Parliament Winter Session: सोमवार, 25 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है, जो 20 दिसंबर तक चलेगा। इस बार का सत्र कई राजनीतिक घटनाओं और मुद्दों की पृष्ठभूमि में आयोजित हो रहा है। महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति सरकार की सत्ता में वापसी और झारखंड में इंडिया गठबंधन की जीत ने सत्र की अहमियत को और बढ़ा दिया है।
सत्र के मुख्य एजेंडे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने इस सत्र में वक्फ अधिनियम संशोधन विधेयक सहित 16 विधेयकों को सूचीबद्ध किया है। इनमें से पांच विधेयक पेश करने, विचार करने और पारित करने के लिए सूचीबद्ध हैं, जबकि दस विधेयकों पर विचार और पारित करने की योजना है। वक्फ अधिनियम पर आधारित विधेयक की जांच संयुक्त संसदीय समिति कर रही है, जो सत्र के दौरान अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है।
विपक्षी दलों की रणनीति
सत्र के पहले दिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के कार्यालय में विपक्षी गठबंधन "इंडिया" ब्लॉक की बैठक होगी। इस बैठक में मणिपुर हिंसा, वक्फ विधेयक और अडानी समूह के खिलाफ अमेरिकी अभियोजकों द्वारा लगाए गए रिश्वतखोरी के आरोप जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई जाएगी।
विपक्ष के एजेंडे में महंगाई, बेरोजगारी और किसान समस्याओं के साथ-साथ हालिया उपचुनाव परिणामों पर चर्चा करना भी शामिल है। कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष इस बार सत्र में अधिक आक्रामक रुख अपनाने की तैयारी में है।
बीजेपी और एनडीए का आत्मविश्वास
महाराष्ट्र विधानसभा में सत्ता में वापसी और उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में जीत के बाद बीजेपी और एनडीए का आत्मविश्वास ऊंचा है। केंद्र सरकार इस सत्र को विकास और नीति आधारित चर्चाओं पर केंद्रित रखने की कोशिश करेगी।
नई शुरुआत की प्रतीक: प्रियंका गांधी
इस सत्र में एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी होगा कि केरल उपचुनाव में चार लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज करने वाली प्रियंका गांधी संसदीय जीवन की शुरुआत करेंगी। यह कांग्रेस के लिए राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कदम है।
सरकार और विपक्ष के बीच संवाद
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सत्र से पहले रविवार को विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठक की। उन्होंने संसद के सुचारू संचालन की अपील की और कहा कि सदन के मामलों का निर्णय सभापति की सहमति और संबंधित समितियों द्वारा किया जाएगा।
क्या उम्मीद करें?
सत्र के दौरान राजनीतिक गर्मी बढ़ने के आसार हैं। जहां सरकार विधेयकों को पारित कराने पर जोर देगी, वहीं विपक्ष महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा। मणिपुर हिंसा, वक्फ अधिनियम और अडानी मामले जैसे मुद्दे संसद की कार्यवाही में बाधा डाल सकते हैं।
यह सत्र राजनीतिक गतिशीलता और विधायी प्रगति का मिश्रण होगा। जनता की नजरें इस पर टिकी रहेंगी कि क्या यह सत्र सिर्फ बहसों तक सीमित रहेगा या कुछ महत्वपूर्ण फैसले लेकर आएगा।