Tirupati Balaji: तिरुपति मंदिर के प्रसाद में मिलावट के मुद्दे पर अब सुप्रीम कोर्ट में एक महत्वपूर्ण याचिका दायर की गई है। यह याचिका वकील सत्यम सिंह द्वारा पेश की गई है, जिन्होंने अदालत से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रसाद में मिलावट हिंदू धार्मिक रीति-रिवाजों का उल्लंघन करती है और अनगिनत भक्तों की भावनाओं को आघात पहुंचाती है, जो प्रसादम को एक पवित्र आशीर्वाद मानते हैं।
संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन
याचिका में कहा गया है कि यह स्थिति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है, जो धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करता है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला दिया गया है, जो धार्मिक प्रथाओं की पवित्रता के संरक्षण पर जोर देते हैं। इस याचिका के माध्यम से मंदिर प्रशासन की व्यवस्था पर भी सवाल उठाए गए हैं।
उचित प्रबंधन की मांग
याचिका में उचित प्रबंधन सुनिश्चित करने की मांग की गई है, ताकि हिंदू धार्मिक प्रथाओं की पवित्रता को बनाए रखा जा सके। याचिकाकर्ता ने कहा है कि वे इस कानूनी कार्रवाई के जरिए पवित्र स्थानों के उचित प्रबंधन की आवश्यकता को उजागर करना चाहते हैं। अब सभी की नजरें सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया पर हैं।
शिवसेना और कांग्रेस का बयान
इस मुद्दे पर राजनीति भी गरमा गई है। शिवसेना नेता संजय निरुपम ने आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि तिरुपति मंदिर के प्रसाद के लिए लड्डू बनाने में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया है। उनके अनुसार, रोजाना तीन लाख लड्डू बनते हैं और इससे करोड़ों रुपए का राजस्व आता है, इसलिए इस पाप के लिए पूर्व सरकार को माफी नहीं दी जानी चाहिए।
आंध्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष वाईएस शर्मिला ने केंद्रीय गृह मंत्री को चिट्ठी लिखकर प्रसादम में मिलावट की सीबीआई जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यह मामला गंभीर है और तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए।
पूर्व सीएम का पलटवार
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने इस मामले पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार भगवान के नाम पर राजनीति कर रही है। उनके अनुसार, लोग सरकार के 100 दिनों के काम से संतुष्ट नहीं हैं, और मुख्यमंत्री इस तरह के आरोप लगाकर मुद्दे से ध्यान भटका रहे हैं।
निष्कर्ष
तिरुपति मंदिर के प्रसाद में मिलावट का मुद्दा केवल एक धार्मिक विषय नहीं है, बल्कि यह भक्तों की भावनाओं और धार्मिक आस्था से भी जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया और आगे की कार्रवाई इस मुद्दे की गंभीरता को समझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इस स्थिति ने न केवल धार्मिक समुदाय को प्रभावित किया है, बल्कि यह राजनीतिक विमर्श का भी विषय बन चुका है।