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Nehru Memorial:नेहरू से जुड़े पेपर लौटाएं सोनिया... राहुल को नेहरू मेमोरियल ने लिखा पत्र

Nehru Memorial: नेहरू मेमोरियल के सदस्य रिजवान कादरी का कहना है कि साल 2008 में तत्कालीन यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी के अनुरोध पर जवाहरलाल नेहरू से संबंधित

Nehru Memorial: नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय (अब प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय - पीएमएमएल) से जुड़े एक मुद्दे पर इतिहासकार और नेहरू मेमोरियल के सदस्य रिजवान कादरी ने कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पत्र लिखा है। इस पत्र में कादरी ने नेहरू से जुड़े कुछ निजी दस्तावेज़ों को पीएमएमएल को लौटाने की अपील की है, जिन्हें 2008 में सोनिया गांधी के अनुरोध पर संग्रहालय से वापस लिया गया था।

क्या है विवाद?

रिजवान कादरी ने लिखा कि जवाहरलाल नेहरू के निजी पत्र, जिन्हें 1971 में नेहरू स्मारक निधि द्वारा उदारता से एनएमएमएल (अब पीएमएमएल) को सौंपा गया था, भारत के आधुनिक इतिहास के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने इन दस्तावेज़ों को "अमूल्य ऐतिहासिक संपत्ति" बताया, जो स्वतंत्रता संग्राम और उसके बाद के समय को समझने में मददगार हो सकते हैं।

कादरी के अनुसार, इन दस्तावेज़ों में जयप्रकाश नारायण, एडविना माउंटबेटन, अल्बर्ट आइंस्टीन, अरुणा आसफ अली, विजयलक्ष्मी पंडित और अन्य महान हस्तियों के साथ नेहरू का पत्राचार शामिल है। इनका अध्ययन शोधकर्ताओं और इतिहासकारों के लिए लाभकारी हो सकता है।

सोनिया गांधी को भी लिख चुके हैं पत्र

कादरी ने यह भी उल्लेख किया कि उन्होंने पहले सोनिया गांधी को इन दस्तावेज़ों को लौटाने के लिए औपचारिक रूप से पत्र लिखा था। उन्होंने सुझाव दिया कि या तो इन दस्तावेज़ों को पीएमएमएल को वापस किया जाए या उनकी डिजिटल प्रतियां शोधकर्ताओं के लिए उपलब्ध कराई जाएं।

राहुल गांधी से क्या की गई अपील?

अपने पत्र में कादरी ने राहुल गांधी से कहा, "विपक्ष के नेता के रूप में मैं आपसे आग्रह करता हूं कि इस मुद्दे का संज्ञान लें और भारत की ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण के लिए कदम उठाएं।" उन्होंने यह भी कहा कि सहयोग से भविष्य की पीढ़ियों के लिए इन ऐतिहासिक सामग्रियों का उचित संरक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है।

दस्तावेज़ों का महत्व

कादरी के अनुसार, ये दस्तावेज़ नेहरू परिवार के लिए व्यक्तिगत महत्व रखते होंगे। लेकिन उनका मानना है कि इनका सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होना भारत के ऐतिहासिक अध्ययन के लिए जरूरी है। इनमें स्वतंत्रता संग्राम और उस दौर के नेताओं के विचारों, फैसलों और आपसी संवाद की झलक मिलती है।

सोनिया गांधी की कस्टडी में दस्तावेज़

2008 में सोनिया गांधी के अनुरोध पर इन दस्तावेज़ों को संग्रहालय से वापस ले लिया गया था। कादरी ने यह स्वीकार किया कि ये नेहरू परिवार के लिए व्यक्तिगत हो सकते हैं, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि इनका राष्ट्रीय महत्व है।

क्या हो सकता है समाधान?

कादरी ने समाधान के रूप में तीन विकल्प सुझाए:

  1. दस्तावेज़ों को पीएमएमएल को वापस लौटाना।
  2. इनकी डिजिटल प्रतियां बनाकर शोधकर्ताओं को उपलब्ध कराना।
  3. स्कैन करने की अनुमति देकर इनका संरक्षण सुनिश्चित करना।

निष्कर्ष

यह विवाद न केवल नेहरू परिवार और पीएमएमएल के बीच ऐतिहासिक दस्तावेज़ों की वापसी का है, बल्कि यह भारत की समृद्ध ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करने की जिम्मेदारी का भी मामला है। कादरी की अपील यह दर्शाती है कि इन दस्तावेज़ों की पहुंच शोधकर्ताओं और इतिहासकारों तक होनी चाहिए, ताकि आधुनिक भारत के इतिहास को और गहराई से समझा जा सके। अब देखना यह है कि राहुल गांधी इस मुद्दे पर क्या कदम उठाते हैं और क्या इन दस्तावेज़ों को राष्ट्रीय धरोहर के रूप में संरक्षित किया जाएगा।

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