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Iran funds Hezbollah:अपने चूल्हे पर संकट लेकिन लेबनान से पीछे ईरान नहीं हट रहा, खोला खजाना

Iran funds Hezbollah: इजराइल के साथ युद्ध में हिजबुल्लाह की कमर टूट गई है. एक ओर इजराइली सेना की बमबारी में नसरल्लाह समेत पूरी टॉप लीडरशिप खत्म हो गई तो वहीं

Iran funds Hezbollah: ईरान कई सालों से सैकड़ों आर्थिक और राजनीतिक प्रतिबंधों का सामना कर रहा है। इन प्रतिबंधों ने देश की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है। महंगाई, बेरोजगारी, और गिरती मुद्रा के कारण जनता का जीवन संघर्षमय हो गया है। इसके बावजूद, ईरान अपनी विदेश नीति के तहत हिजबुल्लाह जैसे संगठनों को फंडिंग देने में सक्रिय है।

हिजबुल्लाह को ईरान से भारी मदद

हिजबुल्लाह के डिप्टी चीफ नईम कासिम ने हाल ही में घोषणा की कि लेबनान में लगभग 25 लाख परिवारों की मदद के लिए 77 मिलियन डॉलर की सहायता प्रदान की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस राशि का बड़ा हिस्सा ईरान की ओर से दिया जा रहा है।

इस फंड का उपयोग मुख्यतः उन परिवारों को मुआवजा देने में होगा जिनके घर इजराइल के हमलों में तबाह हो गए हैं। नईम कासिम ने बताया कि प्रत्येक परिवार को मुआवजे के तौर पर 8 हजार डॉलर दिए जाएंगे, जबकि अस्थायी आवास के लिए 4 से 6 हजार डॉलर की अतिरिक्त सहायता दी जाएगी।

ईरान की आंतरिक स्थिति: बिगड़ती अर्थव्यवस्था

इस समय, ईरान की अपनी आर्थिक स्थिति बेहद गंभीर है। दशकों से चले आ रहे अमेरिकी प्रतिबंध और आंतरिक कुप्रबंधन ने देश को आर्थिक संकट की कगार पर पहुंचा दिया है।

  • मुद्रा संकट: ईरानी रियाल ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अब तक का सबसे निम्नतम स्तर छू लिया है। हाल ही में, 1 डॉलर की कीमत 719,500 रियाल तक पहुंच गई, जो ईरान की मुद्रा के कमजोर होने का स्पष्ट संकेत है।
  • महंगाई का प्रभाव: IMF के अनुसार, इस साल ईरान में महंगाई दर 31.7% रहने का अनुमान है। यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में कम जरूर है, लेकिन अभी भी यह डबल डिजिट महंगाई ईरानियों के लिए एक बड़ा बोझ है।
  • बुनियादी सुविधाओं की कमी: राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने इस सप्ताह चेतावनी दी कि देश में बिजली, पानी और गैस जैसी आवश्यक सेवाओं में कमी हो सकती है। विदेशी मुद्रा भंडार की गिरावट और बढ़ते खर्चों ने इस संकट को और गंभीर बना दिया है।

गरीबी और खाद्य संकट का बढ़ता दायरा

ईरान में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाली आबादी में लगातार वृद्धि हो रही है। ईरान चैंबर ऑफ कॉमर्स रिसर्च सेंटर के अनुसार, मार्च 2022 तक देश की एक-तिहाई आबादी गरीबी रेखा से नीचे थी। इस साल खाद्य संकट ने स्थिति और भी खराब कर दी है।

विदेश नीति और आंतरिक संघर्ष

ईरान के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि घरेलू आर्थिक संकट के बावजूद, वह अपनी विदेश नीति के तहत क्षेत्रीय संगठनों को भारी आर्थिक सहायता देता रहा है। हिजबुल्लाह को मिली यह ताजा सहायता इस रणनीति का हिस्सा है। हालांकि, इस पर देश के भीतर भी आलोचना हो रही है।

भविष्य की चुनौतियां

ईरान के लिए अपनी अर्थव्यवस्था को स्थिर करना और जनता को राहत प्रदान करना प्राथमिकता होनी चाहिए। अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बीच इस तरह की भारी फंडिंग से घरेलू असंतोष और बढ़ सकता है।

ईरान की यह स्थिति दर्शाती है कि कैसे आर्थिक और राजनीतिक जटिलताएं एक साथ काम करती हैं। जब तक ईरान अपनी आंतरिक नीतियों को संतुलित नहीं करता और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नए समझौते नहीं करता, तब तक उसकी अर्थव्यवस्था पटरी पर आना मुश्किल लग रहा है।

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