S. M. Krishna News: भारत की राजनीति में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले एस एम कृष्णा अब हमारे बीच नहीं रहे। 92 वर्ष की उम्र में, बेंगलुरु स्थित अपने निवास पर उनका निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे। 2023 में उन्हें केंद्र सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था, जो उनके दशकों के योगदान को मान्यता देता है। उनके निधन से न केवल कर्नाटक बल्कि पूरे देश ने एक अनुभवी नेता और कुशल प्रशासक को खो दिया है।
राजनीतिक सफर का आरंभ: 1960 का दशक
एस एम कृष्णा ने 1960 के दशक में अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की। 1962 में उन्होंने मद्दुर विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़कर जीत दर्ज की और कांग्रेस के उम्मीदवार को पराजित किया। इसके बाद उन्होंने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का दामन थामा और 1968 में मंड्या लोकसभा उपचुनाव जीते। लेकिन उनका राजनीतिक सफर कांग्रेस के साथ जुड़कर अधिक प्रभावी साबित हुआ। 1971 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर फिर से मंड्या लोकसभा सीट जीती और राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखा।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में स्वर्णिम कार्यकाल
एस एम कृष्णा 1999 से 2004 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे। इस दौरान उन्होंने राज्य के विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया। उनके नेतृत्व में राज्य में आईटी क्षेत्र में क्रांति आई और बेंगलुरु को "सिलिकॉन वैली ऑफ इंडिया" के रूप में स्थापित किया गया। उनकी नीतियों ने कर्नाटक को देश के सबसे उभरते राज्यों में शामिल किया।
विदेश मंत्री और राज्यपाल के रूप में योगदान
एस एम कृष्णा ने 2009 से 2012 तक मनमोहन सिंह सरकार में विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया। इस दौरान उन्होंने भारत की विदेश नीति को मजबूत बनाने और वैश्विक मंच पर देश की स्थिति को सुदृढ़ करने में अहम भूमिका निभाई। इससे पहले वे दिसंबर 2004 से मार्च 2008 तक महाराष्ट्र के राज्यपाल भी रहे।
राजनीतिक बदलाव और बीजेपी से जुड़ाव
मार्च 2017 में एस एम कृष्णा ने कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दामन थाम लिया। उन्होंने बीजेपी में शामिल होकर सक्रिय राजनीति में नई भूमिका निभाई। जनवरी 2023 में उन्होंने घोषणा की कि वे सक्रिय राजनीति से संन्यास ले रहे हैं।
एक आदर्श नेता का अवसान
एस एम कृष्णा के निधन पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री और बीजेपी तथा कांग्रेस के कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। उनका निधन भारतीय राजनीति में एक युग के अंत का प्रतीक है। उन्होंने अपने करियर में जो ऊंचाइयां हासिल कीं और जो योगदान दिए, वे हमेशा प्रेरणा के स्रोत बने रहेंगे।
एस एम कृष्णा का जीवन संघर्ष, समर्पण और देश की सेवा की कहानी है। उनके निधन से देश ने एक सच्चा जनसेवक और दूरदर्शी नेता खो दिया।