Karnataka Government: कर्नाटक सरकार ने राज्य के अस्पतालों में इलाज और विभिन्न चिकित्सा सेवाओं की फीस में बड़े स्तर पर वृद्धि की है। यह निर्णय विशेष रूप से कर्नाटक के चिकित्सा शिक्षा विभाग के तहत आने वाले अस्पतालों के लिए लागू हुआ है। इस बढ़ोतरी के कारण, अस्पतालों में इलाज और डाइगनोस्टिक टेस्ट की कीमतें 20 प्रतिशत तक महंगी हो गई हैं। इसके साथ ही, कई सेवाओं के शुल्क में दोगुनी बढ़ोतरी भी देखी गई है। बैंगलोर मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (BMCRI) और कर्नाटक के विभिन्न स्वायत्त चिकित्सा संस्थानों के तहत आने वाले अस्पतालों में यह वृद्धि प्रभावी हो चुकी है।
अधिकारियों का बयान
BMCRI के अधिकारियों ने इस बढ़ोतरी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इलाज, सर्जरी, रक्त परीक्षण, और स्कैन की फीस में संशोधन किया गया है। अधिकारियों ने यह भी बताया कि अस्पतालों की फीस में आखिरी बार संशोधन 5-6 साल पहले किया गया था, और इस बार की बढ़ोतरी अस्पतालों के रखरखाव और संचालन को सुचारु रखने के लिए जरूरी थी। हालांकि, अधिकारियों ने इसे मामूली फीस वृद्धि बताया और कहा कि सभी टेस्ट और इलाज 20% महंगे नहीं हैं, कुछ ब्लड टेस्ट अभी भी मुफ़्त हैं।
फीस में कितनी बढ़ोतरी हुई?
हाल ही में किए गए संशोधनों के तहत, अस्पतालों में विभिन्न सेवाओं के शुल्क में बदलाव किया गया है। TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, निम्नलिखित शुल्क में वृद्धि हुई है:
- स्पेशल वार्ड (2 मरीज): पहले 750 रुपये, अब 1,000 रुपये।
- सिंगल बेड स्पेशल वार्ड: पहले 750 रुपये, अब 2,000 रुपये।
- जनरल वार्ड: पहले 15 रुपये, अब 20 रुपये।
- ओपीडी रजिस्ट्रेशन फीस: पहले 10 रुपये, अब 20 रुपये (दोगुनी वृद्धि)।
- आंतरिक रोगी रजिस्ट्रेशन फीस: पहले 25 रुपये, अब 50 रुपये।
- मरीज के बेड का शुल्क: पहले 30 रुपये, अब 50 रुपये।
इसके अलावा, कुछ अन्य सेवाओं के शुल्क में भी वृद्धि की गई है:
- पोस्टमार्टम, चिकित्सा जांच, चोट और शारीरिक फिटनेस प्रमाणपत्र: पहले 250 रुपये, अब 300 रुपये।
- मेडिकल बोर्ड प्रमाणपत्र: पहले 350 रुपये, अब 500 रुपये।
- डाइट की सलाह: अब 50 रुपये।
- डाइट से संबंधित सलाह: अब 100 रुपये।
क्या है इस वृद्धि का कारण?
अधिकारियों का कहना है कि यह वृद्धि अस्पतालों के संचालन और रखरखाव की जरूरतों को पूरा करने के लिए की गई है। कर्नाटक के चिकित्सा शिक्षा विभाग के तहत आने वाले अस्पतालों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए पर्याप्त संसाधनों की आवश्यकता होती है, और इस बढ़ोतरी से इन सेवाओं को और बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। हालांकि, यह वृद्धि राज्य के आम नागरिकों के लिए एक चिंता का विषय बन सकती है, क्योंकि इससे इलाज की लागत में वृद्धि हो रही है।
अंत में
कर्नाटक सरकार की इस बढ़ी हुई फीस नीति से राज्य के अस्पतालों में इलाज और चिकित्सा सेवाओं की उपलब्धता पर असर पड़ सकता है। जहां एक ओर इस वृद्धि को अस्पतालों के रखरखाव और संसाधनों के सुधार के लिए आवश्यक बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर यह सामान्य नागरिकों के लिए आर्थिक बोझ बढ़ा सकती है। इसके परिणामस्वरूप, सरकार को इस कदम का व्यापक प्रभाव और इसके साथ आने वाली चुनौतियों का मूल्यांकन करना होगा।