CM Arvind Kejriwal News: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने आबकारी नीति घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के केवल दो दिन बाद एक बड़ा ऐलान किया। रविवार को पार्टी के मुख्यालय में अपने समर्थकों और नेताओं को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने घोषणा की कि वह दो दिन बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। इस घोषणा ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है और पूरे देश की निगाहें अब दिल्ली की राजनीतिक गतिविधियों पर टिकी हुई हैं।
1. इस्तीफे की तारीख और शर्तें
केजरीवाल ने अपने भाषण में स्पष्ट किया, "आज से दो दिन बाद मैं इस्तीफा देने जा रहा हूं। मैं तब तक सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा, जब तक जनता अपना फैसला नहीं सुना देती कि केजरीवाल ईमानदार है। अगर आपको लगता है कि केजरीवाल ईमानदार है तो मेरे पक्ष में जमकर वोट देना।" इस बयान से साफ है कि केजरीवाल अपनी ईमानदारी को जनता की अदालत में साबित करना चाहते हैं और उनका इस्तीफा एक तरह से जनता के समर्थन पर निर्भर होगा।
2. विधानसभा और नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति
केजरीवाल ने कहा कि उनके इस्तीफे के बाद दिल्ली विधानसभा भंग नहीं होगी। "आम आदमी पार्टी के विधायक दल की बैठक में नया मुख्यमंत्री चुना जाएगा," उन्होंने स्पष्ट किया। इस बयान से यह संकेत मिलता है कि इस्तीफा देने के बावजूद दिल्ली में शासन की निरंतरता बनाए रखने की उनकी योजना है।
3. मनीष सिसोदिया के भविष्य पर बयान
जब केजरीवाल से मनीष सिसोदिया के मुख्यमंत्री बनने की संभावना के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि "मनीष सिसोदिया भी मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। कोई और नेता सीएम पद पर रहेगा। मैं और सिसोदिया जनता के बीच जाएंगे।" यह स्पष्ट करता है कि केजरीवाल के इस्तीफे के बाद सिसोदिया के मुख्यमंत्री बनने की कोई संभावना नहीं होगी।
4. उपमुख्यमंत्री पद की शर्तें
केजरीवाल ने बताया कि मनीष सिसोदिया ने भी कहा है कि वह उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री का पद तभी संभालेंगे जब जनता की अदालत से चुनकर आ जाएंगे। यह बयान सिसोदिया की राजनीतिक नैतिकता और जन समर्थन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
5. चुनाव की मांग
केजरीवाल ने तत्काल चुनाव कराने की मांग की और कहा, "फौरन चुनाव कराए जाएं। नवंबर में महाराष्ट्र के साथ चुनाव करवाए जाएं। नए सीएम का चुनाव अगले एक-दो दिन में कराए जाएं।" यह मांग यह दर्शाती है कि वह चुनावी प्रक्रिया को तेज़ और पारदर्शी बनाने के पक्षधर हैं।
6. जेल में बिताए गए दिन
केजरीवाल ने अपने जेल में बिताए दिनों की भी चर्चा की और कहा, "मैंने जेल में रामायण, गीता और भगत सिंह की डायरी समेत कई किताबें पढ़ीं।" उनका यह बयान बताता है कि उन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी आत्ममंथन और अध्ययन को जारी रखा।
7. परिवार से मुलाकात पर प्रतिबंध
केजरीवाल ने यह भी खुलासा किया कि उन्हें 15 अगस्त को आतिशी को झंडा फहराने की अनुमति देने के लिए एक पत्र लिखा था, लेकिन वह पत्र वापस कर दिया गया और परिवार से मुलाकात रोकने की धमकी दी गई। यह जानकारी उनके कठिन परिस्थितियों का एक और उदाहरण प्रस्तुत करती है।
8. लोकतंत्र की रक्षा का तर्क
"मैंने इस्तीफा इसलिए नहीं दिया क्योंकि मैं देश के जनतंत्र को बचाना चाहता हूं," केजरीवाल ने कहा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अन्य नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किए गए हैं और उनका मकसद पार्टी और केजरीवाल को तोड़ना था।
9. जेल में अलगाव की शिकायत
केजरीवाल ने बताया कि उन्हें और सिसोदिया को अलग-अलग जेलों में रखा गया और संदीप पाठक को उनसे मिलने के प्रयास में ब्लैकलिस्ट कर दिया गया। यह घटना उनके और उनकी पार्टी के खिलाफ चल रही साजिशों का एक और उदाहरण प्रतीत होती है।
10. घोटाले के आरोपों की असल वजह
केजरीवाल ने आरोप लगाया कि उन्हें जेल में डालने का मुख्य उद्देश्य आम आदमी पार्टी और उनके व्यक्तिगत राजनीतिक करियर को समाप्त करना था, न कि भ्रष्टाचार को उजागर करना। "इनका फॉर्मूला यही है कि पार्टी तोड़ दो, विधायक तोड़ दो, ईडी की छापेमारी कर दो," उन्होंने कहा।
अरविंद केजरीवाल की इस घोषणा और उनके भाषण ने दिल्ली की राजनीति को एक नई दिशा दी है। इस समय, जब वह इस्तीफा देने की तैयारी कर रहे हैं, उनकी हर एक गतिविधि पर देश भर की निगाहें हैं। राजनीति के इस नए अध्याय में, यह देखना होगा कि केजरीवाल की योजनाएं और मांगें कितना प्रभावी होती हैं और आगामी चुनावों में उनकी भूमिका क्या होगी।