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Rana Sanga Controversy:कौन थे मेवाड़ के राजा राणा सांगा? सेना में थे 80 हजार घोड़े, 500 हाथी और दो लाख पैदल सैनिक

10:14 PM Mar 26, 2025 | zoomnews.in

Rana Sanga Controversy: मेवाड़ के राजा राणा सांगा अचानक सुर्खियों में आ गए। समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सदस्य रामजीलाल सुमन ने राणा सांगा को लेकर विवादित बयान दिया, जिसके बाद यह मामला गरमा गया। अगर इतिहास के पन्नों में झांके तो राणा सांगा पर काफी कुछ लिखा गया है। लेकिन हम यहां राणा सांगा के बारे में जानेंगे, यह भी जानेंगे कि उनकी सेना कैसी थी और कैसे उन्होंने बड़े-बड़े महारथियों को युद्ध के मैदान में धूल चटाई थी।

राणा सांगा का जीवन परिचय

भारत के इतिहास में राणा सांगा का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि राणा सांगा के बिना मेवाड़ का उल्लेख अधूरा है। वे 16वीं शताब्दी में मेवाड़ के एक शक्तिशाली और प्रसिद्ध राजा थे। राणा सांगा ने अपने शासनकाल में मेवाड़ को एक मजबूत और समृद्ध राज्य बना दिया था। उनका जन्म 12 अप्रैल 1482 को चित्तौड़गढ़ में हुआ था। वे राणा रायमल के पुत्र और मेवाड़ के राजवंश के सदस्य थे। उनका पूरा नाम महाराणा संग्राम सिंह था, लेकिन वे राणा सांगा के नाम से प्रसिद्ध हुए।

शासनकाल और सैन्य शक्ति

राणा सांगा 1509 में अपने पिता की मृत्यु के बाद मेवाड़ के उत्तराधिकारी बने। उनके राज्य की सीमा पूरब में आगरा और दक्षिण में गुजरात तक फैली हुई थी। उनकी सेना में 80 हजार घोड़े, 500 हाथी और लगभग दो लाख पैदल सैनिक थे। उनकी सेना अनुशासन, नेतृत्व और सैन्य प्रशिक्षण में श्रेष्ठ थी। उनका अश्वदल बेहद शक्तिशाली था और उनकी पैदल सेना भी संगठित थी। यही कारण था कि उनकी सेना युद्ध में शुरुआत से ही दुश्मनों पर हावी रहती थी।

प्रमुख युद्ध और विजय

राणा सांगा ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण युद्ध लड़े और उन्हें विजय प्राप्त हुई।

  1. खातोली का युद्ध (1517) – यह युद्ध राणा सांगा और दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी के बीच लड़ा गया था, जिसमें राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को बुरी तरह हराया था।

  2. धौलपुर युद्ध (1518-19) – इब्राहिम लोदी ने बदला लेने के लिए फिर से हमला किया, लेकिन राणा सांगा ने उसे फिर से हरा दिया।

  3. मालवा युद्ध (1517 और 1519) – राणा सांगा ने मालवा के शासक महमूद खिलजी द्वितीय को हराकर उसे बंदी बना लिया और बाद में उसे माफ कर दिया।

  4. निज़ाम खान की पराजय (1520) – उन्होंने निज़ाम खान की सेना को हराकर उत्तरी गुजरात पर कब्जा कर लिया।

  5. बयाना का युद्ध (1527) – इस युद्ध में उन्होंने बाबर की सेना को पराजित किया, जिससे मुगल सेना का मनोबल टूट गया।

खानवा युद्ध और अंतिम समय

राणा सांगा ने बाबर की बढ़ती ताकत को रोकने के लिए एकजुट होकर युद्ध किया। 1527 में खानवा के युद्ध में बाबर और राणा सांगा की सेनाओं का आमना-सामना हुआ। हालांकि, इस युद्ध में राणा सांगा को पराजय का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी वीरता के कारण वे इतिहास में अमर हो गए। उनके शरीर पर 80 से अधिक घाव थे, उनकी एक आंख, एक हाथ और एक पैर नहीं था, लेकिन फिर भी वे अंतिम समय तक लड़े। 30 जनवरी 1528 को उनकी मृत्यु हो गई।