Jagdeep Dhankhar: हाल ही में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को हृदय संबंधी बीमारियों के कारण 9 मार्च को एम्स में भर्ती कराया गया था। उनकी अस्वस्थता की खबर सुनते ही देश के विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने उनके स्वास्थ्य की चिंता व्यक्त की और उनके परिवार से संपर्क किया। इस संवेदनशील घड़ी में नेताओं द्वारा प्रदर्शित एकजुटता भारतीय राजनीति के एक नए मानवीय पक्ष को दर्शाती है।
राजनीतिक मतभेदों से परे संवेदनशीलता
विशेष रूप से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने धनखड़ के परिवार से संपर्क किया और उनकी कुशलता की जानकारी ली। यह उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल का राज्यपाल रहने के दौरान धनखड़ और ममता बनर्जी के बीच तीखे मतभेद रहे थे। दोनों के बीच राजनीतिक मुद्दों को लेकर कई बार टकराव भी हुआ, लेकिन इस कठिन समय में ममता बनर्जी की संवेदनशीलता ने उनके निजी संबंधों की मजबूती को दर्शाया। इसी तरह, सोनिया गांधी की पहल भी राजनीति से ऊपर उठकर मानवीयता को प्राथमिकता देने का संकेत देती है।
सभी दलों के नेताओं की चिंता
धनखड़ के स्वास्थ्य को लेकर न केवल विपक्षी दलों बल्कि सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने भी चिंता व्यक्त की। सदन के नेता जगत प्रकाश नड्डा और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे उनके परिवार से संपर्क करने वाले पहले नेताओं में से थे। राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान धनखड़ ने इस बात का स्वयं उल्लेख किया और सभी नेताओं के प्रति आभार प्रकट किया।
प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एम्स जाकर धनखड़ से मुलाकात की और उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली। धनखड़ ने अपने वक्तव्य में कहा कि जब वे अस्पताल में थे, तो देशभर से नेताओं ने उनके स्वास्थ्य की चिंता जताई, जिससे उन्हें यह अनुभव हुआ कि विपरीत राजनीतिक ध्रुवों के बावजूद मानवीय संवेदना हमें जोड़ती है।
टीएमसी नेता डेरेक ओ'ब्रायन से बातचीत
एक दिलचस्प घटनाक्रम तब सामने आया जब धनखड़ ने अपने जन्मदिन की शुभकामनाएं देने के लिए तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ’ब्रायन को फोन किया। ओ’ब्रायन ने उन्हें तुरंत आराम करने की सलाह दी और कहा, "आप चुप रहिए, पहले आराम कीजिए।" यह संवाद यह दर्शाता है कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद व्यक्तिगत स्तर पर आत्मीयता बनी रहती है।
राज्यसभा में वापसी और राजनीतिक संदेश
12 मार्च को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद, धनखड़ ने सोमवार को राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता की। उनके जल्द स्वस्थ होकर कार्यभार संभालने को लेकर सदन में सकारात्मक भावनाएं व्यक्त की गईं। नड्डा और खरगे ने उन्हें बधाई देते हुए उनके स्वस्थ जीवन की कामना की। खरगे ने आश्चर्य जताया कि धनखड़ इतनी जल्दी कार्यभार संभालने के लिए तैयार हो गए।
निष्कर्ष
यह घटनाक्रम भारतीय राजनीति के उस पक्ष को सामने लाता है, जहां प्रतिस्पर्धा और मतभेदों के बावजूद आपसी सम्मान और संवेदनशीलता बनी रहती है। धनखड़ की अस्वस्थता और उसके प्रति नेताओं की चिंता यह दर्शाती है कि अंततः मानवीयता ही सबसे महत्वपूर्ण है। यह राजनीति में एक सकारात्मक संदेश देता है कि जब व्यक्तिगत परिस्थितियां चुनौतीपूर्ण होती हैं, तो राजनीतिक विभाजन पीछे छूट जाते हैं और दिल आपस में जुड़ते हैं।