J&K Election 2024: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों के पहले चरण की नजदीकियां बढ़ रही हैं, और सियासी गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। 25 सितंबर को होने वाले दूसरे चरण के चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया जारी है, और अंतिम तारीख 5 सितंबर है। इस चरण में श्रीनगर, बडगाम, गांदरबल, रियासी, राजौरी, और पुंछ जिलों में मतदान होगा।
नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और कांग्रेस के गठबंधन ने इस चुनाव में एकजुट होकर मैदान में उतरने का निर्णय लिया है। हालांकि, गठबंधन को एक तगड़ा झटका तब लगा जब कांग्रेस के गांदरबल जिला अध्यक्ष साहिल फारूक ने वहां के चुनावी मैदान में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपनी दावेदारी पेश की।
पूर्व मुख्यमंत्री और एनसी के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने गांदरबल से नामांकन दाखिल किया था, लेकिन साहिल फारूक ने कांग्रेस के नेतृत्व को चुनौती देते हुए निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरा। साहिल ने दावा किया कि गांदरबल की जनता के हितों की हमेशा अनदेखी की गई और बाहरी लोगों को प्रतिनिधित्व देने की परंपरा को समाप्त करना चाहते हैं।
साहिल फारूक के इस कदम से कांग्रेस-एनसी गठबंधन की एकता पर सवाल उठ रहे हैं। यदि साहिल अकेले बागी बने रहते हैं, तो कांग्रेस उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकती है। लेकिन अगर अन्य पार्टी कैडर भी ऐसे कदम उठाते हैं, तो यह दोनों दलों के लिए गंभीर समस्या उत्पन्न कर सकता है।
कांग्रेस और एनसी ने मिलकर जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में 52 और 31 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बनाई है। दोनों पार्टियां जम्मू संभाग और घाटी में कुछ सीटों पर फ्रेंडली फाइट का भी ऐलान कर चुकी हैं। इस गठबंधन की सफलता अब चुनाव पूर्व उठाए गए कदमों और उम्मीदवारों के मनोबल पर निर्भर करेगी।
निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी
दरअसल, गांदरबल विधानसभा सीट से एनसी के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को नामांकन दाखिल किया। अब यहां से कांग्रेस के जिला अध्यक्ष ने पार्टी को धता बताते हुए बुधवार को उमर अब्दुल्ला के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल कर दिया है। कांग्रेस गांदरबल जिला अध्यक्ष साहिल फारूक ने दर्जनों युवा समर्थकों के साथ पर्चा भरा और कहा कि बाहरी लोगों को समायोजित करने के लिए हमेशा गांदरबल जिले के हितों का बलिदान दिया गया है।
अपने फैसले पर साहिल फारूक
साहिल ने कहा, "गांदरबल के लोगों का प्रतिनिधित्व करने के लिए उम्मीदवारों को हवाई मार्ग से भेजा जाता है, लेकिन इस निर्वाचन क्षेत्र के युवाओं ने अब अपना राजनीतिक भाग्य किसी बाहरी व्यक्ति को नहीं सौंपने का फैसला किया है।" साहिल फारूक का ये फैसला दोनों पार्टियों के बीच चुनाव पूर्व गठबंधन के मूड को प्रभावित कर सकती है। अगर साहिल अकेले ऐसे बागी होते हैं तो कांग्रेस उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर गठबंधन की रक्षा कर सकती है। अगर आने वाले दिनों में एनसी या कांग्रेस कैडर से ऐसे और मामले आते हैं, तो दोनों दलों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
कांग्रेस-एनसी में गठबंधन
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस 52 और कांग्रेस 31 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। दोनों पार्टियों ने दो सीटें- जम्मू संभाग और घाटी में एक-एक सीट पैंथर्स पार्टी और माकपा के लिए छोड़ी हैं। दोनों गठबंधन सहयोगी दल जम्मू संभाग में नगरोटा, डोडा, भद्रवाह और बनिहाल और घाटी में सोपोर की पांच सीटों पर फ्रेंडली फाइट उतारेंगे।