Shardiya Navratri: शारदीय नवरात्रि का आरंभ इस वर्ष 3 अक्टूबर से हो रहा है। नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। देवी शैलपुत्री को अत्यंत दयालु और कृपालु माना जाता है। इनके मुखमंडल पर दिव्य तेज और आभा झलकती है। मां शैलपुत्री अपने बाएं हाथ में कमल पुष्प और दाएं हाथ में त्रिशूल धारण करती हैं, और उनकी सवारी वृषभ (बैल) है। वे अपने भक्तों के दुखों का नाश करती हैं और उन्हें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
मां शैलपुत्री का जन्म पर्वतराज हिमालय के घर में हुआ था, इसीलिए इन्हें "शैलपुत्री" कहा जाता है। देवी शैलपुत्री को देवी पार्वती का अवतार भी माना जाता है।
मां शैलपुत्री की पूजा विधि
नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा के साथ ही घटस्थापना (कलश स्थापना) की जाती है, जिससे नवरात्रि की विधिवत पूजा शुरू होती है। पूजा आरंभ करने से पहले प्रातःकाल स्नान कर मंदिर की साफ-सफाई और सजावट करें। फिर कलश स्थापना करें और मां की मूर्ति या तस्वीर पर सिंदूर से तिलक लगाएं। देवी को लाल पुष्प अर्पित करें और उनके समक्ष फल, मिठाई, और घी का दीपक जलाएं। इसके बाद दुर्गा चालीसा का पाठ करें और व्रत का संकल्प लें।
शारदीय नवरात्रि घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि के पहले दिन सबसे पहले कलश स्थापना की जाती है और इसके बाद मां शैलपुत्री की पूजा होती है। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः 6:19 बजे से 7:23 बजे तक है। वहीं, अभिजीत मुहूर्त 11:52 से 12:40 बजे तक है।
मां शैलपुत्री का भोग
मां शैलपुत्री का संबंध चंद्रमा से है, इसीलिए उन्हें सफेद रंग के खाद्य पदार्थों का भोग लगाया जाता है। इनमें खीर, रसगुल्ले, और पताशे मुख्य हैं। स्वास्थ्य और लंबी आयु की कामना के लिए मां को गाय के घी का भोग लगाना भी शुभ माना जाता है।
मां शैलपुत्री का मंत्र और आरती
प्रार्थना मंत्र:
- "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नमः।"
उपासना मंत्र:
- "वन्देवांछितलाभाय चन्दार्धकृतशेखराम्।
- वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।"
आरती:
- "शैलपुत्री मां बैल असवार,
- करें देवता जय जयकार।
- शिव शंकर की प्रिय भवानी,
- तेरी महिमा किसी ने ना जानी।
- पार्वती तू उमा कहलावे,
- जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।"
मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व
मां शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन में स्थिरता आती है। उनकी आराधना से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और घर में खुशहाली बनी रहती है। साथ ही, मां शैलपुत्री की उपासना से मूलाधार चक्र जागृत होते हैं, जो आध्यात्मिक और मानसिक उन्नति के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं। इसके अलावा, चंद्र दोष से पीड़ित जातकों को मां शैलपुत्री की पूजा से लाभ होता है, और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
शारदीय नवरात्रि का यह पहला दिन मां शैलपुत्री की कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ अवसर होता है, जिससे भक्तों के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का आगमन होता है।
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. Zoom News इसकी पुष्टि नहीं करता है.