Gaganyaan Mission: गगनयान स्पेस मिशन के लिए भेजे जाने वाले चारों अंतरिक्षयात्रियों के लिए नाम पीएम मोदी ने घोषित कर दिए गए हैं. इनके नाम हैं-ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला. नामों की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि ये सिर्फ चार नाम नहीं है, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं को अंतरिक्ष में ले जाने वाली चार शक्तियां हैं. 40 साल बाद यह पहला मौका है जब किसी भारतीय को अंतरिक्ष में जाने का मौका मिलेगा. इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा अंतरिक्ष में गए थे. ऐसे में सवाल है कि गगनयान मिशन की अंतरिक्षयात्रियों की टीम में महिला क्यों नहीं है.
अंतरिक्ष महिला यात्री क्यों नहीं?
इस मिशन के लिए जिन 4 अंतरिक्षयात्रियों का चयन हुआ था वो 4 साल पहले हुआ था. वो टेस्ट पायलट हैं. क्लीनिकल, एरोमेडिकल समेत कई तरह के टेस्ट के गुजरने के बाद 12 लोगों को चुना गया था, लेकिन अंतिम दौर की टेस्टिंग के बाद 4 टेस्ट पायलट का चयन हुआ. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, 4 साल पहले जिस दौर में टेस्ट पायलट का चयन हुआ था उस समय महिलाएं टेस्ट पायलट नहीं होती थीं.
टेस्ट पायलट अत्यधिक कुशल एविएटर होते हैं जिन्हें उनके विशेष कौशल के लिए जाना जाता है. इमरजेंसी के दौरान खुद को शांत रखते हुए मिशन पर डटे रहते हैं. इन्हें सर्वश्रेष्ठ एयर वॉरियर्स कहा जाता है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) प्रमुख एस सोमनाथ का कहना है कि उन्हें आने वाले समय में महिला अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष मिशन के लिए भेजने में खुशी होगी. उन्होंने कहा, भारत को मिशन विशेषज्ञों की आवश्यकता होगी. महिलाओं उसी भूमिका में शामिल किया जा सकता है, लेकिन गगनयान के पहले कुछ मिशन में उन चालक दल को भेजा जाएगा जिन्हें चुना गया और प्रशिक्षित किया गया.
विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के डायरेक्टर डॉ. एस. उन्नीकृष्णन नायर का कहना है, 2025 में लॉन्च होने वाले गगनयान मिशन में भी महिलाओं को शामिल किए जाने की संभावना अभी भी बरकरार है. इसरो के अगले मिशन में महिलाओं को शामिल किया जा सकता है. इस साल के अंत तक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए नासा-इसरो के मानव अंतरिक्ष मिशन कतार में हैं. इसमें भारतीय वायुसेना की कुशल महिला लड़ाकू पायलटों में से एक को मौका दिया जा सकता है.
क्या है गगनयान मिशन?
गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है. इस मिशन के जरिए अंतरिक्षयात्रियों को 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजा जाएगा और वापस लाया जाएगा. एस्ट्रोनॉट निचली कक्षा में चक्कर लगाएंगे. यह मिशन 2025 में लॉन्च किया जाएगा. इस मिशन के लिए टेस्ट फ्लाइट भेजी जा चुकी है जो सफल रही है.
टेस्टिंग के अगले चरण में ह्यूमेनॉयड रोबोट व्योममित्र को भेजा जाएगा, इसके जरिए यह समझने की कोशिश की जाएगी कि इंसानों को वहां भेजना कितना सुरक्षित है.
अगर भारत अपने इस मिशन में सफलता हासिल करता है तो यह अंतरिक्ष में इंसान को पहुंचाने वाला चौथा देश बन जाएगा. इससे पहले रूस, अमेरिका और चीन अंतरिक्ष में इंसान को पहुंचाकर सफलता हासिल कर चुके हैं.