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Israel-Iran War:ईरान पर इजरायल को किस तरह से हमला करना चाहिए? जो बाइडन ने दिया ये सुझाव

Israel-Iran War: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इजरायल को ईरान पर उसके तेल क्षेत्र पर हमले करने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि इजरायल को अपने देश हुए हमले

Israel-Iran War: हाल ही में, ईरान ने इज़राइल पर 180 से अधिक मिसाइलों से हमला किया, जिससे क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है। अब इज़राइल भी इस हमले का कड़ा जवाब देने की तैयारी कर रहा है। इस स्थिति पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसमें उन्होंने इज़राइल के लिए कुछ रणनीतिक सुझाव पेश किए हैं। बाइडन ने कहा कि अगर वह इज़राइल की जगह होते, तो दुश्मन देश के तेल क्षेत्रों पर हमला करने के विकल्पों पर विचार करते। उनके अनुसार, यह एक रणनीतिक कदम हो सकता है जो ईरान की आर्थिक गतिविधियों पर भारी प्रभाव डाल सकता है।

अमेरिका का इज़राइल को समर्थन

राष्ट्रपति बाइडन ने स्पष्ट रूप से कहा कि अमेरिका इज़राइल के अधिकारों का समर्थन करता है। इज़राइल के पास अपनी रक्षा के लिए और दुश्मनों को जवाब देने का पूरा अधिकार है। हालांकि, उन्होंने यह भी जोर दिया कि नागरिक हताहतों से बचने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए। बाइडन ने यह भी कहा कि इज़राइली अधिकारी अभी तक यह तय नहीं कर पाए हैं कि वे ईरान के खिलाफ हमले को कैसे अंजाम देंगे, लेकिन अमेरिका उनकी हरसंभव मदद करने के लिए तैयार है।

बाइडन ने बताया कि उन्होंने इस संघर्ष के समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अन्य वैश्विक सहयोगियों से समर्थन प्राप्त किया है। उनका मानना है कि इस संघर्ष को कूटनीतिक ढंग से सुलझाया जा सकता है, लेकिन इज़राइल के आत्मरक्षा के अधिकार को किसी भी स्थिति में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

इज़राइल की जवाबी कार्रवाई: हिजबुल्लाह के ठिकानों पर हमला

इज़राइल की ओर से पहले ही कुछ जवाबी हमले किए जा चुके हैं। इज़राइल रक्षा बलों (आईडीएफ) ने घोषणा की है कि उन्होंने पिछले चार दिनों में 2,000 से अधिक सैन्य ठिकानों और लगभग 250 हिजबुल्लाह आतंकवादियों को नष्ट कर दिया है। हिजबुल्लाह, जो ईरान समर्थित एक आतंकी संगठन है, इज़राइल के लिए एक बड़ा खतरा बना हुआ है। इज़राइल का यह कदम इस बात का संकेत है कि वह न केवल अपनी रक्षा के लिए, बल्कि अपने दुश्मनों को माकूल जवाब देने के लिए भी पूरी तरह से तैयार है।

अमेरिकी और ब्रिटिश सेना का हस्तक्षेप: हूती विद्रोहियों पर हमला

इस बीच, अमेरिकी और ब्रिटिश सेनाओं ने यमन में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर भी हमले किए हैं। शुक्रवार को किए गए इन हमलों में एक दर्जन से अधिक हूती ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिसमें हथियार प्रणालियों, अड्डों और अन्य उपकरणों को नष्ट कर दिया गया। यमन के हूती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन प्राप्त है, जो क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ाता है। अधिकारियों के अनुसार, यमन के पांच स्थानों पर स्थित ठिकानों पर सैन्य विमानों और युद्धपोतों से हमले किए गए।

हूती मीडिया की रिपोर्टों में कहा गया है कि यमन के प्रमुख बंदरगाह शहर होदेदा के हवाई अड्डे और हूती नियंत्रण वाले सैन्य अड्डों पर सात हमले किए गए। यह हमले ईरान समर्थित विद्रोहियों के खिलाफ पश्चिमी शक्तियों की कड़ी प्रतिक्रिया का हिस्सा हैं।

भविष्य की रणनीति: इज़राइल का कदम क्या होगा?

अभी तक, इज़राइल ने ईरान पर किसी बड़े हमले का खुलासा नहीं किया है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इज़राइल अपनी जवाबी कार्रवाई में तेल क्षेत्रों को टारगेट कर सकता है, जैसा कि राष्ट्रपति बाइडन ने भी सुझाया है। ऐसा करने से ईरान की अर्थव्यवस्था को गहरा झटका लग सकता है। इसके अलावा, इज़राइल की ओर से हिजबुल्लाह और अन्य ईरान समर्थित आतंकवादी संगठनों के खिलाफ भी आक्रामक कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है।

इज़राइल का यह जवाब केवल एक सैन्य प्रतिक्रिया नहीं होगा, बल्कि यह पूरे क्षेत्र में ईरानी प्रभाव को कम करने का प्रयास हो सकता है। इज़राइल और अमेरिका दोनों ही इस स्थिति को गंभीरता से देख रहे हैं, और आगे की रणनीति में दोनों देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग देखने को मिल सकता है।

निष्कर्ष

ईरान द्वारा इज़राइल पर किए गए हमले के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है। इज़राइल अब जवाबी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है, और इस मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन का समर्थन भी उसके साथ है। बाइडन के सुझाव और इज़राइल की सैन्य तैयारियों से यह स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में हालात और गंभीर हो सकते हैं। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि इज़राइल किस तरह से इस हमले का जवाब देता है और क्षेत्रीय शांति के लिए क्या कदम उठाता है।

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