Business News: किसान आंदोलन के बीच केंद्र सरकार ने देश के करीब 5 करोड़ से ज्यादा किसानों को चुनाव से पहले बड़ा तोहफा दिया है. ये 5 करोड़ से ज्यादा किसान कोई और नहीं बल्कि गन्ने की खेती करने वाले हैं. सरकार ने बुधवार को 2024-25 सीजन के लिए गन्ने का एफआरपी 25 रुपए बढ़ाकर 340 रुपए प्रति क्विंटल करने की मंजूरी दी. गन्ने का नया सीजन अक्टूबर से शुरू होता है. आपको बता दें कि उचित और लाभकारी मूल्य यानी एफआरपी वह मिनिमम प्राइस है जो मिलों को गन्ना उत्पादकों को चुकानी पड़ती है.
गन्ने की एफआरपी बढ़ाने का फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में लिया गया. यह 25 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी मोदी सरकार द्वारा की गई सबसे अधिक बढ़ोतरी है. यह कदम आम चुनाव से पहले उठाया गया है. गन्ना मुख्य रूप से महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में उगाया जाता है. देश में 5 करोड़ से ज्यादा गन्ना किसान है.
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने लिया फैसला
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने संवाददाताओं से कहा कि गन्ना किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने चीनी सत्र 2024-25 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य यानी एफआरपी को 10.25 फीसदी की मूल रिकवरी दर के लिए 340 रुपए प्रति क्विंटल पर मंजूरी दे दी है. उन्होंने कहा कि ‘यह गन्ने की अब तक की सबसे अधिक कीमत है, जो मौजूदा सत्र 2023-24 के लिए गन्ने की एफआरपी से लगभग आठ फीसदी अधिक है.
5 करोड़ से ज्यादा किसानों को होगा फायदा
ठाकुर ने कहा कि नई एफआरपी गन्ने के तय फार्मूले से 107 फीसदी अधिक है और इससे गन्ना किसानों की समृद्धि सुनिश्चित होगी. मंत्री ने कहा कि ‘भारत, दुनियाभर में गन्ने की सबसे ज्यादा कीमत चुका रहा है. संशोधित एफआरपी एक अक्टूबर 2024 से लागू होगी. आधिकारिक बयान के मुताबिक केंद्र सरकार के इस फैसले से पांच करोड़ से अधिक गन्ना किसानों (परिवार के सदस्यों सहित) और चीनी क्षेत्र से जुड़े लाखों अन्य लोगों को फायदा होगा. बयान में कहा गया, ”यह किसानों की आय दोगुनी करने की मोदी की गारंटी को पूरा करने की प्रतिबद्धता को दोहराता है.
चुनाव में फायदा पहुंचा सकता है फैसला
खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों की संख्या किसानों की संख्या काफी ज्यादा है. गाजियाबाद से लेकर सहरानपुर और मुरादाबाद तक के एरिया को गन्ना बेल्ट के तौर पर पहचाना जाता है. वहीं दूसरी ओर हाल ही ही में राष्ट्रीय लोकदल एनडीए में शामिल हुई है. जिसकी वेस्ट यूपी खासकर गन्ना किसानों में अच्छी खासी पकड़ है. ऐसे में गन्ना किसानों के लिए लिया गया फैसला चुनाव के दौरान एनडीए काे काफी फायदा पहुंचा सकता है.