One Nation One Election: "एक देश-एक चुनाव" के विचार पर केंद्र सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाने की तैयारी कर ली है। सरकार संसद में तीन विधेयक लाने की योजना बना रही है, जिनमें से दो संविधान संशोधन विधेयक होंगे। सरकार के सूत्रों के अनुसार, अभी यह तय नहीं है कि ये बिल आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किए जाएंगे या फिर बजट सत्र तक इंतजार किया जाएगा। इस पर अंतिम फैसला जल्द ही लिया जाएगा।
रामनाथ कोविंद कमिटी की सिफारिशें
यह कदम उस वक्त आया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली कैबिनेट ने "एक देश, एक चुनाव" पर बनी पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया। समिति ने अपनी रिपोर्ट में दो चरणों में चुनाव कराने का सुझाव दिया है। पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश की गई है, जबकि दूसरे चरण में स्थानीय निकाय चुनावों को एक साथ कराने का प्रस्ताव है।
संविधान संशोधन के लिए विधेयक
सरकार जिन विधेयकों को पेश करने की योजना बना रही है, उनमें से एक प्रमुख विधेयक स्थानीय निकाय चुनावों को लोकसभा और विधानसभाओं के साथ जोड़ने से संबंधित है। इस प्रस्तावित विधेयक को कम से कम 50 प्रतिशत राज्यों का समर्थन चाहिए होगा, क्योंकि यह संविधान संशोधन की प्रक्रिया से जुड़े नियमों का पालन करेगा।
लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का प्रावधान
प्रस्तावित पहले संविधान संशोधन विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश की गई है। इसमें ‘नियत तिथि’ से संबंधित नए प्रावधान जोड़े जाएंगे और अनुच्छेद 82ए में संशोधन की योजना है। इसके तहत लोकसभा और विधानसभाओं के कार्यकाल की समाप्ति की तारीख को समान किया जाएगा। साथ ही, अनुच्छेद 83(2) में संशोधन करते हुए लोकसभा की अवधि और विघटन से संबंधित नए उप-खंड (3) और (4) को भी शामिल करने का प्रस्ताव है।
एक साथ चुनाव कराने का प्रावधान
विधानसभाओं के विघटन और चुनाव कराने की प्रक्रिया को एकीकृत करने के लिए सरकार अनुच्छेद 327 में संशोधन कर “एक साथ चुनाव” शब्द जोड़ने का प्रस्ताव लाएगी। हालांकि, इस बिल के लिए 50 प्रतिशत राज्यों की सहमति की आवश्यकता नहीं होगी।
दूसरे संविधान संशोधन विधेयक का उद्देश्य
दूसरे प्रस्तावित संविधान संशोधन विधेयक के तहत, राज्य चुनाव आयोगों के परामर्श से चुनाव आयोग के द्वारा मतदाता सूची तैयार करने की सिफारिश की गई है। यह स्थानीय निकायों के चुनावों को भी लोकसभा और विधानसभाओं के चुनावों के साथ जोड़ने से संबंधित है।
रामनाथ कोविंद समिति की सिफारिशों के तहत, संविधान में अनुच्छेद 324A जोड़ा जाएगा, जिससे लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराए जा सकेंगे। यह विधेयक संघीय ढांचे को मजबूत करने और चुनावी प्रक्रिया को सुगम बनाने की दिशा में बड़ा कदम होगा।
तीसरा विधेयक: साधारण विधेयक
सरकार तीसरा एक साधारण विधेयक लाने की भी योजना बना रही है, जो केंद्र शासित प्रदेशों जैसे दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर से संबंधित कानूनों में संशोधन करेगा। इस विधेयक में संविधान संशोधन की आवश्यकता नहीं होगी और न ही इसे राज्यों के समर्थन की दरकार होगी।
चुनाव सुधार और राजनीतिक एकीकरण की दिशा में कदम
"एक देश-एक चुनाव" की अवधारणा का उद्देश्य देशभर में चुनावी प्रक्रियाओं को एक साथ लाकर सरकारी संसाधनों की बचत करना, मतदाता भागीदारी को बढ़ाना और प्रशासनिक क्षमता में सुधार करना है। हालांकि, इस दिशा में संवैधानिक और विधायी संशोधनों की आवश्यकता है, ताकि यह प्रस्ताव व्यवहार में आ सके।
सरकार का यह प्रयास भारतीय चुनावी व्यवस्था में एक बड़ा सुधार ला सकता है और देश में बार-बार होने वाले चुनावों की समस्या का समाधान कर सकता है।
निष्कर्ष
केंद्र सरकार की "एक देश-एक चुनाव" की योजना से देश की चुनाव प्रणाली में एक बड़ा बदलाव हो सकता है। हालांकि, इसके लिए कई विधायी और संवैधानिक प्रक्रियाओं को पार करना होगा। अगर यह बिल संसद में पारित होते हैं और राज्यों का समर्थन प्राप्त करते हैं, तो आने वाले समय में देशभर में एक साथ चुनाव कराने की दिशा में यह एक ऐतिहासिक कदम होगा।