Uttar Pradesh Politics:योगी-केशव की 7 साल पुरानी है अदावत, नतीजों के बाद और बढ़ी है दरार

08:47 AM Jul 26, 2024 | zoomnews.in

Uttar Pradesh Politics: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव का परिणाम सीएम योगी के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. सीएम की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं. सरकार और संगठन के बीच का विवाद अब खुलकर सामने आ गया है. प्रयागराज मंडल की समीक्षा बैठक में भी जब डिप्टी सीएम केशव मौर्य नहीं आए तो शक की कोई गुंजाइश नहीं रही. केशव ने एक तरह से सीएम के खिलाफ पॉलिटिकल लाइन खींचने की शुरुआत कर दी है. लोकसभा चुनाव में पार्टी की कमजोर स्थिति, दस सीटों पर होने वाले उपचुनाव और 2027 में पार्टी को प्रचंड बहुमत दिलाने को लेकर मंडलवार समीक्षा बैठक चल रही है.

बैठक में सीएम योगी सहित पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता और मंडल से जुड़े पार्टी के पदाधिकारी भाग ले रहे हैं. लेकिन केशव मौर्य किसी भी बैठक में शामिल नहीं हुए. इस मुद्दे पर डैमेज कंट्रोल करते हुए पार्टी की तरफ से ये कहा गया कि जरूरी कार्य की वजह से केशव बैठक में नहीं आ रहे हैं. लेकिन जब प्रयागराज मंडल की बैठक में केशव नहीं आए तो फिर योगी आदित्यनाथ और केशव मौर्य के बीच के राजनैतिक मतभेद खुलकर सामने आ गए.

सरकार-संगठन के बीच सबकुछ ठीक नहीं

सरकार और संगठन के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. ये मुद्दा सबसे पहले बीजेपी की कार्य समिति में केशव मौर्य ने उठाया. कार्यसमिति में केशव ने कहा कि “संगठन सरकार से बड़ा होता है.” बाद में केशव मौर्य जेपी नड्डा से मिलने के बाद बाकायदा इसको सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भी लिखा. जिसके बाद से पार्टी में अंदरूनी खींचतान सतह पर आ गया. अब पार्टी के विधायक भी इस मुद्दे पर खुलकर बयान देते नजर आ रहे हैं.

केशव प्रसाद मौर्य से जुड़े सवाल के संबंध में विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने कहा, दुर्योधन केशव को बांधने चला था. खुद निपट गया. वह केशव चाहे द्वापर में हो या कलयुग में हो. केशव जी केशव जी हैं. सवा तीन सौ सीटें उनकी लीडरशिप में आई है. केशव जी का अपना एक अलग जलवा है. संगठन हमेशा बड़ा होता है. अगर संगठन नहीं होगा तो विधायक नहीं होंगे. सरकार कैसे बनेगी. आज के समय में अधिकारी दुर्योधन का रूप है और उनका ऑपरेशन किया जाएगा.

सीएम योगी और केशव मौर्य के बीच मतभेद

केशव प्रसाद मौर्य और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में विवाद बढ़ता जा रहा है. हालांकि ये विवाद कोई आज का नहीं है. विवाद की शुरुआत तो योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के साथ ही शुरू हो गई थी. 2017 में केशव प्रसाद मौर्य प्रदेश अध्यक्ष थे. उनका ये मानना था कि उनकी अध्यक्षता में छोटी-छोटी पिछड़ी जातियों को जोड़कर गैर यादव ओबीसी वोटबैंक के जरिए बीजेपी सत्ता में आई है लिहाजा ओबीसी समाज से ही सीएम होना चाहिए.

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि केशव खुद को सीएम उम्मीदवार के तौर पर देख रहे थे. लेकिन ऐन मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बन गए. उसके बाद से योगी और केशव के बीच जो मतभेद शुरू हुआ. वो समय-समय पर सामने आता रहा. योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य के बीच मतभेद का दौर चलता रहा. केशव के विभाग को लेकर सीएम का हस्तक्षेप मतभेद को और गहरा कर दिया.

कई बार आमने-सामने आए योगी और मौर्य

2018-19 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीडब्ल्यूडी के 10 करोड़ से टेंडर ऑनलाइन कर दिया. कई ऐसे मौके आए, जब विभाग के एचओडी और प्रमुख सचिव को लेकर विवाद हुआ. उसके बाद केशव प्रसाद मौर्य ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर लखनऊ विकास प्राधिकरण में भ्रष्टाचार को लेकर चिट्ठी लिखी और जांच करने की मांग की.

22 के विधानसभा चुनाव के पहले भी केशव प्रसाद मौर्य ने मुख्यमंत्री पर तंज करते हुए कहा कि सरकार से संगठन बड़ा है और संगठन की हर बात सरकार को माननी चाहिए. 2022 के चुनाव में सिराथू से केशव के हारने के बाद केशव का सीएम योगी से संबंध अच्छे होने की संभावना पर विराम लग गया.

2022 में फिर से बीजेपी सत्ता में आई तो योगी आदित्यनाथ दोबारा मुख्यमंत्री बने. सिराथू से चुनाव हारने वाले केशव प्रसाद मौर्य फिर सीएम बनने से चूक गए. जिसकी कसक कभी-कभी बाहर आ जाती है.

लोकसभा चुनाव के बाद बढ़ी दूरियां

इस बीच, केशव प्रसाद मौर्य ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विभाग को चिट्ठी लिखकर प्रमुख सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक से जानकारी मांगी. संविदा आउटसोर्सिंग पर कितनी भर्ती हुई है और क्या आरक्षण का पालन किया गया है? हालांकि विभाग की तरफ से कहा गया. इस बारे में कोई भी सूचना नहीं है.

लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से केशव प्रसाद मौर्य और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच दूरियां फिर बढ़ती चली गईं. स्थिति यहां तक हुई कि कैबिनेट की तीन बैठक में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य नहीं गए, जबकि लखनऊ में उनकी उपस्थिति थी.

हालांकि एक बैठक के दौरान दिल्ली में भी मौजूद थे. इसके अलावा मुख्यमंत्री ने चुनाव के बाद जब अहम बैठक बुलाई तो उसमें भी केशव मौजूद नहीं थे. इसके बाद मुख्यमंत्री ने 10 सीटों पर उपचुनाव को लेकर मंत्रियों की टीम बनाई, जिसमें दोनों डिप्टी सीएम को जगह नहीं मिली.