Haryana Election Result: हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की संभावित जीत एक आशा से शुरू हुई थी, लेकिन चुनाव परिणामों ने इसे एक गहरी हार में बदल दिया। इस पर पार्टी के नेताओं में मंथन शुरू हो चुका है, और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा आज दिल्ली आ रहे हैं। उनकी उपस्थिति के साथ ही कांग्रेस की हार पर अंदरूनी कलह और बढ़ गई है। कुमारी शैलजा, जो पार्टी की सांसद हैं, ने इस संदर्भ में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उनका कहना है कि पार्टी को यह समझना होगा कि कहां कमी रह गई।
गुटबाजी का मुद्दा
हरियाणा में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी के भीतर गुटबाजी का मुद्दा खुलकर सामने आ गया है। कुमारी शैलजा और भूपेंद्र हुड्डा के बीच की टकराव अब सार्वजनिक हो गया है। कुमारी शैलजा ने यह स्वीकार किया कि चुनाव के दौरान बहुत कुछ होते हुए भी पार्टी ने एकजुट होकर काम किया। लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है और नए सिरे से सोचने की आवश्यकता है। उन्होंने उच्च नेतृत्व से अपील की कि वह स्थिति का गहराई से मूल्यांकन करें ताकि भविष्य में ऐसे परिणामों से बचा जा सके।
जीतते-जीतते हारी कांग्रेस
चुनाव के मतदान के समय कांग्रेस को जीत का पूरा भरोसा था। लेकिन जब परिणाम आए, तो तस्वीर पूरी तरह बदल गई। एक तरफ, बीजेपी ने 48 सीटें जीतकर सत्ता में अपनी स्थिति को मजबूत किया, वहीं कांग्रेस को केवल 37 सीटों पर संतोष करना पड़ा। इस हार का मुख्य कारण पार्टी के भीतर गुटबाजी और सीट बंटवारे में गड़बड़ी को माना जा रहा है। इसके साथ ही, कांग्रेस के कास्ट फैक्टर कैलकुलेशन में हुई गलतियों को भी हार की वजह माना जा रहा है।
परिणामों की समीक्षा
हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 39.94 प्रतिशत मतों के साथ 48 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस ने 39.09 प्रतिशत मतों के साथ 37 सीटें हासिल कीं। इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) को दो सीटें मिलीं, और निर्दलीय उम्मीदवारों ने तीन सीटें जीतीं। हालांकि, जननायक जनता पार्टी (जजपा) और आम आदमी पार्टी (आप) को इस चुनाव में कोई सफलता नहीं मिली।
भविष्य की रणनीति
कांग्रेस के नेता अब यह सोचने पर मजबूर हैं कि भविष्य में उन्हें किस दिशा में जाना चाहिए। कुमारी शैलजा का बयान संकेत देता है कि पार्टी को अपनी अंदरूनी गुटबाजी को सुलझाने और चुनावी रणनीतियों में सुधार की आवश्यकता है। उन्हें यह समझना होगा कि केवल एकजुटता और सही निर्णय लेने से ही वे आगामी चुनावों में सफलता प्राप्त कर सकेंगे।
इस चुनाव परिणाम ने कांग्रेस को एक नई चुनौती दी है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि वे अपनी गलतियों से क्या सीखते हैं और किस प्रकार की रणनीतियों के साथ आगे बढ़ते हैं।