Ratan Tata News:टाटा ने कर दिया जाते-जाते ऐसा काम, पॉपुलर होने लगा ये नया ट्रेंड

07:35 PM Nov 01, 2024 | zoomnews.in

Ratan Tata News: रतन टाटा का जीवन लाखों लोगों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत रहा है। अपनी ईमानदारी, विनम्रता और दयालुता के कारण वे न केवल कॉर्पोरेट जगत में बल्कि आम लोगों के दिलों में भी बसे हुए थे। उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू उनके पालतू पशुओं के प्रति प्रेम था। वे हमेशा से जानवरों के प्रति संवेदनशील रहे और यही वजह है कि टाटा ग्रुप के मुख्यालय, बॉम्बे हाउस, में उन्होंने आवारा कुत्तों के लिए एक विशेष क्रेच भी बनवाया।

रतन टाटा और उनके पालतू डॉग ‘टिटो’ की कहानी

रतन टाटा के जीवन में उनके डॉग्स का एक खास स्थान था। उनका एक प्यारा डॉग था, जिसका नाम ‘टिटो’ था। जब टिटो की मृत्यु हो गई, तो रतन टाटा ने एक आवारा कुत्ते को अपनाया और उसका नाम भी टिटो रखा। ये टिटो हमेशा उनके साथ रहा, उनके दुख-सुख का साथी बना। यहां तक कि जब रतन टाटा की अंतिम यात्रा निकाली जा रही थी, तब भी टिटो उनके आस-पास ही मौजूद था।

वसीयत में टिटो के नाम की ‘अनलिमिटेड’ केयर

रतन टाटा की मृत्यु के बाद उनकी वसीयत में एक चौंकाने वाला और भावनात्मक निर्णय सामने आया। टाटा ने अपनी वसीयत में 10,000 करोड़ रुपए की संपत्ति का बंटवारा अपने परिवार, कर्मचारियों और ट्रस्टों के बीच किया। परंतु इसमें एक विशेष प्रावधान था जो उनके पालतू टिटो के लिए था। रतन टाटा ने सुनिश्चित किया कि उनके डॉग टिटो की देखभाल के लिए पैसे की कोई कमी न हो और उसकी ‘अनलिमिटेड’ केयर होती रहे। इसका अर्थ यह था कि टिटो के देखभाल में किसी भी प्रकार की कमी नहीं होने दी जाएगी।

पालतू पशुओं के प्रति समाज में बढ़ती जागरुकता

रतन टाटा के इस कदम ने समाज में एक नई जागरुकता लाई है। विदेशों में अपने पालतू पशुओं के लिए वसीयत में प्रावधान करना आम बात है, लेकिन भारत में यह ट्रेंड नया और असामान्य है। रतन टाटा द्वारा किए गए इस प्रावधान को कई कानूनी और सामाजिक विशेषज्ञों ने स्वागत योग्य बताया है। उनके इस कदम से पालतू जानवरों के प्रति भारतीय समाज में संवेदनशीलता और देखभाल का संदेश जाता है।

कानूनी फर्म सिरिल अमरचंद मंगलदास का मानना है कि इस वसीयत के बाद ऐसे मामले बढ़े हैं, जहां लोग अपने पालतू पशुओं की भविष्य में देखभाल के लिए कानूनन प्रावधान करना चाहते हैं। अधिकतर लोग जो यह पूछताछ कर रहे हैं वे अकेले रहते हैं या उम्रदराज हैं और अपने पालतू पशुओं के प्रति विशेष लगाव रखते हैं।

क्या भारतीय कानून इसकी अनुमति देता है?

भारतीय कानून के अनुसार, पालतू पशुओं को संपत्ति का वारिस नहीं माना गया है। इसी कारण से कोई सीधे तौर पर पालतू के नाम वसीयत में प्रावधान नहीं कर सकता। रतन टाटा की वसीयत में भी यह प्रावधान इसी कानूनी व्यवस्था के तहत किया गया है। टिटो की देखभाल के लिए एक केयरटेकर नियुक्त किया गया है, जिसे टिटो के जीवनकाल तक उसकी देखभाल की जिम्मेदारी दी गई है।

समाज में पालतू पशुओं के प्रति प्रेम का एक उदाहरण

रतन टाटा ने अपने जीवन में हमेशा विनम्रता और प्रेम की मिसाल पेश की है। उनकी वसीयत में टिटो के प्रति उनकी जिम्मेदारी का अहसास केवल उनके प्रेम को नहीं, बल्कि समाज में जानवरों के प्रति दयाभाव और देखभाल की प्रेरणा को उजागर करता है। उनका यह कदम उन लोगों के लिए प्रेरणा बन सकता है, जो अपने पालतू पशुओं को परिवार का हिस्सा मानते हैं और उनके प्रति गहरी जिम्मेदारी महसूस करते हैं।

रतन टाटा का यह छोटा सा लेकिन गहरा कदम एक ऐसी सामाजिक जागरुकता की शुरुआत कर सकता है, जो लोगों को उनके पालतू पशुओं के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझने और उन्हें पूरा करने के लिए प्रेरित करेगा।