Gautam Adani News: अडानी ग्रुप की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अमेरिकी आरोपों का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि अब भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने सार्वजनिक शेयरहोल्डिंग नियमों के उल्लंघन के आरोप में अडानी ग्रुप की कई लिस्टेड कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है।
सेटलमेंट की पेशकश
अडानी ग्रुप की चार प्रमुख लिस्टेड कंपनियों पर नियमों के उल्लंघन का आरोप है। मॉरीशस स्थित एफपीआई इमर्जिंग इंडिया फोकस फंड्स (EIFF), जो कथित रूप से गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी से जुड़ा है, ने 28 लाख रुपये का सेटलमेंट अमाउंट का प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा, अडानी एंटरप्राइजेज के डायरेक्टर विनय प्रकाश और अंबुजा सीमेंट्स के डायरेक्टर अमीत देसाई ने 3 लाख रुपये की पेशकश की है।
सेटलमेंट एप्लिकेशन में न तो आरोपों को स्वीकार किया गया है और न ही अस्वीकार। यह कदम SEBI द्वारा 27 सितंबर को जारी कारण बताओ नोटिस के जवाब में उठाया गया है।
सेबी का नोटिस और अडानी ग्रुप की प्रतिक्रिया
सेबी ने अडानी ग्रुप की चार लिस्टेड कंपनियों—
- अडानी एंटरप्राइजेज
- अडानी पावर
- अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन
- अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस
को नोटिस जारी किया है।
इन कंपनियों पर आरोप है कि उन्होंने प्रमोटर शेयरहोल्डिंग को पब्लिक शेयरहोल्डिंग के रूप में गलत तरीके से कैटेगराइज किया। ग्रुप ने इन आरोपों का विरोध करते हुए सेटलमेंट एप्लिकेशन को एक कानूनी प्रक्रिया के रूप में दाखिल किया है।
कई डायरेक्टर्स और करीबी जांच के घेरे में
सेबी के नोटिस में अडानी ग्रुप के प्रमुख अधिकारियों के अलावा गौतम अडानी के बचपन के दोस्त मलय महादेविया और अडानी ग्रीन एनर्जी के एमडी विनीत जैन जैसे करीबी भी शामिल हैं। साथ ही प्रमोटर्स के निजी चार्टर्ड अकाउंटेंट धर्मेश पारिख को भी नोटिस जारी किया गया है।
मामले की पृष्ठभूमि
यह विवाद जून-जुलाई 2020 से शुरू हुआ, जब सेबी को अडानी ग्रुप की कंपनियों द्वारा न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी (25%) के नियमों का उल्लंघन करने की शिकायतें मिलीं। इसके बाद 23 अक्टूबर, 2020 को SEBI ने औपचारिक जांच शुरू की।
जांच में पाया गया कि मॉरीशस स्थित ईआईएफएफ, ईएम रिसर्जेंट फंड (EMR), और एक विदेशी निवेशक ओपल इन्वेस्टमेंट्स ने अडानी ग्रुप की प्रमोटर कंपनियों के साथ मिलकर सार्वजनिक हिस्सेदारी के नियमों को कथित तौर पर तोड़ा।
जांच के तहत लेनदेन
इन निवेशकों ने निम्नलिखित तरीकों से अडानी कंपनियों में शेयर हासिल किए:
- अडानी एंटरप्राइजेज: ऑफर-फॉर-सेल (OFS) के जरिए।
- अडानी पोर्ट्स: इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट प्रोग्राम (IPP) के जरिए।
- अडानी पावर: मर्जर के माध्यम से।
OFS और IPP के बाद अडानी एंटरप्राइजेज और अडानी पोर्ट्स की सार्वजनिक हिस्सेदारी बढ़कर 25% हो गई, जिसमें मॉरीशस स्थित एफपीआई की हिस्सेदारी शामिल थी।
सेबी का आरोप और वसूली की मांग
सेबी ने इन चार कंपनियों पर पब्लिक शेयरहोल्डिंग नियमों का उल्लंघन करते हुए 2,500 करोड़ रुपये से अधिक का मुनाफा कमाने का आरोप लगाया है। नियामक ने इस मुनाफे की वसूली की मांग की है और ग्रुप के प्रमोटर्स के खिलाफ संभावित सिक्योरिटी मार्केट प्रोहिबिशन की कार्रवाई का संकेत दिया है।
अडानी ग्रुप की आगे की रणनीति
अडानी ग्रुप ने सेटलमेंट एप्लिकेशन दाखिल कर कानूनी प्रक्रिया के तहत अपना बचाव किया है। ग्रुप ने SEBI से जांच के लिए इस्तेमाल किए गए डॉक्युमेंट्स की समीक्षा का अनुरोध किया है।
निष्कर्ष
अडानी ग्रुप पर चल रहे आरोप और कानूनी कार्रवाइयां भारतीय कॉर्पोरेट क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती हैं। यह मामला न केवल ग्रुप की प्रतिष्ठा पर असर डाल रहा है, बल्कि भारतीय बाजार नियामक संस्थाओं की सख्ती और पारदर्शिता को भी उजागर कर रहा है। आने वाले दिनों में सेबी की कार्रवाई और ग्रुप की प्रतिक्रिया तय करेगी कि यह विवाद किस दिशा में जाएगा।