Sheikh Hasina News: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना इस समय भारत में रह रही हैं, लेकिन उन पर मंडराते कानूनी संकट ने उनकी स्थिति को और जटिल बना दिया है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने हसीना सहित 96 अन्य व्यक्तियों के पासपोर्ट को रद्द कर दिया है। यह कार्रवाई जुलाई 2024 में देश में हुए विद्रोह के दौरान हुई हिंसा, मौतों और जबरन गायब करने की घटनाओं से जुड़े आरोपों के आधार पर की गई है।
पासपोर्ट रद्द होने का कारण
बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, निरस्त किए गए पासपोर्टों में से 22 पासपोर्ट जबरन गायब किए गए व्यक्तियों से संबंधित हैं। इसके अलावा, शेख हसीना और 74 अन्य व्यक्तियों को जुलाई के विद्रोह के दौरान हुई हिंसा और कथित मौतों में शामिल होने का आरोपी बताया गया है। इन आरोपों ने पूर्व प्रधानमंत्री की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
गिरफ्तारी का वारंट और गंभीर आरोप
अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने हसीना और 11 अन्य व्यक्तियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। यह वारंट मानवता के खिलाफ अपराधों और नरसंहार के आरोपों पर आधारित है। ट्रिब्यूनल ने सभी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए 12 फरवरी तक की समयसीमा तय की है। न्यायमूर्ति एमडी गोलाम मुर्तुजा मोजुमदार ने जांच की गंभीरता पर जोर देते हुए पुलिस महानिरीक्षक को यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी है कि आरोपियों को न्यायालय में प्रस्तुत किया जाए।
दूसरा गिरफ्तारी वारंट
शेख हसीना को यह दूसरा गिरफ्तारी वारंट मिला है। अगस्त 2024 में ऐतिहासिक सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद अवामी लीग के नेतृत्व वाली सरकार का पतन हुआ था। इसके तुरंत बाद हसीना भारत चली गई थीं। लेकिन जुलाई और अगस्त 2024 में हुए व्यापक विद्रोह के दौरान मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार के आरोपों ने उनकी कानूनी मुश्किलों को और बढ़ा दिया।
भारत में स्थिति तनावपूर्ण
शेख हसीना इस समय भारत में राजनीतिक शरण लिए हुए हैं, लेकिन बांग्लादेश सरकार द्वारा उनका पासपोर्ट रद्द किए जाने और गिरफ्तारी वारंट जारी होने से उनकी स्थिति बेहद संवेदनशील हो गई है। अगर वह भारत से बाहर जाती हैं, तो उनकी गिरफ्तारी सुनिश्चित मानी जा रही है।
आगे का रास्ता कठिन
शेख हसीना के लिए वर्तमान परिदृश्य बेहद चुनौतीपूर्ण है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण द्वारा उनके खिलाफ उठाए गए कदम न केवल उनके राजनीतिक करियर के लिए खतरा हैं, बल्कि उनके व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए भी गंभीर जोखिम उत्पन्न करते हैं।
इस बीच, भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो जाती है। यह देखना होगा कि भारत सरकार इस मामले में किस प्रकार की कूटनीतिक नीति अपनाती है। शेख हसीना के लिए समय तेज़ी से निकल रहा है, और उनके पास अपने बचाव के लिए सीमित विकल्प रह गए हैं।