Delhi Vidhan Sabha: दिल्ली विधानसभा का दो दिवसीय सत्र आज से शुरू हो रहा है, और यह सत्र कई मायनों में ऐतिहासिक माना जा रहा है। पहली बार ऐसा हो रहा है कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सिर्फ एक विधायक के रूप में सदन में मौजूद रहेंगे। उनकी जगह, नई मुख्यमंत्री आतिशी ने पदभार संभाला है। हालाँकि, उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि अरविंद केजरीवाल की कुर्सी को खाली रखा जाएगा, और वह किसी अन्य कुर्सी से सरकार चलाएंगी। आतिशी का यह कदम एक प्रतीकात्मक संदेश है कि अरविंद केजरीवाल की वापसी का इंतजार रहेगा।
सदन में केजरीवाल की उपस्थिति
इस सत्र की खास बात यह होगी कि अरविंद केजरीवाल सदन में एक विधायक के तौर पर मौजूद रहेंगे। सवाल यह है कि क्या केजरीवाल अपनी पुरानी सीट पर बैठेंगे, जो मुख्यमंत्री की कुर्सी होती है, या उनके लिए अलग सीट निर्धारित की जाएगी। आमतौर पर मुख्यमंत्री की कुर्सी स्पीकर के आसन के ठीक सामने होती है, जबकि नेता विपक्ष की सीट मुख्यमंत्री की कुर्सी के 90 डिग्री के कोण पर होती है।
केजरीवाल की गिरफ्तारी और जेल में छह महीने बिताने के बाद यह सत्र हो रहा है। दिल्ली शराब नीति घोटाले में उनकी गिरफ्तारी के कारण विधानसभा की कार्यवाही लंबे समय तक ठप पड़ी रही। अब जब यह सत्र हो रहा है, विपक्ष खासतौर पर बीजेपी की नजर इस पर है, और वह कई मुद्दों को लेकर सरकार पर हमलावर रहने वाली है।
विपक्ष के हमले के मुद्दे
इस सत्र में विपक्ष कई गंभीर मुद्दों को उठाने की तैयारी कर रहा है, जो सीधे तौर पर दिल्ली सरकार की कार्यप्रणाली और उसकी जिम्मेदारियों से जुड़े हैं। इनमें प्रमुख मुद्दे निम्नलिखित हैं:
- बारिश में 50 लोगों की मौत: दिल्ली में भारी बारिश के चलते जनहानि हुई है, और विपक्ष इसे लेकर सरकार पर निशाना साधेगा।
- कैग की लंबित 11 रिपोर्ट्स: कैग की कई रिपोर्ट्स लंबित पड़ी हैं, जिन्हें लेकर जवाबदेही तय करने की मांग उठाई जाएगी।
- राशन कार्ड्स का वितरण: लगभग 95,000 गरीबों को अभी तक राशन कार्ड्स नहीं मिले हैं, जो सरकार की बड़ी नाकामी के रूप में देखा जा रहा है।
- पीने के पानी की किल्लत: दिल्ली के कई इलाकों में पानी की भारी कमी है, जो एक बड़ा सामाजिक और राजनीतिक मुद्दा बन चुका है।
- बुजुर्गों की पेंशन: बुजुर्गों को पेंशन मिलने में देरी और समस्याओं को लेकर भी सरकार पर सवाल उठाए जाएंगे।
- प्रदूषण का बढ़ता स्तर: दिल्ली की वायु गुणवत्ता लगातार खराब होती जा रही है, और विपक्ष इसे एक गंभीर स्वास्थ्य संकट के रूप में उठा सकता है।
- लचर परिवहन व्यवस्था: दिल्ली की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था भी विपक्ष के निशाने पर रहेगी, जिसमें मेट्रो और बस सेवाओं की खस्ता हालत शामिल है।
- डीयू के 12 कॉलेजों का फंड: दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 कॉलेजों को फंड रोकने के मामले पर भी सरकार को घेरा जाएगा।
- दिल्ली जल बोर्ड का कर्ज: जल बोर्ड पर 73,000 करोड़ रुपये का कर्ज एक बड़ा मुद्दा रहेगा, जो दिल्ली सरकार की वित्तीय योजनाओं पर सवाल खड़े करता है।
- अस्पतालों में भ्रष्टाचार: अस्पतालों के निर्माण में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर भी सरकार को जवाब देना होगा।
- DSEU में फर्जी नियुक्तियां: दिल्ली स्किल एंड एंटरप्रेन्योरशिप यूनिवर्सिटी (DSEU) में हुई फर्जी नियुक्तियों का मुद्दा भी सत्र में गूंज सकता है।
- केंद्र सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन: केंद्र की कई योजनाओं को दिल्ली में लागू न करने के आरोप भी इस सत्र का अहम मुद्दा होंगे।
विधानसभा सत्र के महत्व
इस सत्र का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि अरविंद केजरीवाल के गैर-मौजूदगी के दौरान सरकार की कार्यशैली पर विपक्ष की कड़ी नजर है। आतिशी के मुख्यमंत्री बनने के बाद यह पहला विधानसभा सत्र है, और ऐसे में विपक्ष की ओर से सरकार को कई कठिन सवालों का सामना करना पड़ेगा।
विपक्ष खासतौर पर यह दिखाने की कोशिश करेगा कि केजरीवाल की गैर-मौजूदगी के दौरान दिल्ली सरकार की स्थिति कमजोर हुई है। अब देखना यह होगा कि इस सत्र में सरकार कैसे विपक्ष के हमलों का सामना करती है और कौन से निर्णय लिए जाते हैं।