India-Canada Relations: भारत और कनाडा के बीच तनाव एक बार फिर बढ़ गया है, खासकर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में कनाडा द्वारा लगाए गए बेबुनियाद आरोपों के बाद। पिछले साल कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस मामले में गंभीर आरोप लगाए थे, जिससे दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। अब कनाडा ने भारतीय राजनयिकों को संदिग्ध बताकर नया विवाद खड़ा कर दिया है, जिसके जवाब में भारत ने कनाडा के 6 राजनयिकों को भारत छोड़ने का आदेश दिया है और अपने राजनयिकों को वापस बुलाने का निर्णय लिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि कनाडा की ट्रूडो सरकार की यह आक्रामकता अगले साल होने वाले चुनावों के मद्देनजर है, जहां ट्रूडो अपने वोट बैंक को साधने के लिए भारत के खिलाफ कड़े रुख का प्रदर्शन कर रहे हैं। यह तनाव अंतरराष्ट्रीय संबंधों को भी प्रभावित कर रहा है, क्योंकि ट्रूडो अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए Five Eyes समूह का सहारा ले रहे हैं।
Five Eyes के सहारे भारत पर दबाव?
Five Eyes समूह, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, और न्यूजीलैंड शामिल हैं, के माध्यम से कनाडा भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। यह समूह आपस में खुफिया जानकारी साझा करता है, जिसे दुनिया का सबसे शक्तिशाली खुफिया तंत्र माना जाता है। ट्रूडो ने निज्जर हत्या मामले में इस समूह के साथ पर्याप्त सबूत साझा करने का दावा किया है।
हालांकि, इस समूह के अन्य देशों—अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, और न्यूजीलैंड—के साथ भारत के अच्छे संबंध हैं। भारत और इन देशों के बीच संबंधों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है, बावजूद इसके कि कनाडा के साथ तनाव बना हुआ है।
भारत के खिलाफ अमेरिकी रुख
Five Eyes के एक सदस्य, अमेरिका ने इस मामले में भारत से सहयोग की अपील की है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि वे चाहते हैं कि भारत इन आरोपों की जांच में मदद करे। हालांकि, अमेरिका ने यह भी माना है कि भारत खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या के प्रयास को गंभीरता से ले रहा है। यह संकेत देता है कि अमेरिका के लिए भारत के साथ संबंध बहुत महत्वपूर्ण हैं, विशेष रूप से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की आक्रामकता के मद्देनजर। इसलिए, अमेरिका का भारत के खिलाफ किसी प्रतिबंध को समर्थन देना असंभव लग रहा है।
ब्रिटेन और अन्य देशों के रुख
ब्रिटेन ने भी इस मामले में अपनी संलग्नता दिखाई है। कनाडाई प्रधानमंत्री ट्रूडो ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर से बात की, लेकिन ब्रिटिश प्रधानमंत्री कार्यालय ने अपने बयान में सीधे तौर पर भारत का जिक्र नहीं किया। इसके अलावा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने भी इस मामले में कोई सख्त बयान नहीं दिया है। इन देशों के साथ भारत के संबंध अच्छे रहे हैं, और वे कनाडा के साथ खड़े होने के बजाय तटस्थ रुख अपनाए हुए हैं।
भारत-कनाडा व्यापार पर संभावित असर
यदि कनाडा भारत के खिलाफ प्रतिबंध लगाता है, तो इसका बड़ा असर द्विपक्षीय व्यापार और निवेश पर पड़ेगा। भारत और कनाडा के बीच 2023 में 9.36 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ था, और जनवरी से अप्रैल 2024 के बीच 3.11 बिलियन डॉलर का कारोबार हुआ। इसके अलावा, कनाडाई पेंशन फंड का भारत में 4575 अरब रुपये का निवेश है। ऐसे में अगर कनाडा व्यापारिक प्रतिबंध लगाता है, तो इसका नुकसान सीधे तौर पर कनाडा की कंपनियों और निवेश पर पड़ेगा।
हालांकि, राजनीतिक तनाव के बावजूद, अब तक दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ा है। लेकिन अगर यह तनाव व्यापार युद्ध में बदलता है, तो कनाडा को गंभीर आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।