Israel-Gaza Conflict: मध्य पूर्व की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और दोबारा राष्ट्रपति बने डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात सोमवार को फ्लोरिडा में होने जा रही है। इस अहम बैठक को लेकर वैश्विक राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है, खासकर इसलिए क्योंकि यह मुलाकात ऐसे समय में हो रही है जब इजरायल ने गाजा पट्टी में अपनी सैन्य गतिविधियाँ तेज कर दी हैं।
क्या तैयार है गाजा का 'फाइनल वॉर प्लान'?
जानकारों का मानना है कि नेतन्याहू और ट्रंप के बीच होने वाली यह बातचीत सिर्फ राजनीतिक औपचारिकता नहीं है, बल्कि गाजा पर इजरायली कब्जे के लिए अंतिम रणनीति को अंतिम रूप दिए जाने की ओर इशारा करती है। व्हाइट हाउस और नेतन्याहू के कार्यालय दोनों ने इस मुलाकात की पुष्टि की है, जिससे इसकी गंभीरता और भी स्पष्ट हो जाती है।
इजरायल फिलहाल गाजा पट्टी में एक नया सुरक्षा गलियारा बना रहा है और अपने सैनिकों को वहां तैनात कर रहा है। इजरायली रक्षा मंत्री ने भी यह संकेत दिया है कि इजरायल गाजा के बड़े हिस्से को अपने नियंत्रण में ले सकता है और इसे "सुरक्षा जोन" में शामिल करने की योजना पर काम चल रहा है।
ट्रंप की वापसी और इजरायल के हौसले
डोनाल्ड ट्रंप की दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद नेतन्याहू से यह उनकी दूसरी बैठक होगी। ट्रंप प्रशासन के पहले कार्यकाल में भी इजरायल को अमेरिका का खुला समर्थन मिला था — चाहे वह यरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देना हो या ईरान के परमाणु समझौते से बाहर निकलना।
अब जबकि ट्रंप फिर से व्हाइट हाउस में हैं, इजरायल को उम्मीद है कि गाजा में कठोर कदमों के लिए अमेरिका की खुली छूट मिल जाएगी। व्हाइट हाउस ने गाजा पर इजरायल की हालिया बमबारी का समर्थन किया था, जो संघर्षविराम के उल्लंघन के रूप में देखा गया।
हमास से मुकाबला या गाजा पर नियंत्रण?
इजरायल ने साफ कहा है कि जब तक हमास अपने हथियार नहीं डालता, बंधकों को रिहा नहीं करता, और गाजा से बाहर नहीं निकलता, तब तक यह युद्ध जारी रहेगा। यह बयान स्पष्ट रूप से संकेत देता है कि यह सिर्फ एक सुरक्षात्मक कदम नहीं, बल्कि गाजा पर स्थायी नियंत्रण की दिशा में एक रणनीतिक बढ़त हो सकती है।
मुलाकात में क्या-क्या होगा चर्चा?
नेतन्याहू और ट्रंप के बीच इस बैठक में सिर्फ गाजा नहीं, बल्कि ईरान से खतरा, तुर्किये से संबंध, और बंधकों की वापसी जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी। लेकिन यह साफ है कि गाजा का सवाल इन सभी में सबसे अहम रहेगा।