Central Government: टू-व्हीलर चालकों की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार पहले से कहीं अधिक सजग हो गई है। सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए सरकार ने 162 हेलमेट बनाने वाली कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है। ये सभी कंपनियां भारतीय मानक ब्यूरो (BSI) के मानकों का पालन नहीं कर रही थीं, जिसके चलते इन पर सख्त कार्रवाई की गई है। इन कंपनियों द्वारा बनाए गए हेलमेट सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं कर रहे थे और इसलिए सरकार ने इन्हें असुरक्षित करार दिया है।
डुप्लीकेट हेलमेट का बढ़ता खतरा
सड़क किनारे बिकने वाले कई हेलमेट भले ही नामी कंपनियों के नाम से बेचे जाते हैं, लेकिन वास्तव में ये नकली होते हैं। ये हेलमेट BSI के मानकों पर खरे नहीं उतरते और लोगों की जान को खतरे में डालते हैं। चूंकि इनमें नामी कंपनियों के नाम का दुरुपयोग किया जाता है, इससे लोग भ्रमित हो जाते हैं और सुरक्षा के प्रति गंभीर न होने की वजह से इनका इस्तेमाल करते हैं। सरकार ने ऐसे नकली और कम गुणवत्ता वाले हेलमेट निर्माता कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्णय लिया है।
हेलमेट निर्माण की प्रक्रिया: सुरक्षा के मानकों पर ध्यान
हाल ही में, भारत की प्रमुख हेलमेट निर्माता कंपनी स्टीलबर्ड के संयंत्र का दौरा किया गया, जहां BSI, DOT, और ECE 22.06 जैसे मानकों के अनुरूप हेलमेट का निर्माण होता है। हेलमेट बनाने की प्रक्रिया डिज़ाइन से शुरू होती है, जो उपयोगकर्ताओं की सुविधाओं को ध्यान में रखकर तैयार की जाती है।
उच्च गुणवत्ता वाली मशीनों से तैयार होते हैं हेलमेट
हेलमेट का डिज़ाइन तय होने के बाद इसमें इस्तेमाल होने वाले थर्माकोल को भी मजबूत बनाने पर ध्यान दिया जाता है। स्टीलबर्ड फैक्ट्री में देखा गया कि इस थर्माकोल को इतनी मजबूती के साथ तैयार किया जाता है कि इसे साधारण तरीकों से तोड़ा नहीं जा सकता। मशीनों से हाई-प्रेशर थर्माकोल बनाया जाता है, जो दुर्घटना के समय सिर की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
असेंबलिंग और वाइज़र टेस्ट
डिज़ाइन और थर्माकोल का निर्माण होने के बाद, हेलमेट के बाहरी हिस्से पर रंग और ग्राफिक्स लगाए जाते हैं। फिर फोम, कपड़ा और बक्कल असेंबल किए जाते हैं, जो हेलमेट को मजबूती प्रदान करते हैं। स्टीलबर्ड फैक्ट्री में वाइज़र का भी परीक्षण किया गया, जिसमें इसे आग से जलाने की कोशिश की गई। यह परीक्षण यह सुनिश्चित करता है कि वाइज़र गर्मी में भी क्षतिग्रस्त न हो और दुर्घटना में आँखों की रक्षा कर सके। इसके अतिरिक्त, हेलमेट को उच्च दबाव वाली मशीनों से परीक्षण किया गया, जिसमें इसकी संरचना मजबूत और सुरक्षित पाई गई।
निष्कर्ष
सड़क सुरक्षा को लेकर सरकार की सख्ती एक महत्वपूर्ण कदम है। नकली और असुरक्षित हेलमेट की बिक्री पर रोक लगाना सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली चोटों को कम करने में सहायक होगा। उम्मीद है कि इस कार्रवाई से सुरक्षित हेलमेट का प्रयोग बढ़ेगा और टू-व्हीलर राइडर्स की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।