Paris Paralympics:अवनी लेखरा ने रचा इतिहास, गोल्ड मेडल पर किया कब्जा, मोना को ब्रॉन्ज मिला

05:10 PM Aug 30, 2024 | zoomnews.in

Paris Paralympics: पेरिस पैरालंपिक 2024 के दूसरे दिन भारत ने शानदार प्रदर्शन किया, जब अवनी लेखरा ने 10 मीटर एयर राइफल एसएच1 फाइनल में गोल्ड मेडल जीतकर भारत की झोली में पहला स्वर्ण डाला। वहीं, मोना अग्रवाल ने ब्रॉन्ज मेडल के साथ भारत की जीत को और भी शानदार बनाया। अवनी ने क्वालिफिकेशन राउंड में 625.8 अंक के साथ दूसरा स्थान प्राप्त किया, जबकि मोना ने 623.1 अंक के साथ पांचवां स्थान हासिल किया था। अवनी लेखरा, जो जयपुर की निवासी हैं, ने 12 साल पहले एक गंभीर कार एक्सीडेंट के बाद भी हार नहीं मानी और अभिनव बिंद्रा की प्रेरणा से शूटिंग में उत्कृष्टता प्राप्त की। अब वे लगातार दो पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला पैरा एथलीट बन गई हैं।

इससे पहले अवनी लेखरा ने क्वालिफिकेशन राउंड में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए फाइनल का टिकट हासिल किया था। अवनी क्वालिफिकेशन राउंड में 625.8 के स्कोर के साथ दूसरा स्थान पर रहीं थी और पैरालंपिक रिकॉर्ड से चूक गई थी। उनका स्कोर पैरालंपिक रिकॉर्ड से केवल 0.2 प्वाइंट कम था। वहीं, मोना 623.1 के स्कोर के साथ पांचवें नंबर पर रहीं थी।

बता दें, अवनी लेखरा जयपुर की रहने वाली हैं और स्टार पैरा शूटर हैं. अवनी पहली बार उस समय सुर्खियों में आई थी जब तीन साल पहले टोक्यो पैरालंपिक में एसएच1 कैटेगिरी में उन्होंने गोल्ड मेडल जीतने का बड़ा कारनामा किया था। उनके नाम एक ही पैरालंपिक में दो मेडल जीतने का रिकॉर्ड है। टोक्यो पैरालंपिक में उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल में गोल्ड मेडल जीता था जबकि 50 मीटर राइफल थ्री-पोजीशन में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था। पेरिस में अब मेडल जीतने के साथ ही अब वह लगातार 2 पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला पैरा एथलीट बन गईं हैं।

अभिनव बिंद्रा से ली प्रेरणा

12 साल पहले अवनी का एक भयंकर कार एक्सीडेंट हुआ था जिसमें उनकी रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट लगी थी. इस चोट के चलते उनके शरीर के निचले हिस्से में पैरालिसिस हो गया लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अभिनव बिंद्रा की आत्मकथा से प्रेरणा लेकर उन्होंने शूटिंग की  प्रैक्टिस शुरू की और अब लगातार 2 पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर नया इतिहास रच दिया है। कार दुर्घटना में शरीर के निचले हिस्से में गंभीर चोट के बाद से अवनी व्हीलचेयर का इस्तेमाल करती है। शूटिंग में एसएच1 श्रेणी में ऐसे निशानेबाज हिस्सा लेते हैं जिनकी बांहों, निचले धड़, पैरों की गति प्रभावित होती है या उनके हाथ या पैर में विकार होता है।