IPO News: हाल ही में, भारतीय शेयर बाजार ने वैश्विक निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया है, और दक्षिण कोरियाई कंपनियों की इस दिशा में बढ़ती दिलचस्पी इसका प्रमुख उदाहरण है। कुछ महीनों पहले, दुनिया की प्रमुख ऑटोमोबाइल निर्माता कंपनी, हुंडई, ने भारतीय शेयर बाजार में अपने आईपीओ लाने की मंजूरी प्राप्त की। यह आईपीओ भारतीय शेयर बाजार का सबसे बड़ा आईपीओ बन सकता है। अब, एक और कोरियाई दिग्गज, इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी एलजी, भी भारत में अपने आईपीओ को लेकर विचार कर रही है। एलजी के सीईओ विलियम चो ने हाल ही में ब्लूमबर्ग से बातचीत में कहा कि भारत में लिस्टिंग, कंपनी के दशकों पुराने कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स व्यवसाय को पुनर्जीवित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
भारत का शेयर बाजार क्यों बन रहा है आकर्षण का केंद्र?
दक्षिण कोरियाई कंपनियों के भारत के शेयर बाजार में उतरने की वजहें स्पष्ट हैं। हुंडई को उम्मीद है कि भारतीय शेयर बाजार में लिस्टिंग से उसकी कंपनी की ब्रांड इमेज और विजिबिलिटी में इजाफा होगा। इसके अलावा, भारतीय शेयर बाजार में लिस्टिंग से कंपनी को लिक्विडिटी और सार्वजनिक मार्केट की सुविधाएं मिलेंगी, जो व्यवसाय की वृद्धि के लिए लाभकारी साबित हो सकती हैं। दूसरी ओर, एलजी 2030 तक अपनी इलेक्ट्रॉनिक्स रेवेन्यू में 75 बिलियन डॉलर का लक्ष्य हासिल करने के लिए तेजी से बढ़ते भारतीय शेयर बाजार में कदम रखना चाहती है। विलियम चो ने कहा कि कंपनी भारतीय बाजार में चल रहे आईपीओ मामलों की निगरानी कर रही है और संबंधित इंडस्ट्री के ट्रेंड्स पर भी ध्यान दे रही है। हालांकि, कंपनी ने अपनी भारतीय यूनिट के संभावित वैल्यूएशन का अभी तक निर्धारण नहीं किया है।
भारतीय बाजार में आईपीओ का उभार
हाल के दिनों में, भारतीय शेयर बाजार ने जबरदस्त वृद्धि देखी है, और यह ट्रेंड भविष्य में भी जारी रहने की संभावना है। अब जबकि आम चुनाव समाप्त हो चुके हैं, वित्तीय विशेषज्ञों को उम्मीद है कि प्राइमरी मार्केट के लिए दूसरी छमाही महत्वपूर्ण साबित होगी। अनुमान के अनुसार, इस समय अवधि में लगभग 55 कंपनियां करीब 68,000 करोड़ रुपए जुटाने की योजना बना रही हैं। इसके पीछे बेहतर मार्केट सेंटिमेंट्स और संभावित रूप से स्थिर आर्थिक माहौल का योगदान हो सकता है। इसके अलावा, 2024 की पहली छमाही में हुए आईपीओ की सफलता ने भी बाजार की गति को बढ़ाया है, जिसमें 35 मेनबोर्ड आईपीओ ने औसतन 61 गुना सब्सक्रिप्शन हासिल किया और लगभग 32,000 करोड़ रुपये जुटाए।
कोरियाई कंपनियों के लिए भारतीय लिस्टिंग का महत्व
दक्षिण कोरियाई कंपनियों के लिए भारतीय शेयर बाजार में लिस्टिंग एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, खासकर जब घरेलू बाजार में कम वैल्यूएशन की समस्या को दूर करने की बात आती है। "कोरिया डिस्काउंट" एक ऐसा शब्द है जिसका उपयोग दक्षिण कोरियाई कंपनियों के लिए कम डिविडेंड और जियो-पॉलिटिकल टेंशन के कारण वैश्विक प्रतिस्पर्धियों की तुलना में कम वैल्यूएशन को दर्शाने के लिए किया जाता है। भारत में हुंडई और एलजी के आईपीओ से इन्हें अपनी वैल्यूएशन समस्या को दूर करने में मदद मिल सकती है। उदाहरण के लिए, हुंडई भारत में 30 बिलियन डॉलर तक की वैल्यूएशन पर आईपीओ ला सकती है, जो उसके कोरियाई पेरेंट कंपनी के मार्केट कैप का आधा है।
चैबोल: कोरियाई व्यापार संरचना
दक्षिण कोरिया में "चैबोल" शब्द का उपयोग बड़े परिवार-नियंत्रित बिजनेस समूहों के लिए किया जाता है। ये कंपनियां, जैसे कि सैमसंग, हुंडई और एलजी, दक्षिण कोरिया के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुकी हैं। हालांकि, चैबोल्स की सफलता कई बार उनकी उच्च कर्ज की प्रैक्टिस और वैश्विक प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले कम वैल्यूएशन से जुड़ी रही है। भारतीय शेयर बाजार में लिस्टिंग से इन कंपनियों को वैश्विक और एशियाई प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले अपनी वैल्यूएशन डिस्काउंट को कम करने में मदद मिल सकती है।
निष्कर्ष
भारतीय शेयर बाजार में दक्षिण कोरियाई कंपनियों की बढ़ती दिलचस्पी इस बात का संकेत है कि भारत एक प्रमुख निवेश स्थल के रूप में उभर रहा है। हुंडई और एलजी जैसी कंपनियों की भारतीय बाजार में लिस्टिंग की योजना से न केवल ये कंपनियां अपनी वैश्विक वैल्यूएशन समस्याओं का समाधान ढूंढ सकती हैं, बल्कि भारत को भी वैश्विक निवेशक के रूप में एक महत्वपूर्ण स्थान पर स्थापित कर सकती हैं। यह विकास भारतीय शेयर बाजार की मजबूती और भविष्य की संभावनाओं को उजागर करता है।