Share Market News: इस हफ्ते घरेलू शेयर बाजार में बिकवाली का रुख हावी रहा है। बाजार की चाल काफी सुस्त दिखाई दी, जिसमें तेजी और गिरावट का सिलसिला लगातार बना रहा। शुक्रवार को भी बाजार लाल निशान में खुला, हालांकि कुछ देर बाद हरे निशान में आ गया। खबर लिखने तक सेंसेक्स 0.30% की गिरावट के साथ कारोबार कर रहा था।
बाजार में इस हफ्ते की शुरुआत से ही हलचल देखी जा रही है। खासतौर पर एचएमपीवी वायरस के नए केस सामने आने और विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने बाजार को प्रभावित किया है। कंपनियों के तिमाही नतीजों और आगामी बजट के चलते निवेशकों की सतर्कता भी देखने को मिली। विदेशी निवेशकों ने जनवरी 2025 के पहले सात कारोबारी दिनों में 17,000 करोड़ रुपये का निवेश बाजार से निकाल लिया है। इस लेख में हम उन तीन प्रमुख कारणों पर चर्चा करेंगे, जिनकी वजह से विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से दूरी बना रहे हैं।
1) आय में कमी
भारतीय शेयर बाजार में पिछले दो तिमाहियों से कंपनियों की आय में गिरावट देखी जा रही है। इससे विदेशी निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ है। कंपनियों की मुनाफाखोरी में लगातार गिरावट के कारण निवेशकों को बाजार में टिके रहने की वजह नहीं दिख रही। ब्रोकरेज फर्म्स की रिपोर्ट्स के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में आय में वृद्धि सिंगल अंकों में रहने की संभावना है। यह स्थिति निवेशकों के लिए आकर्षक नहीं है, जिससे वे अपने निवेश निकाल रहे हैं।
2) फंडामेंटल कमजोर
भारतीय अर्थव्यवस्था के फंडामेंटल्स में कमजोरी भी विदेशी निवेशकों को प्रभावित कर रही है। वित्त वर्ष 2025 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि का अनुमान कम किया गया है। वित्त वर्ष 2024 में 8.2% रही जीडीपी वृद्धि के मुकाबले वित्त वर्ष 2025 में यह घटकर 6.4% रहने का अनुमान है। यह आंकड़ा वित्त मंत्रालय के 6.5% और आरबीआई के 6.6% के पूर्वानुमान से भी कम है। कमजोर जीडीपी वृद्धि दर निवेशकों की चिंताओं को बढ़ा रही है, जिससे वे भारतीय बाजार से दूर हो रहे हैं।
3) बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी
बाजार से विदेशी निवेशकों की दूरी का एक अन्य महत्वपूर्ण कारण बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी है। यूएस ट्रेजरी की 10-वर्षीय बेंचमार्क यील्ड 4.73% के स्तर पर पहुंच गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि फेडरल रिजर्व जनवरी में ब्याज दरों में कटौती की संभावना को बनाए रखेगा, जिससे डॉलर की मजबूती बनी रहेगी। डॉलर की मजबूती के चलते बॉन्ड यील्ड में वृद्धि होगी, जो निवेशकों को भारतीय बाजार से अधिक आकर्षक अमेरिकी बॉन्ड्स की ओर खींचेगी।
आगे की राह
भारतीय बाजार में वर्तमान बिकवाली के माहौल को देखते हुए निवेशकों को सतर्कता बरतनी चाहिए। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अगले कुछ हफ्तों में बजट से जुड़ी घोषणाएं और कंपनियों के तिमाही नतीजे बाजार की दिशा तय करेंगे। इसके साथ ही वैश्विक बाजार में ब्याज दरों की स्थिति और डॉलर की चाल भी भारतीय बाजार को प्रभावित कर सकती है।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली के बावजूद, कुछ क्षेत्रों में दीर्घकालिक निवेश के अवसर बने हुए हैं। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि निवेशकों को मजबूत फंडामेंटल वाली कंपनियों में निवेश पर ध्यान देना चाहिए और वैश्विक आर्थिक संकेतकों पर नजर रखनी चाहिए।