Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का ऐलान आज शनिवार को कर दिया गया. चुनाव आयोग के मुताबिक उत्तर प्रदेश की 80 सीटों पर 7 चरणों में चुनाव कराए जाएंगे. प्रदेश में लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल से शुरू हो जाएंगे और एक जून को खत्म होंगे जबकि नतीजे 4 जून को घोषित किए जाएंगे. सूबे में वोटिंग का आगाज पश्चिमी यूपी की सीटों से होगा और खत्म पूर्वांचल की सीटों से होगा. चुनावी लिहाज और सियासी दलों की नजरें सबसे ज्यादा सीटों वाले सूबे उत्तर प्रदेश पर रहती हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि 7 चरणों में चुनाव होने से बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए के लिए मुफीद है तो क्या विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है?
बीजेपी ने 2024 में सूबे की सभी 80 लोकसभा सीटें जीतने का प्लान बनाया है, जिसके लिए उसने अपने गठबंधन के कुनबे को भी बढ़ा लिया है. वहीं, सपा ने कांग्रेस के साथ भले ही गठबंधन कर रखा हों, लेकिन बसपा प्रमुख मायावती अकेले चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रही हैं. यूपी में 2014 की तरह स्थिति दिख रही है. सूबे में 7 चरणों में चुनाव होने से प्रचार के लिए पूरा टाइम होगा. ऐसे में बीजेपी के सबसे बड़े चेहरे पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ पूरी ताकत झोंक देंगे, जिससे चरण दर चरण चुनावी फिजा भी बदलती रहती है. सपा-कांग्रेस गठबंधन के लिए टेंशन का सबब बनेगा?
लंबा चुनाव होने का सत्ता को फायदा?
लोकसभा चुनाव यूपी में पहले चरण से लेकर आखिरी चरण यानि सातवें फेज तक वोट डाले जाएंगे. इस तरह करीब डेढ़ महीने तक चुनावी माहौल यूपी में देखने को मिलेगा. चुनाव आयोग जिस तरह से हर चरण में 8 से लेकर 14 लोकसभा सीटों पर वोटिंग करा रही है, उससे निश्चित तौर पर तमाम चुनौतियों से निपटने में आयोग को मदद मिलती है. लेकिन दूसरी तरफ ये भी कहा जा रहा है कि लंबा चुनाव होने का सियासी फायदा सत्ता पक्ष को मिलता है.
पिछले 2 लोकसभा चुनाव में यह पैटर्न देखा जा चुका है. राजनीतिक विश्लेषक इसकी वजह यह बताते हैं कि सत्ता पक्ष को अपने खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को खत्म करने का पूरा वक्त मिल जाता है. इसके अलावा पीएम मोदी भी यूपी में हर चरण की सीटों पर प्रचार के लिए उतर सकते हैं. पीएम मोदी के चुनावी रैली होने का लाभ बीजेपी को मिलता ही रहा है.
यूपी में हर चरण में होगा चुनाव
यूपी का चुनाव हर चरण में होगा, उस समय अलग-अलग राज्यों में भी चुनाव हो रहे होंगे. कांग्रेस नेता राहुल गांधी की वायनाड सीट पर दूसरे चरण में चुनाव है, जिसके चलते शुरू में राहुल गांधी और कांग्रेस के तमाम बड़े नेता केरल में फोकस कर रहे होंगे. दिल्ली में छठे और पंजाब में सातवें चरण में चुनाव होंगे जबकि बिहार में सातों चरण में चुनाव है. इस तरह विपक्षी गठबंधन के नेता अपने-अपने राज्यों के चुनाव प्रचार में व्यस्त रहेंगे.
यूपी में विपक्ष की तरफ से अखिलेश यादव अकेले चुनावी रण में होंगे तो बीजेपी के तमाम नेता लगातार कैंप कर रहे होंगे. केजरीवाल का पूरा फोकस पंजाब और दिल्ली पर रहेगा तो तेजस्वी यादव बिहार में उलझे रहेंगे. यूपी में अखिलेश यादव के ऊपर पूरा चुनाव निर्भर करेगा कि वो कितने इलाकों तक पहुंच पाते हैं. उस समय उनके ऊपर अपनी पत्नी डिंपल यादव और अपने कुनबे की सीटों पर भी जीत दिलाने का जिम्मा है. जबकि बीजेपी की पूरी आर्मी चुनावी मैदान में होगी.
