Aam Aadmi Party: दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार के कार्यकाल के दौरान कई विभागों में भ्रष्टाचार के मामलों का खुलासा हुआ है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) और दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय (DOV) की रिपोर्ट में गंभीर वित्तीय अनियमितताओं को उजागर किया गया है। इन रिपोर्टों के अनुसार, शिक्षा विभाग और लोक निर्माण विभाग (PWD) में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है, जिसमें 1300 करोड़ रुपये तक की वित्तीय अनियमितताओं की बात सामने आई है।
विद्यालयों में कक्षाओं के निर्माण में अनियमितताएं
DOV की रिपोर्ट के अनुसार, 193 स्कूलों में 2405 कक्षाओं के निर्माण के दौरान गंभीर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को अंजाम दिया गया। यह रिपोर्ट दिल्ली के मुख्य सचिव को सौंपी गई है, जिसमें एक विशेष एजेंसी द्वारा विस्तृत जांच की सिफारिश की गई है।
मुख्य आरोप
निविदा प्रक्रिया का उल्लंघन: बिना किसी खुली निविदा के ठेकेदारों को 500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वृद्धि की अनुमति दी गई।
Trending :अतिरिक्त भुगतान: निर्माण कार्यों में 205.45 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ा।
अनुचित ठेकेदार चयन: बिना उचित अनुमोदन के ठेकेदारों को निविदा से अधिक भुगतान किया गया।
बिना ज़रूरत के शौचालय निर्माण: 116 शौचालय ब्लॉकों की आवश्यकता के बावजूद 1214 शौचालय ब्लॉक बनाए गए, जिससे 37 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय हुआ।
अधूरी परियोजनाएं: कई निर्माण कार्य अधूरे छोड़ दिए गए, जबकि उन्हें पूर्ण दिखाया गया।
निर्माण की लागत में असामान्य वृद्धि: कक्षाओं के निर्माण की अनुमानित लागत निविदा के बाद 17% से 90% तक बढ़ा दी गई।
फर्जी रिपोर्टिंग: कुछ मामलों में शौचालय ब्लॉकों को कक्षा के रूप में दिखाया गया।
भ्रष्टाचार में निजी व्यक्तियों की संदिग्ध भूमिका
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि एक निजी फर्म, "मेसर्स बब्बर एंड बब्बर एसोसिएट्स," ने सरकार के निर्णयों को प्रभावित किया और बिना किसी आधिकारिक नियुक्ति के परियोजना में हस्तक्षेप किया। इन व्यक्तियों ने 21 जून 2016 को तत्कालीन PWD मंत्री के कक्ष में एक बैठक में भाग लिया और उनके सुझावों के आधार पर 205.45 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय किया गया।
CVC और अन्य एजेंसियों की भूमिका
केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने फरवरी 2020 में इस मामले पर डीओवी से रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने इसे लगभग ढाई साल तक दबाए रखा। दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने अगस्त 2023 में इस देरी की जांच के आदेश दिए, जिसके बाद मामले का खुलासा हुआ।
निष्कर्ष
CAG और DOV की रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि दिल्ली सरकार के कार्यकाल में PWD और शिक्षा विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ। बिना अनुमोदन के किए गए अतिरिक्त व्यय, निविदा प्रक्रिया में हेरफेर, अधूरे निर्माण कार्य, और सरकारी धन के दुरुपयोग की घटनाएं सामने आई हैं। यह मामला न केवल वित्तीय अनियमितताओं को दर्शाता है, बल्कि प्रशासनिक स्तर पर लापरवाही और नियमों के उल्लंघन की भी पुष्टि करता है।