Israel-Iran War:UN-ईरान का साथ देने वालों पर इजराइली अधिकारी भड़का, भारत से खास नाता

09:03 AM Oct 03, 2024 | zoomnews.in

Israel-Iran War: ईरान और इजराइल के बीच तनाव इन दिनों चरम पर है, और दोनों देशों के बीच लगातार वार-पलटवार की स्थिति बनी हुई है। इस बीच, भारत में इजराइल के पूर्व राजदूत डैनियल कार्मन ने भारत और इजराइल के रिश्तों पर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने भारत के महत्व और रणनीतिक साझेदारी पर जोर देते हुए कहा कि इस गंभीर स्थिति को भारत को भी नज़दीकी से देखना चाहिए, क्योंकि यह अप्रत्यक्ष रूप से भारत से भी जुड़ा हुआ है।

भारत-इजराइल के रणनीतिक संबंध

डैनियल कार्मन के अनुसार, भारत और इजराइल के बीच लंबे समय से मजबूत द्विपक्षीय संबंध रहे हैं। उन्होंने कहा, "भारत इजराइल का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है। हमारे अच्छे राजनयिक, आर्थिक, और सैन्य सहयोग हैं।" कार्मन ने यह भी कहा कि भारत को इस क्षेत्रीय संकट का बारीकी से अवलोकन करना चाहिए, क्योंकि भारत खाड़ी देशों के करीब है और उन देशों के साथ उसके घनिष्ठ सहयोगी संबंध हैं। यह स्पष्ट है कि इजराइल के लिए भारत केवल एक व्यापारिक साझेदार नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक और रणनीतिक सहयोगी भी है।

1 अक्टूबर के हमले के समय इजराइल में माहौल

1 अक्टूबर को जब ईरान ने इजराइल पर एक बड़ा हमला किया, उस समय देश का माहौल काफी तनावपूर्ण था। डैनियल कार्मन ने इस बारे में जानकारी दी कि कैसे इजराइल की पूरी आबादी दो घंटे तक बम शेल्टरों में बंद रही। यह हमला इजराइल के इतिहास का सबसे बड़ा बैलिस्टिक और मिसाइल हमला था। हालांकि, इजराइल की प्रभावशाली वायु रक्षा प्रणाली ने इस हमले को गंभीर नुकसान पहुंचाने से रोक लिया। कार्मन ने कहा, "सौभाग्य से हमारे पास तीन से चार लेयर वाली एक मजबूत वायु रक्षा प्रणाली है। हालांकि कुछ मामूली नुकसान हुए, लेकिन जीवन की हानि कम रही।"

संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक प्रतिक्रिया पर कार्मन की टिप्पणी

संयुक्त राष्ट्र के बारे में बात करते हुए, डैनियल कार्मन ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव के कामकाज पर असंतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "संयुक्त राष्ट्र गाजा और वेस्ट बैंक में काफी सक्रिय है, लेकिन 1 अक्टूबर के भयानक हमले के समय महासचिव ने ईरान का उल्लेख नहीं किया। यह उचित नहीं है। उन्हें राजनीतिक रूप से अधिक सतर्क और निष्पक्ष होने की आवश्यकता है।" कार्मन का यह बयान दर्शाता है कि इजराइल को वैश्विक संगठनों से उचित समर्थन और तटस्थता की अपेक्षा है, खासकर ऐसे तनावपूर्ण समय में।

इजराइल के सामने कई मोर्चे

डैनियल कार्मन ने इजराइल के समक्ष विभिन्न मोर्चों पर हो रहे संघर्षों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इजराइल को हूती, इराक, वेस्ट बैंक, सीरिया, हमास, हिजबुल्लाह और ईरान से एक साथ लड़ना पड़ रहा है। "यह एक असंभव स्थिति है, लेकिन हमारे पास मजबूत सेना, रक्षा प्रणाली और कई सहयोगी देश हैं," उन्होंने कहा। कार्मन ने यह भी बताया कि ईरान के साथ जुड़े हुए तुर्की, रूस, चीन, लेबनान और यमन जैसे देश 'बुराइयों की धुरी' के रूप में इजराइल के लिए खतरा बने हुए हैं।

ईरान को 'कीमत चुकानी' होगी

पूर्व राजदूत कार्मन ने स्पष्ट रूप से कहा कि इजराइल इस स्थिति से डरा हुआ नहीं है, बल्कि अपने दुश्मनों का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने कहा, "ईरान ने जो किया है, उसे उसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।" उनका यह बयान इजराइल के दृढ़ संकल्प और रक्षा नीति की ताकत को उजागर करता है। इजराइल की वायु और मिसाइल सुरक्षा प्रणाली देश की रक्षा में अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हुई है, जिससे आने वाले दिनों में ईरान और उसके सहयोगियों के किसी भी नए हमले से निपटने की तैयारी हो चुकी है।

निष्कर्ष

भारत के साथ इजराइल के गहरे रणनीतिक संबंध न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि दोनों देशों की बढ़ती आर्थिक और सैन्य साझेदारी के रूप में भी उभर रहे हैं। डैनियल कार्मन का बयान इस ओर संकेत करता है कि भारत और इजराइल के बीच कूटनीतिक सहयोग आने वाले समय में और भी मजबूत हो सकता है। वहीं, इजराइल और ईरान के बीच बढ़ता तनाव वैश्विक सुरक्षा के लिए भी गंभीर चिंता का विषय बन चुका है, जिसका असर दुनियाभर के देशों पर हो सकता है।