+

Uniform Civil Code:उत्तराखंड में UCC पर सपा सांसद का बयान- 'कुरान के सिद्धांतों के खिलाफ कोई भी कानून...'

Uniform Civil Code: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य विधानसभा में आज मंगलवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पेश कर दिया है। इस विधेयक उत्तराखंड में सभी नागरिकों के लिए उनके धर्म की परवाह किए बिना एक समान विवाह, तलाक, भूमि, संपत्ति

Uniform Civil Code: उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पेश कर दिया गया है। इस विधेयक में उत्तराखंड में सभी नागरिकों के लिए उनके धर्म की परवाह किए बिना एक समान विवाह, तलाक, भूमि, संपत्ति और विरासत कानूनों का प्रस्ताव किया गया है। उत्तराखंड सरकार द्वारा लाए गए विधेयक को लेकर विपक्षी दल समेत कई लोग विरोधघ भी प्रकट कर रहे हैं। ऐसे में समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन ने यूसीसी विधेयक पर बड़ा बयान जारी किया है। आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा।

कुरान के सिद्धांतों के खिलाफ...

समान नागरिक संहिता(UCC) उत्तराखंड 2024 विधेयक पर समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन ने कहा है कि मुसलमानों को क़ुरान पाक ने जो हिदायतें दी हैं। अगर इसके ख़िलाफ कोई कानून बनता है, जैसे-हम 1400 साल से पैतृक संपत्ति में बेटी को हिस्सा दे रहे हैं, तो अगर इसके विरुद्ध काई क़ानून बनता है तो हम उसे मानने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अगर हमारी शरियत के क़ाननू से दूसरों को कोई परेशानी नहीं है तो इन्हें क्यों है? ये कब तक हिंदू-मुसलमान करके ध्रुवीकरण करते रहेंगे।

बंगाल में नहीं आएगा UCC- सौगत राय

समान नागरिक संहिता(UCC) उत्तराखंड 2024 विधेयक पर तृणमूल कांग्रेस सांसद सौगत राय ने कहा है कि भाजपा शासित राज्यों में वे UCC लागू कर सकते हैं, पश्चिम बंगाल में इसे लागू नहीं किया जाएगा। सांसद ने कहा कि ED सरकार का मुख्य हथियार है तो यह कर सकते हैं, लेकिन फिर भी वे किसी भी मामले को सिद्ध नहीं कर पाए हैं। 

अन्य विरोधियों ने क्या कहा?

उत्तराखंड विधानसभा में पेश किए गए यूसीसी बिल पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के कार्यकारी सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि जहां तक ​​यूसीसी का सवाल है, हमारी राय है कि हर कानून में एकरूपता नहीं लाई जा सकती। और यदि आप किसी समुदाय को इस यूसीसी से छूट देते हैं, तो इसे समान कोड कैसे कहा जा सकता है? ऐसे किसी समान नागरिक संहिता की कोई आवश्यकता नहीं थी। मसौदा विधानसभा के समक्ष प्रस्तुत होने के बाद, हमारी कानूनी टीम इसका अध्ययन कर रही है और फिर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। वहीं, AIUDF के अध्यक्ष और सांसद बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि भारत एक रंग-बिरंगा बगीचा है। बगीचा कितना भी खूबसूरत क्यों न हो, अगर उसमें सिर्फ एक फूल है, तो आप उसे ज्यादा देर तक नहीं देख पाएंगे। भारत में सभी धर्मों, संस्कृति के लोग रहते हैं, ये हमारी सुंदरता है। अगर प्रकृति के खिलाफ कुछ भी किया जाता है, तो यह लंबे समय तक जारी नहीं रहेगा। जब सरकार विफल हो जाती है तो राज्य विधानसभाओं को कुछ चमकदार लाना पड़ता है।असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा भी समय-समय पर ऐसा करते हैं। ..वे पीएम मोदी को खुश करना चाहते हैं क्योंकि वे कुछ समय तक सीएम बने रहना चाहते हैं। इस बिल को कूड़ेदान में फेंक देना चाहिए।

facebook twitter