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UPSC Lateral Entry:सरकार ने सीधी भर्ती का फैसला लिया वापस, विपक्ष ने किया था विरोध

UPSC Lateral Entry: यूपीएससी चेयरमैन को लिखे पत्र में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीए सरकार के दौरान ऐसी नियु्क्ति पर की गई पहल का जिक्र किया है. उनके मुताबिक साल 2005 में वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में पहली बार केंद्र ने इसकी सिफारिश की थी.

UPSC Lateral Entry: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर संघ लोकसेवा आयोग (UPSC) से सीधी भर्ती के लिए जारी लेटरल एंट्री का विज्ञापन रद्द कर दिया गया है। इस कदम को कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्री जितेंद्र सिंह ने लागू किया। लेटरल एंट्री के जरिए होने वाली भर्तियों में आरक्षण न होने के कारण विपक्षी दलों, खासकर राहुल गांधी, ने कड़ा विरोध किया था। कांग्रेस और एनडीए के कई नेताओं ने इस फैसले को सामाजिक न्याय के खिलाफ बताया। लेटरल एंट्री के तहत विशेषज्ञों को सरकारी सेवा में नियुक्त किया जाता है, जिसमें आरक्षण का प्रावधान नहीं होता है।

राहुल गांधी ने इस फैसले को बहुजनों के अधिकारों पर हमला बताया, जबकि केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने आरक्षण की अनिवार्यता की बात कही। यूपीए सरकार के दौरान भी लेटरल एंट्री का विचार सामने आया था, लेकिन वर्तमान में इसे लेकर राजनीतिक बहस छिड़ गई है। पीएम मोदी के निर्देश पर यह विवादित विज्ञापन रद्द कर दिया गया है, जिससे सामाजिक न्याय के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता जाहिर होती है।

राहुल गांधी ने किया विरोध

राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर कहा, “लेटरल एंट्री दलितों, ओबीसी और आदिवासियों पर हमला है. बीजेपी का रामराज्य का विकृत संस्करण संविधान को नष्ट करना चाहता है और बहुजनों से आरक्षण छीनना चाहता है.” इससे पहले उन्होंने रविवार को आरोप लगाया था कि पीएम मोदी यूपीएससी की जगह आरएसएस के जरिए लोक सेवकों की भर्ती करके संविधान पर हमला कर रहे हैं.

चिराग पासवान बोले- यह चिंता का विषय

वहीं केंद्र सरकार में सहयोगी और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी इस तरह से सरकारी पदों पर नियुक्तियों के किसी भी कदम की आलोचना की और कहा कि वह केंद्र के समक्ष यह मुद्दा उठाएंगे. चिराग ने इस मुद्दे पर कहा, “किसी भी सरकारी नियुक्ति में आरक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए. इसमें कोई किंतु-परंतु नहीं है. निजी क्षेत्र में आरक्षण नहीं है और अगर सरकारी पदों पर भी यह लागू नहीं किया जाता है… तो यह जानकारी मेरे लिए चिंता का विषय है.”

लेटरल एट्री में कोई आरक्षण नहीं

यूपीएसी ने केंद्र सरकार के मंत्रालयों में 45 पदों के लिए भर्ती निकाली थी। इसमें लेटरल एंट्री के माध्यम से ही सभी पदों को भरा जाना था। लेटरल एंट्री की भर्ती में कोई आरक्षण नहीं होता है। इसको लेकर राजनीतिक बहस छिड़ गई थी।

24 मंत्रालयों में होनी थी लेटरल एंट्री से भर्ती

यूपीएससी ने हाल ही में एक विज्ञापन जारी किया था। इसमें केंद्र सरकार के भीतर विभिन्न वरिष्ठ पदों पर लेटरल एंट्री जरिए नियुक्ति होनी थी। इन पदों में 24 मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के पद शामिल थे। इनमें कुल 45 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए 

राहुल गांधी और NDA नेताओं ने भी खड़े किए थे सवाल

नौकरशाही में लेटरल एंट्री से एक नई बहस शुरू हो गई है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और सपा सांसद अखिलेश यादव ने आरक्षण के मुद्दे पर सवाल खड़े कर दिए थे। एनडीए सरकार के नेतास चिराग पासवना ओर केसी त्यागी भी लेटरल एंट्री के विरोध में बोल रहे थे।

क्या है लेटरल एंट्री?

लेटरल एंट्री को सीधी भर्ती भी कहा जता है। इसमें उन लोगों को सरकारी सेवा में लिया जाता है, जो अपनी फील्ड में काफी माहिर होते हैं। ये IAS-PCS या कोई सरकारी कैडर से नहीं होते हैं। इन लोगों के अनुभव के आधार पर सरकार अपने नौकरशाही में इन्हें तैनात करती है।

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