United Nations: अगस्त के महीने में बांग्लादेश में हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान करीब 600 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें बांग्लादेशी हिंदू समुदाय के लोग भी शामिल हैं। भारत लंबे समय से बांग्लादेशी हिंदुओं की सुरक्षा का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहा है। अब संयुक्त राष्ट्र ने भी बांग्लादेश में हुए इन प्रदर्शनों में अल्पसंख्यकों की हत्याओं की स्वतंत्र जांच और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है।
UN मानवाधिकार उच्चायुक्त की जांच की मांग
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने बुधवार को बांग्लादेश की यात्रा के दौरान शेख हसीना सरकार के पतन से पहले और उसके बाद की हिंसा की गहन जांच की अपील की है। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार उल्लंघन के हर मामले की निष्पक्ष जांच बेहद आवश्यक है। तुर्क ने एक समावेशी दृष्टिकोण अपनाने की बात कही, जिसमें वर्ग, जाति, लिंग, राजनीतिक विचारधारा और धर्म से परे हर आवाज को महत्व दिया जाए।
बांग्लादेश का दौरा और अंतरराष्ट्रीय दबाव
मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क का यह बांग्लादेश दौरा एक ऐसे समय में हुआ है जब नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को देश में कानून और व्यवस्था बहाल करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने एक फैक्ट-फाइंडिंग टीम बांग्लादेश भेजी है, जो शेख हसीना के शासनकाल के दौरान प्रदर्शनकारियों की हत्या और उसके बाद के समय में हुई हिंसा के मामले की जांच कर रही है।
अल्पसंख्यकों पर हमलों का बढ़ता खतरा
शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से ही बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हमलों की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है। भारत सहित कई मानवाधिकार संगठनों ने इस मुद्दे पर आवाज उठाई है और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है। बांग्लादेश में अपने अधिकारों और सुरक्षा की मांग को लेकर हजारों हिंदू लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। वोल्कर तुर्क ने इन समुदायों पर हो रहे हमलों के आरोपों की जांच के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि ऐसी हिंसा पर विराम लगाना बेहद जरूरी है।
बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा और अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा को लेकर संयुक्त राष्ट्र की इस पहल ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर नई चर्चा को जन्म दिया है।