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India-Canada Relations:भारत से इतना क्यों चिढ़ता है कनाडा, कब-कैसे बिगड़े रिश्ते? समझें 5 पॉइंट में

India-Canada Relations: भारत और कनाडा के रिश्ते सबसे खराब दौर में पहुंच चुके हैं. भारत ने अपने उच्चायुक्त समेत कई अफसरों को वापस बुला लिया है. भारत ने कनाडा के

India-Canada Relations: कनाडा और भारत के बीच संबंध आज अपने सबसे खराब दौर में पहुंच गए हैं। भारत ने हाल ही में अपने उच्चायुक्त और कई अधिकारियों को वापस बुला लिया है, जबकि कनाडा के पांच राजनयिकों को 19 अक्तूबर 2024 तक देश छोड़ने का आदेश दिया है। हालांकि, यह स्थिति अचानक नहीं बनी, बल्कि इसके पीछे वर्षों की घटनाएं और गलतफहमियां हैं। ताज़ा घटनाओं ने पुराने घावों को ताज़ा कर दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच कड़वाहट और बढ़ गई है।

अब सवाल उठता है, आखिर कनाडा और भारत के रिश्ते इतने तनावपूर्ण क्यों हैं? कनाडा क्यों भारत के साथ मधुर संबंध नहीं बना पा रहा? आइए पांच प्रमुख बिंदुओं के माध्यम से इस जटिल संबंध को समझते हैं।

1. ऑपरेशन ब्लू स्टार, इंदिरा गांधी की हत्या और खालिस्तानी कनेक्शन

भारत और कनाडा के रिश्तों में पहली बड़ी खटास 1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार और इंदिरा गांधी की हत्या के बाद आई। 1985 में एयर इंडिया की उड़ान में हुए विस्फोट में 329 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें खालिस्तानी आतंकियों का हाथ बताया गया था। उस समय कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के पिता, पियरे ट्रूडो थे, और इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं।

हालांकि, इस बड़े हादसे में खालिस्तानी आतंकियों का कनेक्शन सामने आने के बावजूद, कनाडा सरकार ने इस मामले में कठोर कार्रवाई नहीं की। मुख्य आरोपी इंद्रजीत सिंह रेयात को दोषी ठहराए जाने के बावजूद कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियां जारी रहीं। इससे भारत में गुस्सा और बढ़ा।

2. खालिस्तानी समर्थन और भारत पर आरोप लगाने की नीति

कनाडा की धरती पर खालिस्तान समर्थकों को मिल रहे समर्थन ने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ाया है। कनाडा में खालिस्तानी संगठन न केवल सक्रिय हैं, बल्कि उन्हें राजनीतिक और सामाजिक समर्थन भी मिलता रहा है। भारत ने कई बार कनाडा को इन संगठनों पर कार्रवाई करने की चेतावनी दी, लेकिन कनाडा ने इसे नजरअंदाज किया।

2023 में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद, कनाडा में भारतीय अधिकारियों को इस हत्या का दोषी ठहराया गया। इस मामले में कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर सार्वजनिक रूप से आरोप लगाए, जिससे दोनों देशों के बीच संबंध और बिगड़ गए।

3. वोटों की राजनीति और भारत विरोधी बयान

कनाडा में खालिस्तानी समर्थक समूहों का समर्थन वहां के नेताओं के वोट बैंक की राजनीति से भी जुड़ा है। भारत के खिलाफ बयानबाजी और खालिस्तान समर्थकों को खुली छूट देने से कनाडाई सरकार को सिख समुदाय का समर्थन मिलता रहा है।

निज्जर की हत्या के बाद खालिस्तानी संगठनों ने इंदिरा गांधी की हत्या का समर्थन करने वाले बैनर लहराए, जिससे भारतीय जनता और सरकार में आक्रोश फैल गया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस घटना की निंदा करते हुए कनाडा सरकार को चेताया, लेकिन ट्रूडो सरकार ने इसे अनदेखा कर दिया।

4. ट्रूडो का भारत विरोधी रुख

कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का भारत के प्रति रुख हमेशा से ही विवादास्पद रहा है। 2023 में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान जब ट्रूडो भारत आए, तो उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में भारत के साथ सहयोग करने का कोई उत्साह नहीं दिखाया। यहां तक कि उनके विमान खराब होने पर भारत ने उन्हें सुरक्षित विमान की पेशकश की थी, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया।

यह साफ़ दिखाता है कि ट्रूडो की भारत के प्रति नीतियों में कोई लचीलापन नहीं है। कनाडा लौटने के बाद ट्रूडो ने संसद में भारत के खिलाफ और तीखे बयान दिए, जिससे दोनों देशों के बीच संबंध और खराब हो गए।

5. वीजा सेवाएं रद्द करना और कूटनीतिक तनाव

सितंबर 2023 में कनाडा ने भारत पर खालिस्तानी आतंकी की हत्या का आरोप लगाते हुए भारतीय खुफिया अधिकारी को वापस भेजने का आदेश दिया। इसके जवाब में भारत ने कनाडा के लिए वीजा सेवाएं निलंबित कर दीं।

जनवरी 2024 में कनाडा ने फिर से भारत पर चुनाव में हस्तक्षेप का आरोप लगाया, जिससे दोनों देशों के बीच और तनाव बढ़ गया। अप्रैल 2024 में, कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों द्वारा लगाए गए नारों के बाद भारत ने फिर कड़ी प्रतिक्रिया दी, लेकिन कनाडा ने इन घटनाओं को अनदेखा किया।

निष्कर्ष

कनाडा और भारत के बीच संबंधों में आई खटास एक दिन या एक घटना का परिणाम नहीं है। यह कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों को मिल रहे समर्थन और दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी का नतीजा है। जहां एक ओर भारत दुनिया में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, वहीं कनाडा के साथ उसके रिश्ते भविष्य में किस दिशा में जाएंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।

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