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Waqf Amendment Bill:संसद में वक्फ बिल पेश, मुसलमानों को सरकार ने दिए ये 5 'भरोसे'

02:30 PM Apr 02, 2025 | zoomnews.in

Waqf Amendment Bill: लोकसभा में बुधवार दोपहर को वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पेश किया गया। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने प्रश्नकाल के बाद इसे चर्चा के लिए सदन में प्रस्तुत किया। इस विधेयक पर चर्चा के लिए आठ घंटे का समय निर्धारित किया गया है, लेकिन विपक्ष ने इसे बढ़ाकर 12 घंटे करने की मांग की, जिसके कारण सदन में जोरदार हंगामा हुआ।

इतिहास में पहली बार रिकॉर्ड संख्या में याचिकाएं

किरेन रिजिजू ने जानकारी दी कि इस विधेयक को लेकर अब तक की सबसे अधिक संख्या में 97,27,772 याचिकाएं प्राप्त हुई हैं। इसके अलावा, 284 डेलिगेशन ने विभिन्न समितियों के समक्ष अपनी राय रखी है। रिजिजू ने दावा किया कि इस विधेयक का विरोध करने वाले भी अंततः इसे एक सकारात्मक सोच के साथ समर्थन देंगे।

सरकार द्वारा मुसलमानों को दिए गए 5 भरोसे

सरकार ने इस विधेयक को लेकर मुसलमानों की चिंताओं को दूर करने के लिए पांच प्रमुख आश्वासन दिए हैं:

  1. मस्जिदों पर कोई कार्रवाई नहीं: किरेन रिजिजू ने स्पष्ट किया कि इस विधेयक में किसी भी मस्जिद पर किसी प्रकार की कार्रवाई का कोई प्रावधान नहीं है। यह पूरी तरह से संपत्ति से संबंधित मामला है और धार्मिक संस्थानों से इसका कोई संबंध नहीं है।

  2. धार्मिक स्थलों की व्यवस्था में हस्तक्षेप नहीं: सरकार ने स्पष्ट किया कि वक्फ संशोधन विधेयक में किसी भी धार्मिक स्थल, विशेषकर मस्जिदों की व्यवस्था में किसी प्रकार के हस्तक्षेप का प्रावधान नहीं है। इसमें कोई बदलाव या हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा।

  3. धार्मिक गतिविधियों में हस्तक्षेप का कोई प्रावधान नहीं: इस विधेयक में किसी भी धार्मिक कार्यकलाप में हस्तक्षेप का कोई प्रावधान नहीं है। सरकार ने कहा कि मस्जिदों के संचालन में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा और वक्फ बोर्ड कानून के दायरे में काम करेगा।

  4. सरकारी भूमि और विवादित संपत्ति का प्रबंधन: विधेयक के अनुसार, कलेक्टर से ऊपर का अधिकारी ही सरकारी जमीन और किसी विवादित संपत्ति के मामलों को देखेगा। वक्फ संपत्ति को किसी भी आदिवासी क्षेत्र में निर्मित नहीं किया जा सकता। यह बदलाव इस विधेयक का एक अहम पहलू है।

  5. वक्फ काउंसिल में गैर-मुस्लिम सदस्यों की सीमित संख्या: सरकार ने वादा किया कि वक्फ काउंसिल में कुल 22 सदस्यों में से 4 से अधिक सदस्य गैर-मुसलमान नहीं होंगे। इनमें पूर्व अधिकारियों सहित संसद के तीन सदस्य चुने जाएंगे, जो किसी भी धर्म के हो सकते हैं।

विपक्ष का विरोध और आगे की रणनीति

विपक्ष ने विधेयक के चर्चा समय को 12 घंटे तक बढ़ाने की मांग की, जिससे संसद में तीखी बहस छिड़ गई। विपक्ष का तर्क है कि यह विधेयक व्यापक प्रभाव डालेगा, इसलिए इसे अधिक समय तक चर्चा के लिए उपलब्ध कराना चाहिए।

सरकार ने हालांकि यह संकेत दिया है कि विधेयक को निष्पक्ष रूप से लागू किया जाएगा और यह केवल संपत्ति प्रबंधन और विवाद समाधान पर केंद्रित रहेगा।