By Elections:उपचुनावों को लेकर बड़ा फैसला, बदली गयी तारीख, इस वजह से लिया गया फैसला

03:10 PM Nov 04, 2024 | zoomnews.in

By Elections: भारत के उत्तर प्रदेश, पंजाब और केरल राज्यों में होने वाले उपचुनावों की तारीख में बदलाव किया गया है। पहले ये उपचुनाव 13 नवंबर को होने वाले थे, लेकिन अब इसे 20 नवंबर को पुनर्निर्धारित किया गया है। यह निर्णय चुनाव आयोग द्वारा विभिन्न राजनीतिक दलों के अनुरोधों और राज्यों में चल रहे विभिन्न त्योहारों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

उपचुनाव की तारीख में बदलाव का कारण

केरल, पंजाब और उत्तर प्रदेश में इन दिनों कई प्रमुख उत्सव मनाए जा रहे हैं, जिनकी वजह से जनता में व्यस्तता रहती है। चुनाव आयोग ने चुनावी प्रक्रिया में अधिक से अधिक मतदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए यह तारीख बदलने का निर्णय लिया है। कांग्रेस, भाजपा, बसपा, रालोद और अन्य प्रमुख दलों ने आयोग से यह आग्रह किया था कि त्योहारों के समय होने वाले मतदान से मतदाताओं की संख्या पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। इसलिए, चुनाव आयोग ने उपचुनाव की तिथि को एक सप्ताह आगे बढ़ाने का निर्णय लिया।

पहले क्या थी चुनाव आयोग की योजना?

चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनावों के साथ-साथ इन उपचुनावों की तारीखों की भी घोषणा की थी। महाराष्ट्र में 20 नवंबर को मतदान होगा और वोटों की गिनती 23 नवंबर को होगी। महाराष्ट्र में चुनाव केवल एक ही चरण में होगा, जबकि झारखंड में दो चरणों में मतदान होना है, जिसमें 13 और 20 नवंबर को वोटिंग होगी, और परिणाम 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।

केरल, पंजाब और यूपी की कुछ विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को उपचुनाव होना था, लेकिन अब यह 20 नवंबर को होगा।

अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर क्यों रोक लगा?

अयोध्या के मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव पर रोक लगा दी गई है। इसका कारण एक चुनाव याचिका है, जिसे पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा ने दायर किया था। 2022 के विधानसभा चुनाव में हारने के बाद, गोरखनाथ बाबा ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अवधेश प्रसाद के चुनाव को चुनौती दी थी। इस कानूनी विवाद के चलते इस सीट पर उपचुनाव फिलहाल स्थगित कर दिया गया है।

निष्कर्ष

चुनाव आयोग ने इन राज्यों में उपचुनावों की तिथि को बदलकर 20 नवंबर कर दिया है ताकि त्योहारों के चलते मतदाताओं की व्यस्तता के कारण कम मतदान होने की संभावना को टाला जा सके। आयोग का यह कदम यह सुनिश्चित करता है कि मतदाता अपने मतदान अधिकार का प्रयोग करने में कोई कमी महसूस न करें।