Ratan Tata:रतन टाटा के जाने के बाद अब टाटा की विरासत कौन संभालेगा

08:10 AM Oct 10, 2024 | zoomnews.in

Ratan Tata: बुधवार रात करीब 11:30 बजे टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का निधन हो गया, जिससे न केवल टाटा ग्रुप बल्कि पूरा देश शोक में है। रतन टाटा भारतीय उद्योग जगत के एक ऐसे चमकते सितारे थे, जिन्होंने अपनी दूरदृष्टि, लीडरशिप और इनोवेशन से टाटा समूह को एक वैश्विक पहचान दिलाई। अब उनके जाने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि उनकी इस विरासत को कौन संभालेगा।

टाटा समूह की विरासत और नेतृत्व

टाटा समूह का इतिहास गौरवशाली रहा है। 1868 में जमशेदजी टाटा द्वारा स्थापित इस समूह ने न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, बल्कि इसे वैश्विक मंच पर भी पहचान दिलाई। जमशेदजी टाटा के बाद, उनके उत्तराधिकारी सर दोराबजी टाटा (1904-1932), जे आर डी टाटा (1938-1991), और रतन टाटा (1991-2012) ने कंपनी की कमान संभाली। टाटा ग्रुप में अब तक शीर्ष नेतृत्व टाटा परिवार के सदस्यों को ही सौंपा जाता रहा है, लेकिन वर्तमान में कंपनी की कमान एन चंद्रशेखरन के पास है, जो टाटा परिवार से नहीं हैं।

रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल नवल टाटा के बच्चे लिआह, माया और नेविल टाटा भी कंपनी में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं। लिआह टाटा, जो टाटा समूह की सबसे बड़ी बेटी हैं, फिलहाल द इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड (IHCL) में वाइस प्रेसिडेंट के पद पर कार्यरत हैं। वहीं, माया टाटा ने टाटा कैपिटल में एनालिस्ट के रूप में अपनी करियर की शुरुआत की थी, जबकि नेविल टाटा ने अपनी प्रोफेशनल जर्नी ट्रेंट से शुरू की।

टाटा ग्रुप की अटल धरोहर

टाटा समूह ने अपनी स्थापना के बाद से भारतीय उद्योग जगत में कई मील के पत्थर स्थापित किए हैं। इसकी कंपनियां 100 से अधिक देशों में फैली हैं और यह 10 लाख से अधिक लोगों को रोजगार देती है। टाटा समूह के प्रोडक्ट्स ने भारतीयों के दैनिक जीवन का हिस्सा बनकर एक अनोखी पहचान बनाई है, चाहे वह चाय हो, कार हो, या घड़ी और एंटरटेनमेंट सेवाएं हों। टाटा ग्रुप का कुल रेवेन्यू 2023-24 में 13.86 लाख करोड़ रुपये था।

रतन टाटा के 5 प्रेरणादायक बिजनेस लेसन

रतन टाटा का जीवन और करियर सफलता और संघर्ष का प्रतीक है। उनके द्वारा दिए गए पांच महत्वपूर्ण बिजनेस लेसन आज भी हर उद्यमी और लीडर के लिए मार्गदर्शक हैं:

  1. रिस्क टेकर: रतन टाटा ने हमेशा बड़े जोखिम उठाए। उन्होंने जगुआर लैंड रोवर और यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी स्टील कंपनी कोरस का अधिग्रहण कर टाटा समूह को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। टेटली चाय कंपनी का अधिग्रहण भी उनकी बड़ी उपलब्धियों में से एक था।

  2. डिसीजन मेकर: 1990 के दशक में जब उन्होंने पैसेंजर कार बनाने का फैसला लिया, तो इसकी कड़ी आलोचना हुई थी। लेकिन उन्होंने टाटा को एक सफलतम कार कंपनी बना दिया। उनका कोरस का अधिग्रहण भी एक साहसिक कदम था, जिसने कंपनी को लाभान्वित किया।

  3. आइडिएटर: रतन टाटा ने एक लाख रुपये की कार का सपना देखा और 2009 में टाटा नैनो लॉन्च की। भले ही यह प्रोजेक्ट अंततः बंद हो गया हो, लेकिन उनके आइडिया की तारीफ आज भी की जाती है। टाटा इंडिका और टाटा सफारी भी उनके दूरदर्शी नेतृत्व का परिणाम हैं।

  4. लीडर: रतन टाटा न केवल एक अच्छे बिजनेस लीडर थे, बल्कि अपने कर्मचारियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी थे। उन्होंने हमेशा कर्मचारियों का साथ दिया और उनके कठिन समय में उनके साथ खड़े रहे। एक बार वे दो साल से अस्वस्थ एक पूर्व कर्मचारी से मिलने मुंबई से पुणे तक गए थे, जिससे उनकी संवेदनशीलता और नेतृत्व की गहराई का पता चलता है।

  5. इनोवेटर: रतन टाटा ने हमेशा नवाचार पर जोर दिया। उन्होंने न केवल इंडिका और नैनो जैसी कारों का निर्माण किया, बल्कि ओला इलेक्ट्रिक, लेंसकार्ट, और पेटीएम जैसे स्टार्टअप्स में निवेश कर यह साबित किया कि नवाचार ही किसी कंपनी का भविष्य निर्धारित करता है।

आगे की राह: कौन संभालेगा टाटा की विरासत?

रतन टाटा की विरासत का भार किसके कंधों पर जाएगा, यह सवाल टाटा ग्रुप के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। वर्तमान में एन चंद्रशेखरन टाटा संस के चेयरमैन हैं और उन्होंने टाटा ग्रुप को अच्छी तरह से संभाला है। लेकिन आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या टाटा परिवार का कोई सदस्य इस भूमिका में आगे आएगा, या कंपनी इसी तरह बाहरी प्रोफेशनल्स के हाथों में रहेगी।

निष्कर्ष
रतन टाटा के निधन के साथ एक युग का अंत हो गया, लेकिन उनकी विरासत और उनके द्वारा सिखाए गए बिजनेस लेसन हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे। टाटा ग्रुप का भविष्य चाहे जिसकी भी अगुवाई में हो, यह तय है कि रतन टाटा द्वारा स्थापित सिद्धांत और मूल्य हमेशा इसका मार्गदर्शन करते रहेंगे।