकी स्थिति में सुधार हुआ है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सिसोदिया को ट्रायल में नियमित रूप से भाग लेना होगा। यह निर्णय न्यायपालिका की निष्पक्षता और संवैधानिक मूल्यों के प्रति एक सकारात्मक संकेत है, जो यह दर्शाता है कि न्याय प्रक्रिया में सबको समान अवसर मिलना चाहिए, चाहे वे किसी भी पक्ष से हों।