चुनाव प्रचार के लिए लंबा वक्त
सात चरण में लोकसभा चुनाव होने से चुनाव प्रचार के लिए अच्छा खासा टाइम होगा. हर चरण में छह से सात दिन का अंतर है, जिसके चलते एक चरण में चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद दूसरे चरण की सीटों पर सियासी माहौल बनाने का पूरा वक्त होगा. इस तरह से सूबे में हर चरण के चुनाव प्रचार में पीएम मोदी और सीएम योगी की रैलियां आयोजित हो सकेंगी. नरेंद्र मोदी बीजेपी के लिए जीत की गारंटी माने जाते हैं. 2014 से नरेंद्र मोदी के नाम और चेहरे पर बीजेपी जीत रही है. यूपी में सीएम योगी की भी अपनी छवि है. मोदी और योगी जब चुनावी रण में उतरेंगे, तो सियासी माहौल में भी तब्दीली देखने को मिलेगी.
चरण दर चरण बदल जाते हैं मुद्दे
राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि सात चरणों में चुनाव होने का सियासी प्रभाव यह भी होता है कि चरण दर चरण चुनावी मुद्दे और सियासी माहौल भी तब्दली होते रहते हैं. उस समय देशभर में चुनाव हो रहे होंगे और विपक्ष का नेता केरल में कोई बयान देता है तो उसे बीजेपी यूपी से भी जोड़ने का दांव चलेगी. कांग्रेस का पूरा फोकस दक्षिण भारत की सीटों पर है, जहां का सियासी मिजाज उत्तर भारत से पूरी तरह अलग है.
तमिलनाडु में डीएमके नेता अगर सनातन धर्म को लेकर टिप्पणी करते हैं तो फिर बीजेपी उसे यूपी में माहौल बना सकती है. पिछले दिनों डीएमके नेताओं ने हिंदू धर्म और सनातन को लेकर टिप्पणी कर चुके हैं, जिसे लेकर यूपी में सियासत गरमा गई थी. यूपी के साथ तमिलनाडु, केरल और दूसरे राज्यों में चुनाव हो रहे होंगे. बीजेपी नेताओं की कोशिश होगी कि दक्षिण में विपक्ष नेता अगर कोई बयान देते हैं तो उसे उत्तर प्रदेश से जोड़कर एक नैरेटिव बना सकती है.
पश्चिमी यूपी से पूर्चांचल का चुनाव
यूपी में लोकसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी से वोटिंग शुरू होगी और अंत पूर्वांचल की सीटों पर होगा. सूबे में पहले और दूसरे चरण में जिन इलाके की सीटों पर चुनाव है, उसमें ज्यादातर इलाके मुस्लिम बहुल माने जाते हैं. बीजेपी के लिए पश्चिमी यूपी से चुनाव का आगाज काफी मुफीद माना जाता है. बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा चुनौतियां भी इसी इलाके में है, जो शुरुआती तीन चरण में पूरी तरह से निपट जाएगा. बीजेपी अगर इस क्षेत्र की सियासी फिजा को अपनी तरफ मोड़ने में कामयाब रहती है तो विपक्षी के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी.
यूपी में पहले और दूसरे चरण में मुस्लिम समुदाय बड़ी संख्या में वोटर्स हैं, जब ये वर्ग बूथ पर खड़े नजर आते हैं तो उसका असर बाकी की चरण के चुनाव पर भी होता है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो बीजेपी को इससे ध्रुवीकरण करने का माहौल मिल जाता है. पूर्वांचल में जब चुनाव हो रहे होंगे तो उस समय चुनाव का अंतिम दौर होगा और पीएम मोदी वहां डेरा जमा सकते हैं, जो विपक्ष के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है.