Farmer Protest: फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सहित कई मांगों को लेकर प्रदर्शनकारी किसान नेताओं और सरकार के बीच आज चौथे दौर की वार्ता होगी. उम्मीद है कि इस बार की बैठक में कोई रास्ता निकल सकता है. इससे पहले किसानों और सरकार के बीच तीन दौर की बातचीत बेनतीजा रही. किसानों ने अपनी मांगों को लेकर पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर कई दिनों से डेरा डाल रखा है. वहीं, हरियाणा में आज भारतीय किसान यूनियन (चढूनी गुट) की अगुवाई में किसान, मजदूर संगठनों और सरपंचों की महापंचायत की होगी, जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी. किसान आंदोलन के चलते हरियाणा के 7 जिलों में इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी 2 दिन और बढ़ा दी गई है.
इधर, चौथे दौर की बातचीत से पहले किसान संगठनों ने एमएसपी की कानूनी गारंटी देने के लिए एक अध्यादेश लाने की मांग उठाई है. किसान मजदूर संघर्ष समिति (केएमएससी) के अध्यक्ष सरवन सिंह पंढेर का कहना है कि अगर सरकार किसानों के विरोध का समाधान चाहती है, तो उसे तत्काल प्रभाव से एक अध्यादेश लाना चाहिए कि वह एमएसपी पर कानून बनाएगी, फिर चर्चा आगे बढ़ सकती है. पंढेर का कहना है कि सरकार रातों-रात अध्यादेश ला सकती है, जिसकी वैधता छह महीने की होती है.
आज हमारी सरकार के साथ होगी बात- पंढेर
सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि शंभू बॉर्डर पर आज हमारा छठा दिन है. आज हम सरकार से बातचीत भी कर रहे हैं. सरकार ने कुछ समय मांगा है और कहा है कि वह इस मामले पर केंद्रीय मंत्रियों के साथ बातचीत करेगी और इसका समाधान निकालेगी. पंढेर की केएमएससी और जगजीत सिंह डल्लेवाल के नेतृत्व वाली भारतीय किसान यूनियन (सिद्धूपुर) दो किसान संगठन हैं. यही दोनों किसानों के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हैं. किसान अभी हरियाणा और पंजाब के बीच शंभू सीमा पर रुके हुए हैं. किसान संगठन ने बीते दिन शनिवार को हरियाणा में एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग का समर्थन करते हुए राज्य भर में एक ट्रैक्टर रैली निकाली.
इस बीच भारतीय किसान यूनियन (चाढनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चाढनी ने कहा कि केंद्र सरकार ने दिसंबर 2021 में किसानों को एमएसपी की गारंटी देने का वादा किया था और अब वे यू-टर्न ले रहे हैं. 2011 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट का विश्लेषण करने के लिए मुख्यमंत्रियों वाली एक वित्तीय समिति के अध्यक्ष थे, तो उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी देने के लिए कहा था. केंद्र एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने से क्यों भाग रहा है?
बीकेयू भी करेगी 21 फरवरी को प्रदर्शन
पंजाब स्थित एक अन्य किसान संगठन बीकेयू (एकता उग्राहन) ने कहा कि वह सप्ताहांत में शहर भर में विरोध प्रदर्शन करेगा और राकेश टिकैत के नेतृत्व में पश्चिम यूपी में बीकेयू इकाई ने कहा कि किसान एमएसपी सहित अपनी मांगों पर जोर देने के लिए 21 फरवरी को उत्तराखंड, यूपी, हरियाणा, पंजाब में धरना देंगे. किसानों के विरोध प्रदर्शन के पांचवें दिन ट्रकों, ट्रैक्टरों और कारों में हजारों किसानों का एक कारवां पंजाब से राष्ट्रीय राजधानी के लिए रवाना हुआ है, लेकिन उन्हें हरियाणा में घुसने से रोक दिया गया. इस बीच पुलिस एक्शन मोड में दिखाई दी. उसने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े.
इन मांगों पर बातचीत अटकी
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) गारंटी कानून
- किसानों की कर्ज माफी
- 60 साल से अधिक उम्र के किसानों को पेंशन देने पर सहमति
क्या हैं किसानों की मांगें?
- सभी फसलों की खरीद के लिए MSP गारंटी कानून बनाया जाए।
- डॉ. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के हिसाब से फसलों की कीमत तय की जाए। सभी फसलों के उत्पादन की औसत लागत से पचास फीसदी ज्यादा एमएसपी मिले।
- किसान और खेत में काम करने वाले मजदूरों का कर्जा माफ किया जाए। किसानों को प्रदूषण कानून से बाहर रखा जाए।
- 60 साल से ज्यादा उम्र के किसानों को 10 हजार रुपये पेंशन दी जाए।
- भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 दोबारा लागू किया जाए।
- लखीमपुर खीरी कांड के दोषियों को सजा दी जाए। आरोपियों की जमानत रद्द की जाए।
- मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगाई जाए।
- विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को रद्द किया जाए।
- मनरेगा में हर साल 200 दिन का काम और 700 रुपये मजदूरी दी जाए।
- किसान आंदोलन में मृत किसानों के परिवारों को मुआवजा और सरकारी नौकरी दी जाए। समझौते के अनुसार, घायलों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। दिल्ली मोर्चा सहित देशभर में सभी आंदोलनों के दौरान दर्ज सभी मुकदमे रद्द किए जाएं।
- नकली बीज, कीटनाशक दवाइयां और खाद वाली कंपनियों पर कड़ा कानून बनाया जाए। फसल बीमा सरकार खुद करे।
- मिर्च, हल्दी और अन्य मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाए।
- संविधान की 5वीं सूची को लागू कर आदिवासियों की जमीन की लूट बंद की जाए।