Pakistan Election: भारत का पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान इस वक्त आर्थिक स्थिति से जूझ रहा है. पाकिस्तान में 8 फरवरी को आम चुनाव होने हैं, ऐसे में देश को अंतरराष्ट्रीय और घरेलू चुनौतियों से निपटने के लिए एक राजनीतिक सहमति और सेना के हस्तक्षेप के बिना काम करने वाली मजबूत सरकार की जरूरत है. देश में होने वाले चुनाव से पहले 2018 के चुनावों की झलक दिखने लगी है.
पाकिस्तान में जुलाई 2018 में पनामा पेपर्स में नाम आने की वजह से चुनावों से ठीक 2 हफ्ते पहले नवाज शरीफ को भ्रष्टाचार के मामले में दो साल की सजा हुई थी. इसके अलावा उन्हें एवेनफील्ड मामले में 10 साल जेल की सजा सुनाई गई थी. दुनिया भर में इस बात की चर्चा हुई और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की राजनीतिक पारी खत्म हो गई, लेकिन नवाज ने इसके बाद पाकिस्तान की सियासत में कमबैक किया बल्कि 2024 में होने वाले चुनाव में वो चौथी बार प्रधानमंत्री बनने के मजबूत दावेदार बनके भी उभरे. वहीं 2024 में भी चुनावों से ठीक पहले देश के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को भी सिफर और तोशखाना मामले में जेल हो गई है. 2023 मई में इमरान को कादिर ट्रस्ट केस में गिरफ्तार किया गया था.
2018 की दिला रहा याद
पाकिस्तान में जब 2018 में नवाज शरीफ का पतन हुआ था तो पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख इमरान खान का सियासत में उदय हुआ था. इमरान खान ने 2018 के चुनावों में जीत हासिल कर सरकार बनाई. देश में छह साल बाद फिर चुनाव होने वाले हैं, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री की किस्मत पलट गई है.
चुनाव से ठीक कुछ दिन पहले 30 जनवरी को पाकिस्तान की एक विशेष अदालत ने सिफर मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी दोनों को 10 साल जेल की सजा सुनाई. इसके एक दिन बाद यानी 31 जनवरी को इमरान और उनकी पत्नी को तोशखाना मामले में सऊदी क्राउन प्रिंस से प्रधानमंत्री के रूप में मिले गिफ्ट का दुरुपयोग के आरोप में 14 साल की कैद की सजा सुनाई थी. भ्रष्टाचार मामले की वजह से इमरान 8 फरवरी को होने वाले चुनाव लड़ नहीं सकते हैं. चुनाव आयोग ने इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ का चुनाव चिन्ह बल्ला को भी जब्त कर लिया है. फिलहाल इमरान रावलपिंडी की अटॉक जेल में बंद है. ऐसे में ये सारा वाकया 2018 की याद दिला रहा है.
वापसी होने की है संभावना
इमरान खान के लिए ऐसा कहा जा रहा है कि उनके राजनीतिक करियर का ये अंत है. हालांकि नवाज शरीफ के लिए भी 2018 में ऐसा ही कहा गया था, लेकिन पाकिस्तान में तब तक किसी की राजनीतिक पारी खत्म नहीं होती है जब तक उसकी सांसे थम नहीं जाती हैं. इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण नवाज शरीफ है. 2022 में फ्लोर टेस्ट में बहुमत हासिल करने के बाद पाकिस्तान में नवाज के भाई शहबाज ने सरकार बनाई. इसके बाद तोशखाना मामले में अक्टूबर 2023 में नवाज शरीफ को जमानत मिल गई, जिसके बाद उनकी राजनीति में आश्चर्यजनक वापसी हुई है. ऐसे में इमरान की पार्टी इस बार चुनाव जीत जाती है तो इमरान खान की भी राजनीति में वापसी होने की संभावना है.