Amit Shah News: जम्मू-कश्मीर के जसरोटा में हाल ही में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर एक ऐसा बयान दिया है, जिसने राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है। खरगे ने कहा कि वह 83 वर्ष की आयु में इतनी जल्दी मरने वाले नहीं हैं, और जब तक मोदी को सत्ता से नहीं हटाएंगे, तब तक जिंदा रहेंगे।
खरगे का बयान और उसके पीछे का मकसद
खरगे ने जनसभा में कहा, "मैं जम्मू-कश्मीर को ऐसा छोड़ने वाला नहीं हूं। मोदी जी यहां आकर युवाओं के भविष्य के लिए झूठे आंसू बहा रहे हैं। पिछले 10 सालों में देश के युवाओं को अंधकार में धकेल दिया गया है, जिसके लिए खुद मोदी जिम्मेदार हैं।" उन्होंने बेरोजगारी के आंकड़ों का भी जिक्र करते हुए कहा कि यह मोदी सरकार की देन है।
बीजेपी का पलटवार
केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने खरगे के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "कल कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने भाषण में बेवजह अपने स्वास्थ्य के मामले में प्रधानमंत्री मोदी को घसीटा।" शाह ने कहा कि इससे यह साफ होता है कि कांग्रेस के नेताओं में मोदी के प्रति कितनी नफरत और डर है।
खरगे के स्वास्थ्य पर अमित शाह की टिप्पणी
अमित शाह ने यह भी कहा, "खरगे के स्वास्थ्य के लिए मोदी जी प्रार्थना करते हैं। हम सभी प्रार्थना करते हैं कि वे लंबे समय तक स्वस्थ रहें और 2047 तक विकसित भारत का निर्माण देखने के लिए जीवित रहें।" शाह के इस बयान में न केवल खरगे के स्वास्थ्य की चिंता व्यक्त की गई, बल्कि यह भी दर्शाया गया कि बीजेपी अपने नेता की छवि को लेकर कितनी गंभीर है।
कांग्रेस की चुनावी रणनीति
खरगे के बयान से यह स्पष्ट है कि कांग्रेस आने वाले चुनावों में जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को प्रमुखता से उठाने की योजना बना रही है। उन्होंने वादा किया है कि वह राज्य को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए लड़ेंगे। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस की आलोचना करने वाले बीजेपी के नेताओं की घबराहट स्पष्ट दिखाई दे रही है।
निष्कर्ष
खरगे का बयान और उसके बाद अमित शाह की प्रतिक्रिया, दोनों ही भारतीय राजनीति के सियासी खेल का हिस्सा हैं। इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट हो गया है कि आगामी चुनावों में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा एक महत्वपूर्ण विषय बन सकता है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए अपने-अपने तरीके से इस मुद्दे पर सक्रिय हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह राजनीतिक विवाद आगामी चुनावों में किस तरह का असर डालता है।