Kangana Ranaut News: अपने विवादित बयानों के कारण सुर्खियों में रहने वाली मंडी से बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने हाल ही में कृषि कानूनों पर टिप्पणी कर देश की राजनीति में हलचल पैदा कर दी। कंगना ने अपने बयान में उम्मीद जताई थी कि उनके विचारों से विवाद हो सकता है, और आखिरकार हुआ भी यही। उनके बयान ने विपक्षी दलों को सरकार पर तीखे हमले का मौका दे दिया। हालाँकि, कंगना ने विवाद बढ़ने के बाद अपना बयान वापस ले लिया, लेकिन इसके बावजूद राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं।
कंगना रनौत का बयान और सफाई
कंगना रनौत ने मीडिया से बातचीत में कहा था, "पिछले कुछ दिनों में मुझसे किसान कानूनों पर सवाल किया गया, और मैंने सुझाव दिया कि किसानों को प्रधानमंत्री से निवेदन करना चाहिए कि वे इन कानूनों को वापस लाएं।" कंगना के इस बयान ने विवाद को जन्म दिया। उन्होंने अपने बयान के प्रति सफाई देते हुए कहा, "जब ये कानून आए थे, तब बहुत से लोगों ने इनका समर्थन किया था, लेकिन प्रधानमंत्री ने संवेदनशीलता के साथ इन्हें वापस ले लिया था। अगर मेरी सोच से किसी को निराशा हुई है, तो मुझे खेद है। मेरे विचार मेरे व्यक्तिगत हो सकते हैं, लेकिन मेरी पार्टी के स्टैंड को ही प्रमुखता मिलनी चाहिए। मैं अपने शब्द वापस लेती हूं।"
बीजेपी ने किया किनारा, विपक्ष का हमला
बीजेपी की ओर से कंगना रनौत के बयान पर तुरंत प्रतिक्रिया आई। बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि कंगना पार्टी की ओर से ऐसा कोई बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हैं, और उनका बयान कृषि बिलों पर पार्टी की नीति को नहीं दर्शाता। हालाँकि, विपक्ष ने इस मुद्दे को भुनाने का कोई मौका नहीं छोड़ा। कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि कंगना के बयान से बीजेपी का छिपा एजेंडा सामने आ गया है। उन्होंने कहा, "कृषि कानूनों को वापस लाने की बात बीजेपी की असली मंशा को दर्शाती है।"
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को इस पर जवाब देना चाहिए। इसके साथ ही, जेडीयू जैसे सरकार के सहयोगी दल ने भी कंगना के बयान का विरोध किया।
हरियाणा में कांग्रेस का दावा
कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा ने कंगना के बयान को हरियाणा के संदर्भ में लेकर कहा कि बीजेपी की मंशा कृषि कानूनों को फिर से लागू करने की है। उन्होंने चुनौती दी कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनने पर कोई ताकत इन "काले कानूनों" को फिर से लागू नहीं कर पाएगी। हुड्डा के बयान ने हरियाणा की राजनीति में भी गर्मी ला दी, जहां किसानों का बड़ा वर्ग कृषि कानूनों के विरोध में प्रमुख रूप से जुड़ा हुआ था।
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे का तीखा हमला
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी कंगना के बयान के बहाने मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा, "750 किसानों की शहादत के बाद भी बीजेपी और मोदी सरकार को अपने अपराध का अहसास नहीं हुआ। तीन काले कानूनों को फिर से लागू करने की बात की जा रही है। मोदी सरकार ने किसानों के खिलाफ ड्रोन, कीले और बंदूकें इस्तेमाल कीं। इस बार चुनावी राज्यों में किसानों का गुस्सा मोदी सरकार को जवाब देगा।"
2021 में वापस लिए गए थे कृषि कानून
यह याद दिलाना जरूरी है कि 2021 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का ऐलान किया था। इन कानूनों के खिलाफ देशभर के किसानों ने व्यापक प्रदर्शन किए थे, खासतौर से दिल्ली की सीमाओं पर एक साल से ज्यादा समय तक चले धरना-प्रदर्शन के कारण यह मुद्दा राष्ट्रीय बहस का केंद्र बन गया था। इस दौरान कई किसानों की मौत के आरोप भी लगे थे। पीएम मोदी ने इन कानूनों को वापस लेते हुए कहा था कि वे किसानों को समझाने में असफल रहे और इस कारण उन्हें यह फैसला लेना पड़ा।
निष्कर्ष
कंगना रनौत का कृषि कानूनों पर बयान और फिर उसे वापस लेना, यह दर्शाता है कि इस मुद्दे पर राजनीतिक संवेदनशीलता कितनी अधिक है। भले ही कंगना ने अपना बयान निजी बताते हुए माफी मांग ली हो, लेकिन विपक्ष इसे बीजेपी की छिपी मंशा के रूप में देख रहा है। इस घटनाक्रम ने आगामी चुनावों से पहले किसानों के मुद्दे को फिर से मुख्यधारा में ला दिया है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि इसका राजनीतिक परिदृश्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा।