Indian Economy: भारत एक बार फिर ‘सोने की चिड़ीया’ बनने की ओर अग्रसर है, और इसके पीछे एक महत्वपूर्ण कारण है—देश की बढ़ती कामकाजी जनसंख्या। हाल की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2045 तक भारत में कामकाजी लोगों की संख्या में 17.9 करोड़ का इजाफा होने की उम्मीद है। इस विकासशील डेमोग्राफिक ट्रेंड के साथ, भारतीय इकोनॉमी का बोलबाला वैश्विक स्तर पर बढ़ेगा। मौजूदा समय में, भारत की कामकाजी जनसंख्या 96.1 करोड़ है, और बेरोजगारी दर पांच वर्षों के निचले स्तर पर बनी हुई है। वैश्विक निवेश फर्म जेफरीज ने इस रिपोर्ट में कहा है कि भारत में कामकाजी लोगों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है और यह देश की आर्थिक वृद्धि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
2030 तक कामकाजी जनसंख्या में बढ़ोतरी
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 25 से 64 वर्ष की आयु वाले कामकाजी लोगों की संख्या में वृद्धि जारी है, और 2030 के आसपास इस वृद्धि की गति में थोड़ा धीमापन देखा जा सकता है। सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा अगस्त में जारी किए गए डेटा के अनुसार, भारत की श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) अप्रैल-जून 2024 में बढ़कर 50.1 प्रतिशत हो गई है, जोकि अप्रैल-जून 2023 में 48.8 प्रतिशत थी। यह वृद्धि दर्शाती है कि रोजगार के अवसरों में सुधार हो रहा है।
महिलाओं की बढ़ती भूमिका
महिलाओं की कामकाजी जनसंख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है। अप्रैल से जून 2024 की अवधि में 15 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिलाओं में एलएफपीआर दर 25.2 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जोकि 2023 की समान अवधि में 23.2 प्रतिशत थी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डेटा के अनुसार, पिछले दस वर्षों में देश में लगभग 17 करोड़ लोगों को रोजगार मिला है। 2023-24 में कुल 64.33 करोड़ लोग कामकाजी थे, जबकि 2014-15 में यह संख्या 47.15 करोड़ थी।
भारत का चमकता सितारा बनने की राह
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भारत वर्तमान में दुनिया के सबसे तेजी से विकासशील देशों में से एक है। देश की युवा जनसंख्या और कामकाजी जनसंख्या की बढ़ती हिस्सेदारी इसे वैश्विक निवेश के लिए एक आकर्षक बाजार बनाती है। भारत की बड़ी आबादी इसे एक विशाल बाजार बनाती है, जिससे दुनियाभर की कंपनियां निवेश बढ़ा रही हैं। यह भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान दिलाएगा।
भारत की बढ़ती कामकाजी जनसंख्या, महिलाओं की बढ़ती भागीदारी, और तेजी से विकासशील अर्थव्यवस्था उसे एक चमकते सितारे के रूप में प्रस्तुत कर रही है। देश की डेमोग्राफी और विकास की गति इसे भविष्य में एक प्रमुख वैश्विक शक्ति बना सकती है। आने वाले वर्षों में, भारतीय अर्थव्यवस्था की सफलता की कहानी दुनिया भर में सुनी जाएगी और भारत एक बार फिर ‘सोने की चिड़ीया’ के रूप में उभरेगा।