Delhi Pollution Level: दीपावली के त्योहार के बाद दिल्ली-एनसीआर का क्षेत्र एक बार फिर गैस चैंबर की तरह दिखने लगा। पटाखों पर प्रतिबंध के बावजूद गुरुवार रात दिवाली के अवसर पर जमकर आतिशबाजी की गई, जिससे पूरे शहर में धुएं और प्रदूषण की चादर छा गई। इसका नतीजा यह हुआ कि दिल्ली के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 700 के पार पहुंच गया, जबकि कई जगहों पर यह 500 से अधिक दर्ज किया गया। दिल्ली का औसत एक्यूआई 556 तक जा पहुंचा, जिसमें आनंद विहार में 714, डिफेंस कॉलोनी में 631, और पटपड़गंज में 513 का स्तर दर्ज किया गया।
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की गंभीर स्थिति
दिवाली की रात, दिल्ली के विभिन्न इलाकों में धुएं की चादर साफ नजर आ रही थी। एनएच-9 पर वाहनों की हेडलाइट्स और स्ट्रीट लाइट्स के सहारे प्रदूषण को देखा जा सकता था। इसी तरह नोएडा से दिल्ली जाने वाले रास्ते पर भी धुंध की परत देखी गई, जो राजधानी की प्रदूषित हवा की स्थिति को दर्शा रही थी। अक्षरधाम फ्लाईओवर से एनएच-9 की ओर जाते समय भी धुंध का दृश्य देखा जा सकता था।
जगह | AQI |
---|---|
आनंद विहार | 714 |
डिफेंस कॉलोनी | 631 |
पटपड़गंज | 513 |
सिरीफोर्ट | 480 |
नोएडा | 332 |
नजफगढ़ | 282 |
शाहदरा | 183 |
गुरुग्राम | 185 |
स्वास्थ्य के लिए खतरा बनते प्रदूषक तत्व
प्रत्येक वर्ष दीपावली के अवसर पर वायु प्रदूषण में तेजी से वृद्धि होती है। पटाखों से निकलने वाले सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और धूल कण हवा को जहरीला बना देते हैं। ये हानिकारक तत्व वायुमंडल में फैलकर सांस लेने में तकलीफ और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न करते हैं, विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों के लिए।
दिवाली के बाद का कूड़ा: पर्यावरण और स्वास्थ्य पर असर
दिवाली के बाद दिल्ली की सड़कों पर भारी मात्रा में कूड़ा नजर आया, जिसमें अधिकांश पटाखों के अवशेष, कागज और गत्ते थे। यह कूड़ा पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा बनता है, क्योंकि यह न केवल हवा को प्रदूषित करता है बल्कि हमारे स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
दिवाली की रात 10 बजे का AQI स्तर
दिवाली की रात 10 बजे तक दिल्ली का एक्यूआई 330 तक पहुंच गया था, जबकि एक दिन पहले यह 307 था। आनंद विहार, गाजियाबाद और लक्ष्मी नगर जैसे क्षेत्रों में यह स्तर गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया। पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा में भी बढ़ोतरी हुई, जिससे लोगों को सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ा।
पिछली साल की स्थिति
पिछले वर्ष, दिवाली के दौरान दिल्ली का एक्यूआई 218 पर था। मौसम के अनुकूल होने की वजह से प्रदूषण नियंत्रण में था। इस वर्ष पराली जलाने और वाहनों से निकलने वाले धुएं ने प्रदूषण के स्तर को और अधिक बढ़ा दिया। इस साल दिवाली की रात प्रदूषण का स्तर पिछले सालों के मुकाबले कहीं अधिक था, जिसने 2020 की प्रदूषण भरी दिवाली की यादें ताजा कर दीं।
पीएम 2.5 के खतरनाक प्रभाव
पीएम 2.5 के सूक्ष्म कण हवा में लंबे समय तक बने रहते हैं और सांस द्वारा शरीर में प्रवेश कर स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल सकते हैं। ये छोटे कण फेफड़ों में गहराई तक जाकर अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और यहां तक कि दिल की बीमारियों का कारण बन सकते हैं। यह बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए विशेष रूप से हानिकारक है।
एनसीआर में प्रदूषण की स्थिति
नोएडा, गाजियाबाद, और गुरुग्राम जैसे एनसीआर के इलाकों में वायु गुणवत्ता दिल्ली की अपेक्षा थोड़ी बेहतर थी, लेकिन इसके बावजूद हवा "खराब" श्रेणी में दर्ज की गई। फरीदाबाद में एक्यूआई 181 तक रहा, जो अन्य इलाकों के मुकाबले कम था, परंतु फिर भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
कैसे मापी जाती है हवा की गुणवत्ता?
भारतीय मौसम विभाग द्वारा तय मानकों के अनुसार, 0-50 एक्यूआई को अच्छा, 51-100 को संतोषजनक, 101-200 को मध्यम, 201-300 को खराब, 301-400 को बहुत खराब, और 401-500 को गंभीर श्रेणी में रखा जाता है। 500 से अधिक एक्यूआई का स्तर वायु को "बेहद खतरनाक" बनाता है।
दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में बढ़ता प्रदूषण हर साल एक गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है। इस वर्ष दिवाली के बाद की स्थिति ने फिर से यह स्पष्ट किया है कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए गंभीर उपायों की जरूरत है। पटाखों के विकल्प अपनाने और पराली जलाने के समाधान ढूंढने से ही प्रदूषण नियंत्रण में आ सकता है, ताकि दिल्ली-एनसीआर की हवा भविष्य में स्वस्थ और स्वच्छ रह सके।