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Brij Bhushan Sharan Singh:बजरंग और विनेश के कांग्रेस में शामिल होने पर क्या बोले BJP नेता बृजभूषण सिंह?

Brij Bhushan Sharan Singh: बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट के कांग्रेस में शामिल होने पर बीजेपी नेता बृजभूषण शरण सिंह ने कहा है कि दो साल बाद यह स्पष्ट हो गया है

Brij Bhushan Sharan Singh: हरियाणा विधानसभा चुनावों के चलते कुश्ती की दिग्गज हस्तियाँ विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। इस राजनीतिक घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बीजेपी के पूर्व सांसद और पूर्व डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया है कि पहलवानों का आंदोलन एक राजनीतिक साजिश थी और इसमें कांग्रेस, दीपेंद्र हुड्डा, और भूपिंदर हुड्डा शामिल थे।

साजिश के आरोप

बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि लगभग दो साल पहले, जब पहलवानों ने प्रदर्शन शुरू किया, उन्होंने पहले ही इसे एक राजनीतिक साजिश बताया था। उनके अनुसार, यह आंदोलन खिलाड़ियों की बजाय एक स्क्रिप्टेड ड्रामा था, जिसका उद्देश्य कांग्रेस को राजनीतिक लाभ पहुंचाना था। सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस इस पूरी पटकथा का हिस्सा थी, और अब यह स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस इस नाटक में शामिल थी।

बीजेपी का रुख और बृजभूषण का बचाव

सिंह ने बीजेपी के रुख पर भी सवाल उठाए, यह दावा करते हुए कि बीजेपी ने कभी भी उनकी खिलाफत नहीं की। उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी उनके खिलाफ होती, तो एफआईआर दर्ज नहीं होती या चार्जशीट नहीं लगती। उनके अनुसार, आरोपों के दिन वे घटनास्थल पर नहीं थे, फिर भी उन पर चार्जशीट लगाई गई।

दिल्ली हाई कोर्ट में झटका

हाल ही में, बृजभूषण शरण सिंह को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। उन्होंने FIR, चार्जशीट और निचली अदालत के आरोप तय करने के आदेश को रद्द करने की याचिका दायर की थी, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली। दिल्ली हाई कोर्ट ने बृजभूषण से मामले में एक शार्ट नोट जमा करने को कहा है, और याचिका की मेंटनेबिलिटी पर सवाल उठाए हैं। 26 सितंबर को इस मामले की अगली सुनवाई होगी। कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा कि चार्ज फ्रेम होने के बाद वे क्यों आए, जिससे उनकी याचिका खारिज कर दी गई।

निष्कर्ष

विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया की कांग्रेस में एंट्री ने हरियाणा चुनावी राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। बृजभूषण शरण सिंह के आरोप और उनके खिलाफ कानूनी चुनौतियाँ इस मुद्दे को और भी जटिल बना रही हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इन घटनाक्रमों का चुनावी परिदृश्य पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्या कांग्रेस को इस बदलाव से कोई फायदा मिलेगा।

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