Rajasthan Politics: राजस्थान की राजधानी जयपुर में इस समय एक दिव्य और ऐतिहासिक आयोजन हो रहा है। विद्याधर नगर स्टेडियम में बालाजी गौशाला संस्थान, सालासर के सानिध्य में श्रीराम कथा का आयोजन किया जा रहा है। इस पुण्य अवसर पर भारत के प्रसिद्ध संत और धार्मिक गुरु रामभद्राचार्य जी कथा का नेतृत्व कर रहे हैं। इस कथा का आयोजन राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की उपस्थिति में हो रहा है, जिन्होंने इस धार्मिक आयोजन में भाग लिया और गुरु रामभद्राचार्य जी का आशीर्वाद प्राप्त किया।
इस आयोजन के दौरान एक महत्वपूर्ण और चौंकाने वाला खुलासा हुआ, जब रामभद्राचार्य जी ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के सामने एक बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि उनके कहने पर ही राजस्थान में ब्राह्मण मुख्यमंत्री बनाया गया है। यह खुलासा सीएम भजनलाल शर्मा के सामने हुआ और इसने सभी उपस्थित श्रद्धालुओं को चौंका दिया।
रामभद्राचार्य ने किया खुलासा: "मैंने ही संकेत दिया था"
गुरु रामभद्राचार्य ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से बात करते हुए बताया कि जब राजस्थान के मुख्यमंत्री पद को लेकर चर्चाएँ चल रही थीं, तब उन्होंने ही "ऊपर वालों" को संकेत दिया था कि इस बार राजस्थान का मुख्यमंत्री एक ब्राह्मण को बनाया जाए। उन्होंने यह भी बताया कि लोग इस पर विचार कर रहे थे कि वसुंधरा राजे नाराज हो सकती हैं, लेकिन रामभद्राचार्य ने इसे हल करने का तरीका बताया और कहा, "मैंने उनसे कहा कि वे स्वयं इस बात को स्वीकार करें।"
इस खुलासे ने सबको हैरान कर दिया, क्योंकि इस समय राजस्थान में भाजपा की सरकार है और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का नाम अचानक सामने आ गया था।
वसुंधरा राजे के बारे में भी हुआ खुलासा
गुरु रामभद्राचार्य ने आगे यह भी कहा कि जब इस बात की चर्चा हो रही थी कि राजस्थान की सत्ता किसे दी जाए, तो उन्होंने ही वसुंधरा राजे के नाम का जिक्र किया था और यह सुनिश्चित किया कि कोई विवाद न हो। उन्होंने बताया कि वसुंधरा के नाम को लेकर जो सवाल उठाए जा रहे थे, उन्हें वे खुद हल करेंगे।
भजनलाल शर्मा का मुख्यमंत्री बनने का इतिहास
राजस्थान में 2023 के अंत में विधानसभा चुनाव हुए थे, जिसमें भारतीय जनता पार्टी ने बहुमत प्राप्त किया। कई दिनों तक अटकलों और चर्चाओं के बाद, भाजपा विधायक दल की बैठक में भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया। उन्होंने 15 दिसंबर 2023 को राजस्थान के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उनके साथ दो उपमुख्यमंत्री – दीया कुमारी और डॉ. प्रेम चंद बैरवा ने भी शपथ ली थी।
इस घटनाक्रम के बाद, यह स्पष्ट हो गया कि गुरु रामभद्राचार्य की भूमिका राजस्थान की राजनीति में भी महत्वपूर्ण रही है। उनका यह खुलासा राज्य के राजनीतिक परिवेश को एक नया दृष्टिकोण देने वाला है।
निष्कर्ष
राजस्थान में श्रीराम कथा का आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके साथ जुड़ी घटनाएँ भी राजनीति और समाज के संदर्भ में बहुत कुछ कहती हैं। गुरु रामभद्राचार्य का यह खुलासा न केवल राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि धार्मिक गुरु और राजनीतिक नेतृत्व के बीच का संबंध कभी-कभी महत्वपूर्ण फैसलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।