Electronic Voting Machine: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर फिर बहस छिड़ गई है। दुनिया के सबसे अमीर बिजनेसमैन इलॉन मस्क ने 15 जून को लिखा- EVM को खत्म कर देना चाहिए। इसे इंसानों या AI द्वारा हैक किए जाने का खतरा है। हालांकि ये खतरा कम है, फिर भी बहुत ज्यादा है। अमेरिका में इससे वोटिंग नहीं करवानी चाहिए। इस पर भाजपा नेता और पूर्व IT मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा- मस्क के मुताबिक, कोई भी सुरक्षित डिजिटल हार्डवेयर नहीं बना सकता, ये गलत है। उनका बयान अमेरिका और अन्य स्थानों पर लागू हो सकता है - जहां वे इंटरनेट से जुड़ी वोटिंग मशीन बनाने के लिए नियमित कंप्यूट प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं।
भारतीय EVM सुरक्षित हैं और किसी भी नेटवर्क या मीडिया से अलग हैं। कोई कनेक्टिविटी नहीं, कोई ब्लूटूथ, वाईफाई, इंटरनेट नहीं। यानी कोई रास्ता नहीं है। फैक्ट्री प्रोग्राम्ड कंट्रोलर जिन्हें दोबारा प्रोग्राम नहीं किया जा सकता। EVM को ठीक उसी तरह डिजाइन किया जा सकता है, जैसा कि भारत ने किया है। भारत में इसे हैक करना संभव नहीं है। इलॉन, हमें ट्यूटोरियल (सिखाने वाला संस्थान) चलाकर खुशी होगी।
वहीं, राहुल गांधी ने मस्क की पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए कहा- भारत में EVM ब्लैक बॉक्स की तरह है। किसी को भी इसकी जांच की अनुमति नहीं है। हमारी चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर गंभीर चिंताएं जताई जा रही हैं। जब संस्थाओं में जवाबदेही की कमी होती है, तो लोकतंत्र एक दिखावा बन जाता है और धोखाधड़ी की संभावना बढ़ जाती है।
राहुल गांधी ने उत्तर-पश्चिम मुंबई की घटना का जिक्र किया, यहां शिवसेना सांसद 48 वोट से जीते
EVMs in India are a "black box," and nobody is allowed to scrutinize them.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 16, 2024
Serious concerns are being raised about transparency in our electoral process.
Democracy ends up becoming a sham and prone to fraud when institutions lack accountability. https://t.co/nysn5S8DCF pic.twitter.com/7sdTWJXOAb
राहुल गांधी ने मस्क की पोस्ट को मिड डे अखबार में छपी खबर के साथ रीपोस्ट किया। इसमें मुंबई की घटना का जिक्र है। दरअसल, मुंबई उत्तर-पश्चिम लोकसभा सीट से NDA और शिवसेना (शिंदे) प्रत्याशी रविंद्र वायकर के साले मंगेश पंडिलकर 4 जून को पाबंदी के बावजूद एक चुनाव अधिकारी का मोबाइल लेकर गोरेगांव के काउंटिंग सेंटर के अंदर गए थे।
सूत्रों के मुताबिक, चुनाव आयोग के एक अधिकारी के पास मोबाइल फोन था, जिससे मतगणना के दौरान ओटीपी जनरेट होता है। इससे EVM अनलॉक किया जा सकता है। इस फोन का इस्तेमाल सांसद के रिश्तेदार पंडिलकर कर रहे थे। पुलिस को संदेह है कि फोन का इस्तेमाल सुबह से शाम 4.30 बजे तक किया गया, जब काउंटिंग के दाैरान कांटे की टक्कर चल रही थी।
आखिरकार, वायकर शिवसेना उद्धव गुट के अमोल कीर्तिकर से सिर्फ 48 वोट के अंतर से जीते। 2024 लोकसभा चुनाव में यह जीत का सबसे छोटा अंतर है। मुंबई पुलिस ने कई नेताओं और चुनाव आयोग की शिकायतों के बाद 15 जून को मंगेश पंडिलकर और एक चुनाव अधिकारी के खिलाफ केस दर्ज किया है।
महाराष्ट्र चुनाव आयोग ने कहा- EVM अनलॉक करने के लिए कोई OTP नहीं लगता
EVM की फोन से हैकिंग के विपक्ष के आरोपों पर महाराष्ट्र चुनाव आयोग ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। रिटर्निंग ऑफिसर वंदना सूर्यवंशी ने अखबार में छपी खबर को लेकर कहा- EVM को अनलॉक करने के लिए कोई OTP नहीं लगता। EVM किसी डिवाइस से कनेक्ट नहीं रहती। यह स्टैंड अलोन यानी खुद से चलने वाला सिस्टम है। अखबार में छपी खबर पूरी तरह से गलत है। हमनें उन्हें नोटिस भेजा है। मानहानि का भी केस दर्ज किया गया है।
सपा और शिवसेना (UBT) ने भी सवाल उठाए
राहुल के बाद सपा सांसद अखिलेश यादव ने कहा- टेक्नोलॉजी समस्याओं को दूर करने के लिए होती है, अगर वही मुश्किलों की वजह बन जाए, तो उसका इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए। आदित्य ठाकरे ने लिखा- EC का नया मतलब है 'Entirely Compromised' (पूरी तरह से समझौता) न कि 'इलेक्शन कमीशन'।
इलॉन मस्क की पोस्ट
We should eliminate electronic voting machines. The risk of being hacked by humans or AI, while small, is still too high. https://t.co/PHzJsoXpLh
— Elon Musk (@elonmusk) June 15, 2024
मस्क ने यह बात अमेरिका के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर की एक पोस्ट को रीपोस्ट करके कही। कैनेडी जूनियर ने प्यूर्टो रिको के चुनावों में EVM से जुड़ी अनियमितताओं के बारे में बताया था और पेपर बैलेट पर लौटने की बात कही थी। अमेरिका में नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव होंगे।
रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर बोले- पेपर बैलेट पर लौटना होगा
अमेरिका के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर ने पोस्ट में लिखा था- ‘प्यूर्टो रिको के प्राइमरी इलेक्शन में EVM से वोटिंग के दौरान कई अनियमितताएं सामने आई थीं। सौभाग्य से यह एक पेपर ट्रेल था, इसलिए समस्या की पहचान की गई और वोटों की गिनती को सही किया गया। सोचिए उन क्षेत्रों में क्या होता होगा, जहां कोई पेपर ट्रेल नहीं है?'
‘अमेरिकी नागरिकों के लिए यह जानना आवश्यक है कि उनके प्रत्येक वोट की गणना की गई है। उनके चुनावों में कोई सेंध नहीं लगाई जा सकती। चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक हस्तक्षेप से बचने के लिए उन्हें पेपर बैलेट पर वापस लौटना होगा।'
भारत में भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था मामला
इसी साल अप्रैल में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के वोटों और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों की 100% क्रॉस-चेकिंग की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में इस मांग से जुड़ी याचिकाएं खारिज कर दी थीं। इसके अलावा कई पॉलिटिकल पार्टियों से जुडे़ लोग EVM पर सवाल उठाते रहे हैं।