Shardiya Navratri: नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है, और छठे दिन को मां कात्यायनी की उपासना के लिए समर्पित किया जाता है। मां कात्यायनी दुर्गा के छठे स्वरूप में पूजी जाती हैं, जो अपने भक्तों को शत्रुओं पर विजय प्राप्ति का आशीर्वाद देती हैं। मान्यता है कि महर्षि कात्यायन ने देवी की घोर तपस्या की थी, जिसके फलस्वरूप मां ने उनके घर जन्म लिया। इसी कारण से इन्हें 'कात्यायनी' कहा जाता है।
मां कात्यायनी की उपासना का महत्व
मां कात्यायनी की पूजा विशेष रूप से शीघ्र विवाह और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि के लिए की जाती है। माना जाता है कि जो भक्त मां की सच्चे मन से उपासना करते हैं, उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिलता है और वैवाहिक जीवन में मिठास आती है। इसके साथ ही, मां कात्यायनी की कृपा से शत्रुओं पर विजय और जीवन में उन्नति प्राप्त होती है। देवी कात्यायनी पूरे ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं, और उनका आशीर्वाद भक्तों के लिए संकटों से रक्षा करने वाला होता है।
मां कात्यायनी की पूजा का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, मां कात्यायनी की पूजा का उत्तम समय सुबह 11 बजकर 40 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक का होता है। इस समय में माता की पूजा करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है।
मां कात्यायनी की पूजा विधि
नवरात्रि के छठे दिन सुबह स्नान करके पूजा स्थल की शुद्धि करें। इसके बाद कलश की विधिवत पूजा करें। मां कात्यायनी का ध्यान करके पुष्प, अक्षत, कुमकुम, और सोलह श्रृंगार अर्पित करें। मां को शहद और मिठाई का भोग लगाएं, क्योंकि यह उनका प्रिय भोग माना जाता है। इसके बाद दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें और मां से आशीर्वाद प्राप्त करें।
मां कात्यायनी का प्रिय भोग
मां कात्यायनी को शहद अत्यधिक प्रिय है। पूजा में शहद या शहद से बने किसी व्यंजन, जैसे हलवे का भोग लगाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, शहद का भोग लगाने से भक्त के सौंदर्य में निखार आता है, वैवाहिक जीवन में प्रेम और मिठास बढ़ती है, और आर्थिक संपन्नता में भी वृद्धि होती है।
मां कात्यायनी का प्रिय रंग
मां कात्यायनी का प्रिय रंग लाल है, जो साहस और शक्ति का प्रतीक है। इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है। यह रंग न केवल शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक है, बल्कि यह मां के आशीर्वाद को भी और प्रभावी बनाता है।
मां कात्यायनी के मंत्र जाप
पहला मंत्र
- सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
- शरण्ये त्र्यम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ।।
दूसरा मंत्र
- ऊं क्लीं कात्यायनी महामाया महायोगिन्य घीश्वरी,
- नन्द गोप सुतं देवि पतिं मे कुरुते नमः।।
तीसरा मंत्र
- पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्त अनुसारिणीम्।
- तारिणीं दुर्ग संसार सागरस्य कुलोद्भवाम्।।
मां कात्यायनी का ध्यान मंत्र
- वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
- सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥
- स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
- वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥
- पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्।
- मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
- प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
- कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥
मां कात्यायनी की आरती
- जय जय अम्बे जय कात्यायनी।
- जय जग माता जग की महारानी॥
- बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहावर दाती नाम पुकारा॥
- कई नाम है कई धाम है। यह स्थान भी तो सुखधाम है॥
- हर मन्दिर में ज्योत तुम्हारी। कही योगेश्वरी महिमा न्यारी॥
- हर जगह उत्सव होते रहते। हर मन्दिर में भगत है कहते॥
- कत्यानी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की॥
- झूठे मोह से छुडाने वाली। अपना नाम जपाने वाली॥
- बृहस्पतिवार को पूजा करिए। ध्यान कात्यानी का धरिये॥
- हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी॥
- जो भी माँ को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